Friday 7 October 2022

Story of Life : दो बोल प्यार के

 दो बोल प्यार के 


अंकित, आज बहुत ही smart लग रहा था, अपने सपनों की रानी को लेने जो जाने वाला था।

अंकित, लम्बा-चौड़ा,गोरा बांका जवान, शहर का सबसे बड़ा businessman था, उसके चेहरे पर वो तेज़ था कि जिस की नजर एक बार उस पर गई, तो वहाँ से हटती ही नहीं थी। 

Five-star hotel से बारात चलनी थी, सभी अपने अपने कमरे में बैठे, दुनिया भर के पकवानों का मजा ले रहे थे। पूरे hotel से कहकहों की आवाजें आ रही थी।

पर अंकित के माथे पर पसीना छलछला रहा था, वो बहुत बेसब्री से ना जाने किस का इंतजार कर रहा था।

तभी अंकित का एक employee, मनीष कमरे में आकर बोलता है, सर आप को AC room में भी इतना पसीना क्यों आ रहा है? 

नहीं कुछ नहीं?

बैंड-बाजा भी आ चुका और सारे बाराती भी, I think अब आप को सभी को चलने के लिए बोल देना चाहिए। 

नहीं मनीष, अभी नहीं...

 आप किस का इंतजार कर रहे हैं? 

उनका, जिनके आए बिना, मै दूल्हा नहीं बन सकता हूंँ। 

ऐसा भी कौन है सर?

मेरी माँ! 

आप की माँ...? 

सब जानते थे कि, मनीष के पिता के अलावा, दुनिया में उसका कोई अपना नहीं था, और वो भी चंद साल पहले स्वर्ग सिधार गए थे। फिर माँ...

हाँ माँ, अंकित ने आत्मविश्वास से भरे हुए कहा... 

आज मुझे सबसे उन्हें मिलवाना है और उनके आए बिना मै बग्गी पर नहीं चढूंगा।

तभी hotel के gate पर Rolls Royce car आकर रूकी। 

सभी उत्सुकता से देख रहे थे कि कौन आया है?

तीन चार guards के owner के साथ, उसमें से एक सादगी के रंग में रंगी अधेड़ावस्था की महिला निकली। 

जैसे ही अंकित को पता चला, वो दरवाजे पर ही आकर, उन्हें दंडवत प्रणाम करने लगा। इतनी बड़ी कार भेजने की क्या जरूरत थी? 

माँ, आप से ही है सबकुछ...

आह! मेरा प्यारा बच्चा, कहकर उस महिला ने अंकित को अपने अंक में समेट लिया। 

माँ की सारी रस्में उन्होंने ही पूरी की..

अंकित ने बहुत प्यार से उन्हें अपने साथ बग्गी पर बैठा लिया। 

बारात अपने गंतव्य स्थान को चल दी।

कुछ समय बारात को आया देखकर, लड़की वाले स्वागत सत्कार में लग गए...

जहाँ से शादी हो रही थी, वहाँ की भव्यता देखते ही बन रही थी। साज-सज्जा, सुख सुविधा से लैस थी वो जगह...

अंकित, उस महिला का हाथ पकड़ कर ही stage पर चढ़ा और अपने पास ही उसने उन्हें बैठाया। 

जब अंजली जयमाल के साथ stage पर आयी तो अंकित ने उससे कहा, आज मैं सबको पहले माँ के बारे में सब बताऊंगा, फिर ही विवाह करूंगा।

यह कहकर वो बोला, यह निखिला Ma'am हैं, मेरी माँ, मेरी गुरु... आज मैं जो कुछ हूँ, इन्हीं की वजह से हूँ... मेरी माँ, मुझे बचपन में ही छोड़कर, भगवान के पास चली गई थीं। उनके जाने से मैं बिल्कुल टूट गया था, शायद ज्यादा दिन जीवित भी नहीं रहता, पर तब निखिला Ma'am मेरे जीवन में आईं, मेरे लिए नया जीवन लेकर, इनके नेह स्पर्श और आत्मविश्वास ने मुझे जिंदगी में सफलता के मुकाम पर पहुंचा दिया।

 जब अंकित यह बोल रहा था, निखिला Ma'am की आंखों से अविरल धारा बह रही थी। 

रुक जा अंकित यह सच नहीं है... आज मुझे सच बोलना ही होगा...

कहकर निखिला जी ने बोलना शुरू किया, मैं एक primary school की teacher थी। बच्चों को पढ़ना और उनका जीवन संवारना ही है मेरा काम था। और मैं यह बाखूबी करती भी थी।

अंकित को मैंने 4th class से पढ़ाना शुरू किया। यह बहुत ही dull and careless बच्चा था, जिसका पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था।

ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ कि मैं बच्चे में भेदभाव करुं, पर इसकी आंखों का खालीपन, मुझे अंदर तक भेद जाता था और उसके अनमने मन से मुझे बहुत चिढ़ मचती थी और धीरे धीरे ना जाने कैसे मुझे इससे नफरत होने लगी।  

और वो नफरत ऐसी थी कि मुझे इसमें गुण दिखने ही बंद हो गए और जब मैंने इसका result बनाया तो उसमें मैंने इसके बहुत सारे अवगुणों का बखान कर दिया।

जब वो result, principal के पास पहुंचा, तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि आप ने एक छोटे से बच्चे का इतना negative result क्यों बनवाया है? 

सर, अंकित ऐसा ही है, वो किसी में भी अच्छा नहीं है।

अगले दिन मुझे results distribute करने थे, वहाँ मैंने देखा कि, अंकित के पीछे की class के results भी रखे थे।

मैंने उन्हें देखना शुरू किया, अंकित बहुत अच्छा बच्चा था, पर फिर दूसरी class से उसके performance में अंतर आने लगा, कारण जानने पर पता चला कि उसकी माँ को कैंसर हो गया था।

फिर तो उसकी performance, माँ की गिरती तबियत के साथ गिरती ही गई। और जिस दिन उसकी माँ, भगवान के पास गई, तब से वो पूरी तरह टूट गया है और तब से वो ऐसा अनमना रहने लगा है।

जब मैंने यह पढ़ा, मेरा अंतर्मन ग्लानि से भर गया। मुझे खुद से घृणा होने लगी मैंने तुरंत से अंकित का result फाड़ दिया। और उसके पिता से कहा कि उसका result अभी नहीं बना है।

अगले दिन से मेरे मन में अंकित के लिए भाव बदल गए थे। मैंने अंकित को बहुत सारा प्यार देना शुरू कर दिया और वो भी मेरे प्यार से पुनः खिलने लगा।

एक ही साल में यह बच्चा, पहले जैसा बन गया। 5th class, उन्हें पढ़ाने वाली मेरी आखिरी class थी, सभी बच्चे मेरे लिए, रंग-बिरंगे कागजों में लपेट कर दुनिया की छोटी छोटी चीजें लेकर आए।

अंकित भी एक पुराने कागज में कुछ लेकर आया था और उसने मुझे वो थमाया। 

मैंने सबसे पहले वही देखा, उसमें एक कंगन था, जो कि बहुत पुराना था, उसकी design टूट-फूट चुकी थी। साथ ही वो एक इत्र की शीशी भी लाया था, जिसमें इत्र लगभग खत्म था। 

मैंने उस इत्र को लगा लिया और उस कड़े को पहन लिया। जैसे ही मैंने ऐसा किया, अंकित ने बहुत प्यार से मुझे माँ कहा और मुझसे लिपट गया।

उस इत्र के कारण, उसे मुझसे अपनी माँ की महक आ रही थी, जिसने उसमें प्राण फूंक दिया।

उस दिन, मैं उसके प्यार में ऐसे पिघल गई कि उसकी माँ ही बन गई। और तब से हम दोनों का रिश्ता बन गया।

Ma'am, मैं जानता हूँ कि आप मुझे पसंद नहीं करती थीं, पर जब से आप ने मुझे दो बोल प्यार के, बोलने आरंभ किए थे, उन्हीं पलों ने मुझे पुनः जिंदा कर दिया था, मुझे आप में अपनी माँ मिल गई थीं।

अंकित और अंजली ने झुककर निखिला जी के चरणों को छुआ। फिर निखिला जी के आशीर्वाद से विवाह सम्पन्न हुआ।

आप के दो मीठे बोल किसी को जीवन भी प्रदान कर सकते हैं, ऐसा अवसर मिलने पर चूक मत जाइएगा। किसी की जिंदगी में फूल बिखेरने का कार्य भी ईश्वर कुछ खुशनसीब लोगों को ही देते हैं, अगर आप को ईश्वर ने इसके लिए चुना है तो अपने जीवन पर फक्र महसूस कीजिएगा और पुन्य अवश्य कीजियेगा।

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