Friday, 27 September 2019

Story Of Life : सास बहू और वो (भाग-3)




सास बहू और वो (भाग-3)

एक दिन दादी सास का आना हुआ। वो बड़ी ही रौबदार और समझदार थीं। उनकी बात सास और बहू दोनों ही सुनते थे।
दो दिन में ही उन्हें चतुरी की सारी चतुराई समझ आ गई। उन्हें अपनी बहुओं पर बहुत क्रोध आया।

फिर मन शांत करके उन्होंने सास बहू दोनों को बुलाया, और बोलीं, मुझे तुम दोनों की सोच पर बहुत तरस आ रहा है।

ऐसा क्यों बोल रहीं हैं आप? दोनों एक साथ बोले।

वो बोलीं बहू तुम्हें कितने दिनों का अनुभव है, और पोता बहू, तुम कितनी पढ़ी लिखी हो, बाहर नौकरी भी करती हो।

दोनों फिर एक साथ बोलीं, "हाँ।"

तब भी, तुम दोनों को चतुरी कितने दिनों से बेवकूफ बना रही है। अब दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगीं।

एक दूसरे को क्या देख रही हो, कभी दो बिल्ली और बन्दर की कहानी नहीं सुनी तुम लोगों ने?

वही कहानी इस घर में चल रही है, तुम दोनों बिल्लियों की लड़ाई में चतुरी बंदरिया लाभ उठा रही है।

आप क्या कह रहीं हैं? हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है। दोनों उत्सुकता से उन्हें देख रहीं थीं।

अरे ये चतुरी अपना उल्लू सीधा करने के लिए, तुम दोनों से एक दूसरे की बुराई करती है, और तो और जब एक से लड़ती या चिल्लाती है, तो दूसरी चुप रह कर उसका ही support करती हो।

तुम लोगों में मतभेद है, वो तो समझ आता है, पर इतना भी क्या कि दूसरे उसका लाभ ले जाएँ। जब भी घर के किसी भी सदस्य पर कोई बाहर का हावी हो, तो सबको मिलकर उसे नीचा कर देना चाहिए।

दोनों सास बहू को सब समझ आ गया। अब तो वो चतुरी को किसी पर चिल्लाने या चढ़ने नहीं देती थीं। जब भी ऐसा होता, सास-बहू दोनों एक हो जातीं।

जिसका नतीजा ये हुआ, कि थोड़े ही दिन में चतुरी सुधर गयी, अब वो बहुत कम छुट्टी लेने लगी, और काम भी सफाई से करने लगी।

और उसके बाद से वो कभी भी सास और बहू के बीच नहीं आई।

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