Monday, 24 August 2020

Article : Sushant Singh Rajput- Homicide or Suicide

Sushant Singh Rajput- Homicide or Suicide



सुशांत, एक ऐसा नाम जो आज सबके दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है। उसका हंसता-खेलता चेहरा लोगों के जेहन में समाया हुआ है।

पहले कहा, यह जा रहा था कि आत्महत्या है, पर अब रुख़ पूर्ण रूप से बदल गया है।

जैसे जैसे, जानकारियाँ मिल रही है, सोचकर हैरानी हो रही है, कि किस कदर अंधकार व्याप्त है कि, यहाँ ना जाने कितने कातिल हैं, जो इन्सानियत का‌ मुखौटा पहने मौजूद है।

पर अब शायद वो वक्त आ गया है, जब अंधेरे की सारी पर्त खुल जाएंगी।

पहले भी कुछ ऐसे murder हुए हैं, जिन्होंने लोगों को झकझोर दिया, लेकिन वो सच की गुत्थी सुलझा नहीं सके।

आज सुशांत सिंह की असमय मृत्यु वो सच उजागर कर देगी।

सुशांत को शांत करने वाले, शायद यह नहीं सोच पाये थे कि उसका नाम सुशांत है, पर उसका जाना, सबको अशांत कर देगा।

आज केवल रुपहले पर्दे पर ही नहीं बल्कि सुशांत के खून के छींटें बहुत दूर दूर तक पड़े दिखाई दे रहे हैं।

रुपहला पर्दा, जो दूर से बहुत सुनहरा दिखाई देता है, वो कितना कुरूप और भयावह है, शायद हमें सुशांत को खोने के बाद समझ आ रहा है।

इस केस के सारे पेंच ठीक से खुलने ही चाहिए, जिससे आगे, इस तरह से जवान प्रतिभाएं दम ना तोड़े।

सुशांत, वैसे भी बहुत होनहार था, अगर वो इस क्षेत्र में ना आता तो भी वो भारत के लिए सुयोग्य पुत्र साबित होता।

आज उसे खोने के बाद, उसका परिवार सोच रहा होगा, काश इस खूनी माहौल में उनका बेटा ना गया होता, जो सिर्फ फरेब से भरा हुआ है।

आप कहेंगे, कि हमने खुद पहले आत्महत्या समझ विवेचना की थी।

क्योंकि उस समय जो प्रकट था, वो वही था। और मेरा आज भी यही मानना है कि, आत्महत्या किसी समस्या का अंत नहीं है, अंधकार ज्यादा हो तो, गिर जाने से बेहतर है कि रास्ता बदल लो।

पर अगर हत्या है, तो न्याय मिलना ही चाहिए, फिर शामिल उसमें कोई भी व्यक्ति क्यों ना हो।

किसी को कोई अधिकार नहीं है कि वो बस अपने स्वार्थ में निहित होकर किसी का जीवन ही समाप्त कर दें।

पहले, जब बड़ी बड़ी हस्तियां शामिल होती थी, किसी के कत्ल में, तो उसे ऐसे दफ़न कर दिया जाता था कि छींटें तो नज़र आते थे, पर बोल कोई कुछ नहीं पाता था।

फिर वो मौत, चाहे बड़ी बड़ी हस्तियों की ही क्यों ना हो।

हमें खुशी होनी चाहिए कि अब देशवासी इतने सशक्त होते जा रहे हैं, कि उनका रोष, उचित न्याय पाने को सक्षम हो रहा है।

सुशांत, अब तुम्हें न्याय मिलने के बाद ही देश शांत होगा।

कातिल जो भी हो, उसकी जिंदगी में अशांति अवश्यंभावी है। 

आज भारत में कातिल, ऐसे चैन से नहीं रहेंगे, उन्हें सज़ा अवश्य मिलनी चाहिए, और अब वो होकर रहेगा।

Saturday, 22 August 2020

Bhajan (Devotional Song) : हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष


हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष



हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष
आरती करूं मैं, हे गणेश
रिद्धि-सिद्धि के, तुम हो स्वामी
प्रथम पूज्य तुम, अन्तर्यामी
विनती करता जो, तुम्हारी
रहे, ना उसकी बाधा शेष
हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष
आरती करूं मैं, हे गणेश
तात महादेव, पार्वती माता
जन जन तुमको, शीश नवाता
भक्त तुम्हारा, ध्यान जो धरता
उसके, दुःख ना रहते शेष
हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष
आरती करूं मैं, हे गणेश
तुम हो, बुद्धि -ज्ञान के दाता
सुख-समृद्धि, सब तुम से आता
कृपा तुम्हारी, जो मैं भी पाता
जीवन में कुछ ना, रहता शेष
हे गणनायक , तुम प्रभू विशेष
आरती करूं मैं हे गणेश

आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🏻 🕉️ 🙏🏻

💐 गणपति बप्पा मोरया 💐

Friday, 21 August 2020

अनहद नाद (भाग -5)

 अब तक आप ने पढ़ा, अनहद नाद (भाग-1), अनहद नाद (भाग -2), अनहद नाद (भाग-3)अनहद नाद (भाग -4).....

अब आगे........

 अनहद नाद (भाग - 5)


आंटी का हाथ थामे बाहर निकलेI मेरे क़रीब आयेI

मैं शून्य थीI मेरी आँखें नम थींI अंकल ने मेरे सिर पर हाथ रखाI उनका हाथ रखते ही मेरा दिल भर आयाI मैं कुछ कह पाती उससे पहले ही वो बोल पड़े-

“ये हमारी ज़िन्दगी का तीसरा दौर शुरू I”

और फिर वो अपने घर से दूर बाहर गेट की तरफ़ चल दिएI सबसे वैसे ही मिले जैसे रोज़ हँसते-मुस्कुराते हुए मिलते थेI किसी को भनक भी नहीं लगी कि पिछली रात उनके साथ क्या हुआ और अगली बार वो कब मिलेंगेI अब उनके चेहरे पर वो तनाव नहीं था, वो हताशा नहीं थेI वो आंटी जी का हाथ थामे अपनी ज़िन्दगी के तीसरे पड़ाव की ओर चल दिएI  मैं उन्हें जाते हुए तब तक देखती रही जब तक वो मेरी आँखों से ओझल नहीं हो गएI

मैंने वापस अपने घर की ओर रुख किया तो महसूस किया कि मैं चल नहीं पा रहीI मेरे पैर डगमगा रहे थेI किसी तरह मैं लडख़ड़ाते हुए अपने घर के दरवाज़े तक पहुँची और दरवाज़ा खटखटायाI

 मेरी छोटी बहन ने दरवाज़ा खोलाI मैं अंदर गईI देखा माँ खाना बना रहीं हैं,  पिताजी अख़बार पढ़ रहे हैं, बड़ा भाई चाय पी रहा है और छोटी बहन चहल पहल कर रही हैI

 मैं चारों तरफ़ अपने रिश्तों को सवालिया नज़र से देख रही थी और अपने विश्वास को ढूँढ रही थीI

 मैं किसी से कुछ कहे बिना अपने कमरे में आ गईI बेचैन मन से बिस्तर पर लेट गईI मुझे अब नींद नहीं आ रही हैI  बस अंकल की कही बातों ने मेरे दिलो दिमाग़ पर एक छाप छोड़ दीI

उनके विश्वास और दिल के टूटने की आवाज़ मैं अभी भी महसूस कर रही हूँI

 क्या सच में अपने लिए जीयूं, अपनों के लिए नहीं…………..?

Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।