Tuesday 8 June 2021

Story of Life : कोरोना से सुख

 कोरोना से सुख 



वरुण, दुर्गापुर में अपने मां बाप रेखा और रोहित के साथ रहता था। पढ़ने में होशियार था, तो उसकी कलकत्ता में एक बड़े farm में job लग गई थी। 

Private company थी तो, salary तो बहुत अच्छी थी, पर छुट्टी नाम मात्र को मिला करती थी।

वरुण के कलकत्ता जाने से रेखा और रोहित बहुत दुःखी रहते थे। क्योंकि छुट्टी की कमी के कारण वरुण, बहुत कम ही घर आता था।

नौकरी अच्छी होने से कलकत्ता के ही धनाढ्य परिवार की इकलौती बेटी रिया से उसकी शादी हो गई।

शादी के बाद तो वरुण और ही कम जाता था। जिसका एक कारण रिया भी थी, जिसे छोटा शहर फूटी आंख नहीं सुहाता था। साथ ही अपने सास-ससुर भी बहुत कम ही रास आते थे।

कुछ सालों बाद वरुण का बहुत प्यारा सा बेटा हुआ। ऐसे तो रेखा और रोहित भी बहुत ज्यादा कलकत्ता में नहीं आते थे। उन्हें कलकत्ता की भागती दौड़ती जिंदगी नहीं पसंद थी, फिर वहां आकर वो घर में ही कैद होकर रह जाते थे। आसपास किसी से वरुण का बहुत ज्यादा मेलजोल नहीं था जैसे की बड़े शहरों में होता है, अपने सिवा किसी से कोई मतलब नहीं।

पर पोते का मोह उन्हें खींच लाया। पूरे छह महीने रहकर गये। जब तक वो थे, रिया को एक काम के लिए हाथ नहीं हिलाना पड़ता था।

बच्चे के, रिया के, घर के, बाहर के सारे काम रेखा और रोहित मिलकर, कर देते थे।

वरुण और रिया तो राजा रानी की तरह रह रहे थे। और घर शीशे की तरह चमक रहा था। बहुत प्यार से उन्होंने अपने पोते का नाम ऋतिक रखा।

छह महीने बाद, जब ऋतिक सम्भालने लायक हो गया, तो वो बोले, अब हम जाएंगे। वरुण और रिया नहीं चाहते थे कि अभी वो जाएं, पर उन्होंने रोका भी नहीं।

उनके जाते ही रिया ने दिन-भर के लिए काम वाली बाई लगा ली, जो घर के सारे काम, खाना पीना के साथ ऋतिक को भी देखती थी।

बाई ना तो ऋतिक का उतना ध्यान रखती थी, ना ही घर का, और 15,000 भी लेती थी। पर रिया अब कोई काम नहीं करना चाहती थी। वो तो बस क्लब, किटी पार्टी और मस्ती करने में ही व्यस्त रहती।

ऋतिक को देखे हुए पूरे साल भर हो गये हैं, अब तो वो सरसर दौड़ने भी लगा होगा, रेखा ने रोहित से कहा।

बोला तो है वरुण को, कि एक चक्कर लगा लें, अब देखो कब तक आता है। रोहित ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा। 

कुछ दिन बाद पूरी दुनिया में कोरोना फैल गया। सारी दुनिया का नजारा ही बदल गया था। 

सब कुछ रुक गया, सब कुछ थम गया। कामवाली बाई का आना बंद, work from home, कहीं आ जा नहीं सकते, सारी gathering बंद, मौज मस्ती बंद। 

घर में बंद और बहुत सारा काम, इससे लोग बहुत परेशान रहने लगे।

रिया तो बहुत ही ज्यादा परेशान थी, कोई मौज मस्ती नहीं और काम इतना की खत्म ही नहीं होता था। 

एक दिन रिया‌ ने वरुण से कहा- हम कुछ दिन के लिए, दुर्गापुर चलें, माँ- पापा कितने दिनों से बुला रहे हैं। 

वरुण को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, उसने रिया से पूछा- तुमने जो कहा, वो सही है? तुम सचमुच दुर्गापुर चलना चाहती हो?

हाँ,  इसमें चौंकने वाली क्या बात है, माँ-पापा ने कितने दिनों से ऋतिक को भी नहीं देखा है।

फिर अभी चलने में तुम्हें छुट्टी भी नहीं लेनी होगी, तुम्हारा Work from home चल रहा है। वहीं से काम कर लेना। 

पर कोरोना?

कौन हमें flight या train से जाना है, अपनी car से ही चलना है। घर से चलकर, घर ही तो पहुंँचना है, सब safe है।

Ok, तो चलो पापा को फोन कर देता हूँ।

वरुण ने फोन करके पापा को बोल दिया कि रिया चाहती है कि, कुछ दिन आप लोगों के साथ बिताए जाएं, इसलिए वो दो दिन बाद ही घर आ रहे हैं।

रेखा और रोहित खुशी से झूम उठे, उन्हें अपनी बहू पर बहुत प्यार आ रहा था। 

जब वरुण, रिया, ऋतिक घर पहुंँचे तो...

आगे पढ़ें, कोरोना से सुख (भाग - 2) में....

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