Tuesday, 9 December 2025

Story of Life : बदलती ज़िंदगी (भाग-1)

बदलती ज़िंदगी (भाग-1)


रितेश एक बड़ी MNC में मैनेजर था, ऊंचा लंबे कद-काठी वाला, बहुत ही smart था।

बाबू जी ने उसके विवाह के लिए लड़की देखनी आरंभ कर दी।

एक दिन बाबू जी का गांव से call आया, “अरे रितेश! घर आ जा, तेरे लिए बहुत सुघड़ लड़की देखी है।”

रितेश समय से घर पहुंच गया।

शाम को लड़की वाले सुधा के साथ घर आ गए।

सुधा गोरी, सुंदर और संस्कारी लड़की थी। रितेश को एक ही नज़र में भा गई। दोनों का विवाह संपन्न हो गया।

शहर जाते समय, बाबू जी ने रितेश को सख्त हिदायत दी, “बहू बेटी को जैसा रहने का मन‌ करे, रहने देना, न तो उसे शहराती बनाने की कोशिश करना और न ही अगर वो शहराती बनना चाहे तो उसे रोकना।”

रितेश ने कभी बाबू जी की बात नहीं टाली थी, उसने हामी भर दी।

जब दोनों शहर आ गये, तो रितेश ने देखा, सुधा सुबह-सवेरे जल्दी उठकर घर के साफ-सफाई के सारे काम ख़त्म करके नहाने चली जाती, फिर भगवान की पूजा करती।

उसके बाद ही वो नाश्ता-खाना इत्यादि बनाकर रितेश को नाश्ता कराती, उसका tiffin box pack करके उसे office भेजती, फिर ही खुद नाश्ता करती। 

सुबह-सुबह इतने सारे काम करने के बाद भी रितेश कभी office जाने को late नहीं होता था। जिंदगी बड़ी सुखपूर्वक व्यतीत हो रही थी।

एक दिन office में party थी, रितेश भी invited था, with family।

सुधा साड़ी पहन, खूब सारी चूड़ियों व भर मांग पूर्ण श्रंगार के साथ तैयार थी।

रितेश उसे देख ठिठक गया, मन करा कि कह दे कि कुछ शहरी party के अनुसार तैयार हो जाए, फिर बाबू जी का ख्याल आ गया और मन की बात मन में रखा रहा। 

दोनों party के लिए घर से निकल तो गये, पर रितेश इसी उधेड़बुन में रहा कि उसकी सुंदर पत्नी है, फिर भी कोई उसके बनाव-श्रृंगार पर कोई टिप्पणी न कर दे।और अगर कोई टिप्पणी करेगा, तो सुधा को कैसा लगेगा? वो सबको क्या जवाब देगा, और भी बहुत सारे सवाल…


आगे पढ़ें: बदलती जिंदगी (भाग-2) में।

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