शुभ धनतेरस
सम्पूर्ण भारत में दिवाली
बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है।
दीपावली - धनतेरस से प्रारम्भ हो कर नरक चौदस या
छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा और अंत में भाई-दूज व चित्रगुप्त पूजा के
साथ ही ये पर्व पाँच दिन में पूर्ण होता है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की
त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता
है। धन्वंतरि के अलावा इस दिन, लक्ष्मी
माँ और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता है।
धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरह गुणा वृद्धि होना. व्यक्ति
चाहे व्यापार में हो या नौकरी में या कृषि के क्षेत्र में, हर इंसान अपने धन में वृद्धि करना चाहता है. धनतेरस के दिन
खरीद करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
इस दिन आप छोटी या बड़ी वस्तु खरीदकर अपने
लिए भाग्य का दरवाजा खोल सकते हैं.
धनतेरस के खरीदारी के शुभ
मुहूर्त
(1)सुबह 07:07 से 09:15बजे तक
(2)दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक
(3)सायं 05:35 से 07:30 बजे तक
धनतेरस में लोग सोना -
चांदी, बर्तन आदि खरीदते हैं,
पर इस के साथ ही कुछ चीजें
और भी
जिन्हें खरीदना शुभ होता है, साथ ही
कुछ चीजे ऐसी भी हैं, जिन्हें नहीं भी
खरीदना चाहिए
तो चलिये उन चीजों को जान लेते हैं-
लेने योग्य वस्तु
- स्वास्तिक - स्वास्तिक अपने दरवाज़े पर लगाना अति शुभ माना जाता है
- धनिया के बीज़ या खड़ा धनिया – इस दिन धनिया का बीज खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी पूजा के समय धनिया के बीज लक्ष्मी माँ को चढ़ाएं और पूजा के बाद अपनी तिजोरी में रखें ।
- दिवाली की पूजा में लगने वाली सभी वस्तुएं दिवाली की पूजा में लगने वाली सभी वस्तुएं जैसे – दीप, रुई बत्ती, धूप, कच्ची रुई, खील-खिलौने, लाई, बताशे आदि सब धनतेरस में ही ले लिए जाते हैं। साथ ही दिवाली के दिन पूजा करने के लिए माँ लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, उनके वस्त्र, मालाइत्यादि भी धनतेरस के दिन ही ले लिए जाते हैं।
- बर्तन – जब भी कोई बर्तन लें। तो उसे खाली ले कर घर में प्रवेश ना करे, उसमे कुछ मात्रा में कोई अनाज़, धन या जल से भर कर ही प्रवेश करें, जिससे आपका घर धन-धान्य से भरा रहे।
- झाड़ू – जी हाँ धनतेरस में झाड़ू भी अवश्य खरीदें। झाड़ू खरीदने का सांकेतिक अर्थ ये है ,कि आप अपने घर से ग़रीबी को हटा रहे हैं.
जब हम गणेश
जी प्रतिमा लेने जाते हैं, तब वहाँ हमे दोनों तरफ ही सूंड किए गणपति जी मिलते
हैं।
तब हमे ये दुविधा रहती है, कौन से गणेश जी शुभ हैं।
ईश्वर से ज्यादा शुभ तो कुछ है ही
नहीं।
पर सूंड की दिशा की अपनी महत्ता होती है, हम आपको दोनों तरफ की गयी
सूंड की महत्ता बता दे रहे हैं।
उसके बाद आप स्वयं सोच लें,
कि आपको अपने घर में कौन से गणपति जी की स्थापना करनी है
जब सूंड हो दाहिनी ओर - यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी घर में स्थापित नहीं किए जाते हैं।
दाहिनी ओर की सूंड वाले गणपति की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है तथा इनके लिए विशिष्ट पूजा की आवश्यकता होती है।
आप इन आवश्यकताओं की पूर्ति घर पर नहीं कर सकते और यही कारण है कि इस प्रकार की गणपति की मूर्ति केवल मंदिरों में ही मिलती है।
दाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है।
किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्रदान करता है।
जब सूंड हो बाईं ओर -
बाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, बाईं ओर की सूंड वाले गणेश जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
अतः इनकी साधना करने से फल की प्राप्ति आसान होती है, यही वजह है कि घर में बाईं ओर की सूंड वाले, गणेश जी की स्थापना की जाती है।
इन्हें घर में बैठाने का तार्किक अर्थ यह है कि, जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है।
घर में प्रवेश करते ही जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं समाप्त हो जाती है, जिससे उसका दुष्प्रभाव हम पर नहीं पड़ता है।
इस तरह के गणेश जी, से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है साथ ही सभी प्रकार की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। ऐसी प्रतिमा को स्थापित करने पर व्यापार में बढ़ोतरी मिलती है, संतान का सुख मिलता है, विवाह की सारी रुकावटें दूर होती हैं और परिवार में खुशहाली का माहौल बना रहता है।
जब सूंड हो सीधी हो:
सीधी सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा बहुत दुर्लभ होती है यह आपको जल्दी देखने को नहीं मिलती है। सीधी सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा की पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, और इस मोह माया से विरक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। सीधी सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा हमेशा वैरागी या साधु-संत ही स्थापित करते हैं।
नहीं लेने योग्य
इस दिन लोहे या एल्युमिनियम के
समान, धारदार वस्तु जैसे चाकू, कैंची आदि, काँच का समान, कोई भी काली चीज़,
नकली जेवर आदि ना खरीदें।
यदि ऐसी कोई भी वस्तु आपको खरीदनी
है, तो उसका भुगतान धनतेरस के एक दिन पहले कर लें,
या धनतेरस के एक दिन पहले ही ले लें।