Monday 3 July 2023

Article: चच्चा जी महाराज : कर्तव्यों की पराकाष्ठा

 चच्चा जी महाराज : कर्तव्यों की पराकाष्ठा


हर घर के अपने अलग नियम कानून होते हैं, अलग ही संस्कार होते हैं। यह अलग होना ही हमें, सबके जैसे होने के बावजूद, अलग कर देता है, विशेष कर देता है...

हम हिन्दू हैं, हम लोगों के घर में, हिन्दू धर्म से जुड़ी सभी तरह की पूजा पाठ की जाती है और व्रत- त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, दीपावली, नवरात्र, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, करवाचौथ, तीज, बरगद अमावस्या, गणगौर पूजन, आदि, सभी बड़े-छोटे त्यौहार व पर्व पूरे हर्षोल्लास और रीति-रिवाजों के साथ मनाए जाते...

अखंड रामायण पाठ व सत्यनारायण व्रत कथा, हर तीन से चार महीने में होना, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा कंठस्थ होना, एकादशी व्रत, बृहस्पतिवार, सोमवार, मंगलवार आदि के व्रत आदि रखे जाते हैं। 

आप कहेंगे कि, इसमें विशेष क्या है? सभी हिन्दुओं के घरों में इसी तरह से हिंदूत्व का पालन किया जाता है...

जी बिल्कुल, यह वह सब हैं, जो हमें सबसे जोड़ता है, पर जो समान रहते हुए भी, हमें औरों से अलग व विशेष करते हैं, वो हैं हमारे  परम वंदनीय, सदगुरु श्री श्री चच्चा जी महाराज!

अब आप को बताते हैं, कैसे अलग हो गए हम सबसे...

सदगुरु श्री श्री चच्चा जी महाराज सबसे अलग थे। वो दैवीय शक्तियों के स्वामी थे या यूं कहें कि स्वयं ईश्वरीय रुप थे तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी... उन्होंने अवतरण ही इस संसार में इसलिए लिया था कि वो समस्त संसार को जीवन व्यतीत करने का सही अर्थ बता सकें...

मुख्यता, इस तरह की महान विभूतियां, हमें संसार से विलग होकर मोक्ष मार्ग को प्राप्त करने की ही शिक्षा प्रदान करती हैं।

पर क्या, यह पूर्णतः सही है? चच्चा जी महाराज के मत से नहीं, बिल्कुल भी नहीं...

उनका मानना था कि, ईश्वर ने हमें जिस रूप में पृथ्वी पर भेजा है, उसके साथ ही हम बहुत सारे कर्तव्य से बंध जाते हैं, जिन्हें हमें पूर्ण निष्ठा के साथ पूरा करना है।

माता पिता के लिए, भाई-बहन के लिए, मित्र व पड़ोसियों के लिए, अपने कार्य क्षेत्र व पद के लिए, ससुराल के सभी सदस्यों के लिए, अपने बच्चों के लिए, समाज के लिए, धर्म व जाति के लिए, देश के लिए, तीज त्यौहार, व्रत आदि के लिए, क्योंकि हमारे जन्म के साथ ही हम इन सबसे जुड़ जाते हैं।

इन सबसे विलग होकर, अपने कर्तव्यों को दरकिनार कर मोक्ष प्राप्ति के लिए चले जाने से, कभी ईश्वर की पूर्ण प्राप्ति नहीं होगी...

अपने सभी कर्तव्यों का पालन करते हुए, मोक्ष प्राप्ति का मार्ग तो स्वयं प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण जी ने भी मनुष्य जीवन व्यतीत करते हुए दिया है।

आप कहेंगे, वह तो ईश्वर थे, उनकी बात अलग थी, हम साधारण मनुष्य सब कर्तव्य, नियम कानून का पालन करते हुए, मोह-माया से लिप्त रहकर, कैसे मोक्ष की प्राप्ति कर सकते है? 

इसी प्रश्न का उत्तर हैं, चच्चा जी महाराज... जिन्हें कर्तव्यों की पराकाष्ठा भी कहा सा सकता है...

उनका कहना था कि, आप अपना कर्तव्य पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी, सत्यता से करें, पर उसके परिणाम से तनिक विचलित ना हों। हो सकता है, परिणाम अभी देखने में आपके अनुरूप ना हो, पर शीघ्र ही वह आपकी अपेक्षाओं से भी बहुत अच्छा होगा।

विश्वास रखें अपने गुरु पर, क्योंकि चाहें सम्पूर्ण संसार भी आपके विरुद्ध हो जाए, आप का तिनके के बराबर भी अनिष्ट नहीं होगा...

आस्था रखें, अपने गुरु पर कि, वह आपको सदमार्ग और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग से विचलित नहीं होने देंगे... 

उनका कहना था कि सिर्फ ईश्वर का नाम जपते रहने से मोक्ष प्राप्ति नहीं होती, बल्कि अपने कर्तव्यों को सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से पूर्ण करने से होती है।

आपके द्वारा कोई ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए कि किसी का अनिष्ट हो, कोई दुखी हो। 

धनोपार्जन करना है, पर किसी का अनिष्ट करके, किसी को नीचा दिखा कर, उसके हक को मारकर, उसे दुखी करके नहीं। और हर समय धनोपार्जन की ऊहापोह में भी नहीं रहना है।

साथ ही धन का समय समय पर सदुपयोग करते रहना चाहिए। यदि आप अपने धन को, अपने माता-पिता, घर परिवार के लिए, इन्सानियत के लिए, धर्म के लिए, समाज के लिए, देश के लिए, आदि, सभी पुन्य कर्म के लिए व्यय करते हैं, तो आपके द्वारा किया गया धनोपार्जन भी आपको मोक्षद्वार पर ले जाएगा... 

ईश्वर की आराधना भी करनी है, पर सिर्फ वही नहीं करते रहना है। अपने सभी कर्तव्यों का पालन करते हुए ईश्वर की आराधना करें...

उनके इसी तरह के और भी बहुत सारे विशेष संस्कार हैं, जिन पर लिखते जाएं, फिर भी पूरे नहीं लिख पाएंगे। 

सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ। 

धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ॥

कबीर जी के इस दोहे के साथ, मैं चच्चा जी महाराज के  दिए हुए विशेष संस्कारों को  उकेरने से अल्प विराम लेती हूं...

उनके यही व और भी बहुत सारे अतुलनीय संस्कार, हमारे पूरे परिवार, खानदान और उनके अनुयायियों के जीवन में रचे-बसे है, जो हमें सबसे अलग करते हैं, विशेष बनाते हैं।

उन पर आस्था, श्रृद्धा, विश्वास ही है, जो हमें मोह-माया में लिप्त रहते हुए भी विलग करती है। हम वो सब धन्य हैं, जिनको उनकी विशेष कृपा मिली है। 

सदगुरु श्री चच्चा जी महाराज, हमारे नाना जी के पिता जी थे, पर उन्होंने उन्हें पिता के रूप से अधिक गुरु के रुप में विशेष स्थान दिया था। क्योंकि वो जानते थे कि..


करता करे न कर सके, गुरु करे सो होए,

तीन लोक, नौ खंड में, गुरु से बड़ा ना कोए।


चच्चा जी महाराज, हमारे बाबा जी के भी सदगुरु थे। जब श्री चच्चा जी महाराज, नानाजी व बाबा जी दोनों के ही सदगुरु थे, तो हमारे माता-पिता के भी सदगुरु होने ही थे।

अतः बचपन से ही हम लोगों के जीवन में, देवी देवताओं सा ही उच्च स्थान हमारे लिए सदगुरु श्री चच्चा जी महाराज का रहा। 

हमने उन्हें विरासत में गुरु रुप में प्राप्त किया है। उनको साक्षात नहीं देखा है पर उनके सानिध्य को प्रति पल अनुभव किया है। उनकी कृपा व आशीर्वाद के साक्षात दर्शन किए हैं...

गुरु पूर्णिमा के विशेष पर्व पर अपने जीवन के सबसे विशेष विभूति सदगुरु श्री श्री चच्चा जी महाराज को कोटि कोटि प्रणाम...


गुरु हैं महान, सर्वशक्तिमान

उनके जैसा ना दूजा कोई 

उनका हो जिसके जीवन में सानिध्य

उसको ना करनी पूजा कोई


हे सदगुरु देव श्री श्री चच्चा जी महाराज, आपकी कृपा दृष्टि हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻


गुरु पूर्णिमा पर अन्य संकलन

गुरु पूर्णिमा 

गुरु पूर्णिमा पर्व, विशेष क्यों? 

कोटि-कोटि नमन

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.