Monday 1 November 2021

Article : पांच दिवसीय दीपोत्सव के पूजा मुहूर्त

पांच दिवसीय दीपोत्सव के पूजा मुहूर्त




पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत दो नवंबर मंगलवार को धनतेरस से होगी और छह को यम द्वितीया तक उत्सव रहेगा। चतुष्ग्रही योग में दिवाली का पर्व चार नवंबर गुरुवार को उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान लोग कुबेर और लक्ष्मी का पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। ग्रहीय योग धनतेरस और ज्योति पर्व दिवाली को और मंगलकारी बना रहा है।

धनतेरस पर स्थिर लग्न में पूजन और खरीदारी शुभ :

दीपोत्सव का शुभारंभ दो नवंबर मंगलवार से होगा। इस दिन धनतेरस और धन्वंतरि जयंती मनाई जाएगी। 

मंगलवार सुबह 8:35 बजे से बुधवार सुबह 7:14 बजे तक रहेगा। इस दिन स्थिर लग्न में लक्ष्मी का पूजन और खरीदारी करना शुभ फलदायक रहेगा।


खरीदारी व पूजन का शुभ मुहूर्त :

सुबह नौ बजे से दोपहर 1:30 बजे तक।

शाम 7:30 से रात 9:30 बजे तक।

रात में 10:30 से 1:30 बजे तक।


स्थिर लग्न में पूजन मुहूर्त :

कुंभ : दोपहर 1:26 से 2:57 बजे तक।

प्रदोष काल : शाम छह से 7:57 तक।

सिंह : 12:28 से 2:44 बजे तक।

शुभ चौघड़िया : रात 12:28 से 1:30 बजे तक। 


नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली व हनुमान जयंती :


छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती तीन नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन यम के निमित्त चतुर्मुख दीपदान करने का विधान है।


नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021 बुधवार को 09 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी और 4 नवंबर 2021, गुरुवार को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। पूजा पाठ के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है।


दीपावली व लक्ष्मी पूजन का शुभ योग :

दीपोत्सव का मुख्य पर्व दिवाली चार नवंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। पूर्वांचली के अनुसार अमावस्या तिथि गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व सुबह 5:31 बजे शुरू हो जाएगी जो गुरुवार को ही रात में 3:32 बजे तक रहेगी। इस दिन चतुष्ग्रही योग बन रहा है। इसमें प्रदोष काल, चित्रा नक्षत्र और स्वाति नक्षत्र रात तक व्याप्त रहेगी। रात 12:42 बजे तक प्रीति योग और आयुष्मान योग रहेगा।

अन्नकूट व गोवर्धन पूजा :

दीपोत्सव के चौथे दिन पांच नवंबर यानी शुक्रवार को अन्नकूट और गोवर्धन पूजन पांच नवंबर को होगा। इस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा है। 

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 7:59 से लेकर 10:47 तक होगा। - कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद ही स्नान करना चाहिए।


यम द्वितीया (भैया दूज) :

दीपोत्सव के अंतिम दिन छह नवंबर यानी शनिवार को यम द्वितीया (भैया दूज) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन यमुना स्नान और दीपदान करना शुभ रहेगा।


भाई दूज शुभ मुहूर्त :

भाई दूज 06 नवंबर 2021 दिन शनिवार

भाईदूज पर तिलक का समय: दोपहर 01:10 मिनट से शाम 03:21 बजे तक रहेगा। 

तिलक अवधि: कुल मिलाकर 2 घंटा 11 मिनट की रहेगी। 

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ : 05 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 14 मिनट से। 

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त :  06 नवंबर 2021 दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 44 मिनट पर।


चित्रगुप्त पूजा का मुहूर्त :

पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की जाती है। इस तिथि को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस वर्ष किस तारीख को चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाएगी, जानते हैं।

 पंचांग के अनुसार 6 नवंबर 2021, शनिवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है। इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दिन कलम और दवात की भी पूजा की जाती है। इस दिन बहीखातों की भी पूजा की जाती है। कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि को भाई दूज का भी मनाया जाता है।

भाईदूज पर्व के साथ ही चित्रगुप्त पूजा भी की जाती है- 

चित्रगुप्त पूजा का महत्व :

भगवान चित्रगुप्त को देवलोक धर्म अधिकारी भी कहा गया है। इसके साथ ही इनका संबंध लेखन कार्य से भी है। इसी कारण इस दिन कलम और दवात की भी पूजा की जाती है। भगवान चित्रगुप्त का वर्णन पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता व याज्ञवलक्य स्मृति सहित कई ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई है। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार इनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से भी बताई जाती है। माना जाता है समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे। जिसमें इनकी उत्पत्ति लक्ष्मी जी साथ हुई। श्री चित्रगुप्त जी ने ज्वालामुखी देवी, चण्डी देवी और महिषासुर मर्दिनी की पूजा और साधना की थी।


चित्रगुप्त पूजा तिथि :

पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त जी की पूजा 6 नवंबर 2021, शनिवार के दिन की जाएगी।

चित्रगुप्त जी की पूजा का शुभ मुहूर्त : 6 नवंबर 2021, शनिवार को दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बना हुआ है।