वाह ये हिन्दुस्तान!
अपने हिन्दुस्तान की भी हम क्या तारीफ़ करें। जहाँ किसी के किये हुए काम का आंकलन किस प्रकार से किया जाता है, भगवान ही जाने!
राहत इंदौरी, मुनव्वर राना, आमिर खान, नसीरुद्दीन शाह, जावेद अख्तर, आदि... जैसे लोगों को, जो देश के विरुद्ध बोलते हैं, उन्हें सिर-माथे बैठाया जाता है।
जो नेता, दुनिया भर के घोटाले करते हैं, उनके लिए कोई प्रश्न नहीं उठाते हैं।
और जो देश हित में कार्यरत हैं, उन पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी जाती है।
फिर वो चाहे, मोदी-योगी हों, टाटा-अम्बानी हों, सोनू सूद- अक्षय हों या इनके जैसे और बहुत से अच्छे लोग हों....
प्रदेश और देश के संवरे हुए स्वरुप तो खुद गवाही दे रहे हैं कि कौन क्या कर रहा है। विकास पहले क्या था और अब क्या है। फिर इस तरह का भेदभाव क्यों?
हाँ, अगर आप के देखने का नजरिया यह है कि, मेरा कितना फायदा हुआ है तो अलग बात है।
पर जब तक हमारी सोच संकीर्ण रहेगी, तब तक देश का विकास किस तरह संभव है?
तो हमें अपने लाभ से थोड़ा सा ऊपर तो उठना ही होगा।
साथ ही ऐसे लोगों, जो देश के विरुद्ध बोलते हैं, उनके प्रति कानून को सख्त नियम लागू करने चाहिए। जिससे कोई भी देश के विरुद्ध बोलने से पहले दस बार सोचे।
और साथ ही हम लोगों को भी ऐसे लोगों का पुरजोर विरोध करना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति कलाकार तो हो ही नहीं सकते हैं, जो देश की अखंडता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। और अगर ऐसे कोई कलाकार हैं तो वह हमें पसंद नहीं हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी का यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वो कोई भी हो, वो देश के सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है।
अब तो ऐसे लोगों को सिर माथे से उतार कर, इनको इनकी सही जगह दिखानी ही चाहिए।