Tuesday 30 June 2020

Short Stories : सागर

आज आप सब के साथ मुझे रायपुर छत्तीसगढ़ की मंझी हुई साहित्यकार मंजू सरावगी मंजरी जी की लघुकथा को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

उन्होंने अपनी कहानी के द्वारा आजकल के युवाओं के मनःस्थिति को दर्शाने का बहुत अच्छा प्रयास किया है।

*सागर*



       वह निरर्थक ही रेतिले समुद्र तट पर घूम रहा था घूमते घूमते थक गया तो वही सागर किनारे रेत पर बैठ गया.
हर आने जाने वाली लहरों को गिनने का बेवजह प्रयास कर रहा था.पर लहरों पे लहरें आती जाती और निशांत की हर कोशिश को बेकार कर रही थी. तभी वहाँ पर एक छोटी सी लकड़ी नजर आई और निशांत उस लकड़ी से लहरों पर लिखने का असफल प्रयास करने लगा. बार बार कोशिश करता और शब्द पूरा होने के पहले ही लहरें लौट जाती थी. उसकी इस कोशिश को पीछे खडी़  लड़की ध्यान से देख रही थी वह खिलखिला कर हँसने लगी. और बोली *"जनाब क्या कोई मजनूँ हो क्या ????जो दिल टूटने का गम बयां कर रहे हो"*
         .. उसकी आवाज सुन कर निशांत ने देखा और हँसते हुए बोला *"अरे !!!! आपको तो दिल टूटने के दुख का बड़ा अनुभव है "*
          . हाँ, हाँ, क्यूँ नहीं *" जब आप जैसे मजनूँ होगे दुनिया में जो जरा से संघर्ष से भाग जायेगें, तो हम हसीना का दिल टूटेगा ही "* कहते हुए वह निशांत के करीब बैठ गई. और पूछा क्या मै आपके दुख का कारण जान सकती हूँ. निशांत बोला बेकार इंसान को न काम मिलता है तो फिर आज की दुनिया में प्यार कहाँ मिलेगा. उसपर गरीब अनाथालय में पलने वाले को.
            निशांत का हाथ अपने हाथ में लेकर लड़की बोली, *मुझे शोभना साहय*   
कहते हैं मैं तुम जैसे युवक और युवती को समन्दर के किनारे से ढूँढती हूँ मुझे आप जैसे बहुत से दोस्त मिल जाते हैं और  सारे लोगों के समूह को *सागर* नाम दिया  है और इस समूह में सागर की तरह सब कुछ डूबा दो, और खुद को सागर सा विशाल बनाओं आओ मेरे साथ सागर का रूप लेने.और निशांत लहरों से पूछ रहा है तुम मे मैं भी समा रहा हूँ बनके सागर की लहर ,,,,,,,,,,,,,,,,,.

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Monday 29 June 2020

Article : Corona हारेगा। लेकिन किस से?

Corona हारेगा। लेकिन किस से?


भारत, एक बार फिर champion.......
image courtesy: Zee news  

बाबा रामदेव ने कोरोना को ठीक करने के लिए आयुर्वेद शास्त्र से अध्धयन कर, अचूक  दवा discover कर ली है।

क्या, सच में discover कर ली है?

कितनों के मन में यह सवाल है।

जबकि Glenmark ने जब यही बात कही थी, तब किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया।

कोई बाहर की company discover करती, तब भी सवाल नहीं उठाए जाते।

सही कह रहे हैं ना?

यहाँ, सही है, इसको तो पूछने का सवाल ही नहीं है, कितनी सारी company ने ना जाने कितने दावे किए, पर उन पर कभी सवाल नहीं उठाए गए।

तो बाबा रामदेव पर क्यों?

क्योंकि वो भारतीय हैं?

क्योंकि उनकी discovery का आधार, भारतीय मूल के विज्ञान, आयुर्वेद पर है?

क्योंकि उनकी दवा का नाम विशुद्ध भारतीय है?

क्योंकि उन्होंने अपनी दवा का मूल्य उतना ज्यादा नहीं रखा,  जितना लोगों ने सोचा था।

क्या यही सब कारण हैं?

तो क्यों हैं?

ऐसा नहीं है कि मैं, बाबा रामदेव की पक्षधर हूँ, ना मैं यह कह रही हूँ कि यह दवा सटीक है, ना ही मैं  पतंजलि
के  products का promotion कर रही हैं।

पर बात अगर भारत की है, भारतीयता की है, तो हाँ मैं हूँ पक्षधर।

जब भी भारत और भारतीयता की बात होगी, मैं सदैव उसका support करुंगी।

हम लोगों को तो प्रसन्न होना चाहिए कि भारत, कोरोना को हराने की क्षमता रखता है।

अगर बाबा रामदेव सफल हुए हैं तो यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं है, हम सब भारतीयों की है। 
  • हम सब जो इतने दिनों से घरों में कैद हैं, उससे आजादी मिल जाएगी।
  • जो इस तरह से डर डर कर जी रहे हैं, उससे मुक्ति मिल जाएगी।
  • Economy जो down हो रही है, वो फिर से progress करने लगेगी।
  • और सबसे बड़ी बात, हम चीन की मक्कारियों का मुंह तोड़ जवाब दे सकेंगे।

तो क्यों यह शक और सवाल हैं?

हमें तो प्रसन्न होना चाहिए कि, उन्होंने दवा खोजने का प्रयास किया है।

हमें उनका support करना चाहिए, ना कि oppose.

अगर उन्होंने दवा ख़ोज ली है, तो सफलता पर प्रसन्न हों।

और अगर वो सफल नहीं हुए हैं तो भी हमें उनकी discovery में हर संभव मदद करनी चाहिए।

Oppose तो किसी भी सूरत में नहीं।

वरना यही कहना होगा कि 

अच्छा हुआ रामायण काल में इतनी राजनीति नहीं थी, इतना विरोध नहीं था, नहीं तो सुषेण वैद्य के लाइसेंस लेने तक लक्ष्मण जी के प्राण निकल जाते।

अगर आप भी चाहते हैं कि हम सब सदैव सुरक्षित रहें, जीवित रहें, तो भारतीयता का साथ दें, भारतीयों का साथ दें।
Image courtesy : pngtree.com

जिसने हम सब को क़ैद किया था, आज उस corona के कैद होने का समय आ गया है। उसके हारने का समय आ गया है।

भारत ही जीतेगा, पर उसके लिए भारत को साथ होना जरूरी है, उसका विकास होना जरूरी है, और हमारा विश्वास होना जरूरी है।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳

Friday 26 June 2020

Article : Sushant Singh Rajput - A Mystery


Sushant Singh Rajput - A Mystery

Image Courtesy: Wikipedia

Sushant Singh Rajput, इस दुनिया से क्या गया, पूरी दुनिया के लिए कई सवाल छोड़ गया।

बातें सिर्फ Film industry तक सीमित होती, तो और बात थी। पर अभी तो यह जन जन तक पहुंच गई है।

हमारा भारत देश ही ऐसा है, बस एक मुद्दा होना चाहिए, फिर वो तूल तो भेड़ चाल में पकड़ ही लेता है।

कोरोना- वोरोना तो अब पुराना हो चुका है, अब ना तो उससे कोई डर रहा है, ना कोई रुक रहा है।

आखिर हर बात की भी एक हद होती है, ऐसे ही नहीं कहते - Show Must go on.

जिंदगी चंद दिनों तक मद्धम हो सकती है, पर थम  नहीं सकती।

कोरोना को तो, सुशांत सिंह राजपूत का अचानक से चले जाना, बहुत पीछे छोड़ चुका है।

आज तो हर कोई यह जानना चाहता है कि suicide की सही वजह क्या थी?

और यह suicide ही था या murder?

इन बातों की पुष्टि करता हुआ, हर रोज़ एक नया चेहरा और नयी बात होती है।

कितने ही हितैषी, हमदर्द और कितने ही दोषी हर रोज़ सामने आ रहे हैं।

सब इतना ही उसका साथ देते होते, तो शायद सुशांत सबके बीच होता।

सब बस दिखावा है, ना जाने  कितनों ने तो इस मामले को गर्म कर के, अपनी-अपनी रोटी सेंक ली।

मेरे ज़हन में तो अलहदा ही ख्याल आ रहे हैं।

आप यह बताइए, ऐसी कौन सी जगह है, जहाँ  lobby नहीं होती है? 

माना Film industry में ज्यादा होगी, पर इस बात से सुशांत भी अवगत होगा। वैसे भी जहाँ करोड़ों मिलेंगे, वहाँ competition भी ज्यादा होगा।

Lobby तो जिन्दगी के हर पल में है, चाहे वो media हो या office (सरकारी या गैर सरकारी) बाजार हो या व्यापार। और तो और दोस्त हो या रिश्तेदार। सब जगह है।

इसे ही survival of the fittest कहते हैं।

पर यूँ ही सब जाने लगे, तो जिंदगी से मौत जीत जाएगी।

ना जाने क्या वजह थी, उसके जाने की?  पर एक बार अपने, पिता और परिवार के बारे में भी सोच लेता, तो शायद वजह ना होती अनहोनी होने की।

हे ईश्वर ! किसी को इतना मजबूर ना करना कि उसके ज़हन में भी यह ख्याल आये। जिंदगी बहुत बेशकीमती है, कोई उसे यूँ ना गंवाए।

Thursday 25 June 2020

Short Stories : इंसानियत


आज आप सब के साथ मुझे हिन्दी साहित्य में प्रसिद्धि प्राप्त  बीकानेर ( राजस्थान) के श्री अशोक रंगा जी की लघुकथा को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

उनकी इन्सानियत को आइना दिखाती लघुकथा का आनन्द लीजिए।

🌝  इंसानियत 🌝

image courtesy : Dreamstime.com

गर्मी के दिन थे. भरी दोपहर में  तापमान लगभग 49-50 डिग्री सेल्सियस के आसपास था. धूप में पड़ी हर वस्तु जल सी रहीं थी. 

एक चालीस -पच्चास मीटर लम्बी व अति संकड़ी गली के बीचोबीच लोहे की अलमारियों से लदा हुवा एक ऊंट गाड़ा चला आ रहा था. 

उसी दौरान सामने से दो कारे अचानक हॉर्न बजाते हुऐ आ टपकी. 

बेचारा ऊंट गर्मी के कारण थका हुवा,  बेचैन सा था व उसके मालिक ने ख़ुद को गर्मी से बचाने के लिए अपने सिर पर एक  तौलिया सा बांध रखा था. 

दूसरी तरफ  कार वाले  AC में थे. गाड़ी में बैक गियर था फिर भी दोनों हॉर्न पर हॉर्न दिये जा रहें थे. 

आख़िर ऊंट गाड़े वाले ने ऊंट  गाड़े से नीचे उतर कर अपने ऊंट को पीछे धकेलने लगा. 

चूंकि ऊंट गाड़े में काफ़ी वजन था इस कारण ऊंट भे-भे की आवाज़ निकालते हुवे बड़ी कठिनाई से पीछे हटने लगा.

संकड़ी गली से ऊंट गाड़े के पूर्णतया पीछे हटने के बाद दोनों कार मालिक अपना सीना फुलाए विजय भाव के साथ वहाँ से निकल पड़े. 

ऊंट भी इन जाती हुई कारों को पीछे से देखते हुऐ गुस्से में जमीन पर अपने पाँव को पटकने लगा. 

मालिक ने ऊंट की पीठ पर हाथ फेरते हुवे उसे समझाया कि "अरे बुरा नहीं मानते ऐसे पढ़े लिखें बड़े इंसानों का" 

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Wednesday 24 June 2020

Kids Story : वीरा


वीरा


वीरा केवल नाम की वीरा थी, वरना तो कोई छोटा सा puppy भी देख लेती तो mumma mumma करने लग जाती थी। और एक छोटा सा कीड़ा भी उसे अपनी जगह से हिलाने की क्षमता रखता था। इस कदर डरपोक थी, कि अब तो वो शक्ल से भी दब्बू ही लगती थी।

वीरा के माँ-पापा बहुत ही साहसी थे। 

पर वीरा के ऐसा होने से उसकी बुआ, उसकी माँ से हमेशा यही कहा करती थी, भाभी आपने क्या सोच कर इसका नाम वीरा रख दिया, इसका नाम तो भीरु रखना चाहिए। वो हमेशा उसे दब्बू ही कह कर बुलाती थी। 

माँ को बहुत बुरा लगता था। पर क्या करती, जब अपना ही सिक्का खोटा हो।

मेम साहब, हम जा रहे हैं, वीरा दीदी घर वापस आ गयी हैं। कह कर काम वाली चली गयी। 

पर हमेशा की तरह, उस दिन भी जब वीरा स्कूल से घर आई, तो आते से ही उसने दरवाज़ा बंद नहीं किया था। 

उस दिन माँ की तबीयत ठीक नहीं थी। वे दवा खाकर लेटी थीं, उन्होंने लेटे लेटे ही वीरा से कहा, बेटा तेरा खाना microwave में रखा है। गुड्डा,  गरम करके आज खाना अपने आप ले लेगी, या मैं उठूँ?

नहीं! माँ, मैं ले लूँगी अपने आप। 

स्कूल जाते वक़्त वीरा के पापा ने उसे सख्त हिदायत दी थी, कि “माँ को आराम करने देना। और आज खाना भी अपने आप ले लेना”।

सुन कर कि, वीरा खाना ले लेगी, माँ सो गयी। वीरा भी कपड़े बदलने चली गयी।

तभी कुछ आवाज़ें सुनाई देने लगीं, वीरा कपड़े बदल कर बाहर आई। 

तो उसने देखा दो अजनबी घर के अंदर घुस आए थे। वीरा की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ था, उसने दरवाज़ा जो नहीं बंद किया था।

उसमें से एक के हाथ में बंदूक और दूसरे के हाथ में चाकू था। उनकी शक्ल से ही साफ साफ समझ आ रहा था, कि वे चोर थे।

उन्हें देख कर वीरा बुरी तरह से घबरा गयी थी। माँ दवाई खा कर सो रहीं थीं, काम वाली जा चुकी थी। पापा के आने में अभी काफी समय था।

वीरा पर बंदूक तानते हुए एक चोर ने पूछा, घर में कौन कौन है?

कोई.... कोई भी नहीं।

वीरा माँ के बारे में नहीं बताना चाह रही थी, क्योंकि माँ बीमार थीं, और दवाई के असर से गहरी नींद में सो भी चुकी थीं। 

अकेली हो....  कह कर चोर हँसने लगे।

अच्छा चल बता, तेरी माँ गहने कहाँ रखती हैं?

जी, उस कमरे के अंदर एक कमरा है, वहीं माँ गहने और पैसे रखती हैं।

बड़ी समझदार लड़की है, सब बता दे रही है, दूसरे चोर ने कहा। 

अंकल मैं खाना खाने जाऊँ? मैं अभी स्कूल से आयीं हूँ ना, मुझे बड़ी भूख लगी है।

वीरा के सब बता देने, और उसके दब्बू चेहरे के कारण, चोर उसकी तरफ से आश्वस्त थे। वे कमरे की तरफ मुड़ गए, और वीरा kitchen की तरफ।

जब वे उस कमरे में पहुंचे, वहाँ बड़ा अंधेरा था, जब वो पलट कर वापस आने लगे तो, उन्होंने पाया कि दरवाज़ा बंद था। 

वो ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा पीटने लगे, पर वीरा ने दरवाज़ा नहीं खोला। उन्होंने अंदर का समान भी तोड़ना- फोड़ना शुरू कर दिया था। पर उसका भी वीरा पर असर नहीं हुआ।

कुछ ही देर में, पुलिस, और वीरा के पापा, घर आ गए थे। चोर पकड़े गए। 

थोड़ी देर में माँ भी उठ गयीं, तो उन्होंने भी अपने कमरे का दरवाज़ा बंद पाया। वे जब दरवाज़ा knock करने लगीं, तो पापा ने दरवाज़ा खोला।

माँ ने पूछा, दरवाज़ा क्यों बंद किया था?

तब वीरा ने बताया, कि चोर घुस आए थे, आप सो रहीं थीं, आपके पास आवाज़ें न जाएँ, इसलिए आपका दरवाज़ा भी बंद कर दिया था। 

चोरों को store room का गलत पता बता कर, kitchen में जाने का झूठा नाटक करके उन्हें भी बंद कर दिया था। 

फिर पापा को फोन कर दिया था। पापा, पुलिस अंकल को ले आए, और चोर पकड़े गए।

माँ ने पूछा, तुम्हें डर नहीं लगा?

लगा था, माँ! पर आपको कुछ नुकसान ना हो, जब ये सोचा, तो ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गयी। 

माँ और पापा ने उसे बहुत सारा प्यार किया।

 जब बुआ ने सुना, तो वो देखने चलीं आयीं। 

तब वीरा की माँ ने बड़े गर्व से कहा, दीदी ये आपके भैया और मेरी बेटी है, इसलिए इसका नाम वीरा है। 

उसके बाद से वीरा की बुआ ने उसे दब्बू कहना बंद कर दियाऔर वीरा ही कहने लगीं।           


Tuesday 23 June 2020

Short Stories : बनिया

आज आप सब के साथ मुझे डेहरी ऑन सोन,रोहतास बिहार  के उत्कृष्ट कहानीकार श्री विनय कुमार मिश्रा जी की कहानी share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

हमारी किसी के प्रति बनाई गई धारणा, कितनी सही-कितनी ग़लत को बखूबी उजागर करती कहानी का आनन्द लीजिए।

बनिया

Image Courtesy: YouTube

"तुम अब हर पैकेट पर चार रुपये बढ़ा कर लिया करो दुकानदारों से"

पत्नी और मैं दोनों मिलकर पापड़ बनाते और बहुत छोटे स्तर पर बेचते हैं। धंधा ज्यादा पुराना नहीं है। पर कुछ एक मोहल्ले में बिक्री बढ़ गई है। हम चालीस रुपये का पैकेट दुकानदार को देते हैं वे पचास में बेच देते हैं।
 
पास के ही ग्रामीण मोहल्ले से राजू बनिए का ऑर्डर सबसे ज्यादा आता है। इस महीने दो सौ पैकेट मांगा है उसने। दुकान भी बहुत चलती है उसकी। मैं उसी की दुकान पर था और यही बातें कर रहा था।

"राजू भाई! अब चौवालीस का पैकेट है ये, महंगाई बढ़ रही है हर चीज़ की तो.."

"अरे कैसी बात कर रहे हो, मैं मार्केट से बाहर थोड़ी हूँ, अभी पापड़ में लगने वाली किसी सामग्री का रेट नहीं बढ़ा"

"राजू भाई, मेहनत बहुत है, आप तो जानते हैं, दिनभर उसी में लगना है, फिर घूमकर कुछ दुकानों में दे आता हूँ। मुश्किल से बीस पच्चीस हज़ार कमा पाता हूँ"

वो मेरी बात सुनकर हँसने लगा। जैसे मैंने कोई मज़ाक कर दी हो।

"पापड़ अच्छा है आपका पर इसमें मैंने भी खूब मेहनत की है, शुरू में हर किसी को जबरजस्ती भी दे देता था, धीरे धीरे आदत लग गई यहां लोगों को आपके पापड़ की। और दो पैसे बचाऊंगा नहीं तो दुकान खोलने का क्या मतलब"

मैं बोलता रहा, वो मना करता रहा। बात मैंने सिर्फ दो रुपये बढ़ाने पर ले आया था। वे इसमें भी झिकझिक कर रहा था।अंत में सिर्फ एक रुपये बढ़ाये इसने पैकेट पर।

कितने सामान बेचता है और लाखों कमाता है। 
महीने का दो चार सौ नहीं बढ़ा सकता ये।

हमारी मेहनत के पूरे पैसे भी नहीं देता। 

कलयुग है , ऐसे ही लोगों की बरकत होती है!
 
सामने दुकान पर गेंदे के फूल की सूखी माला टंगी थी जो बता रहा था कि ये दुकान पर पूजा भी सिर्फ दीवाली के दीवाली करता है। 

मैं पसीने को पोछ पत्नी को फोन ही लगाने वाला था दो सौ पैकेट रखने से पहले कि तभी एक जानी पहचानी बूढ़ी औरत जो अब लगभग पागल सी हो गई है वो दुकान पर चली आई

"दे दे बेटा.." 

"हां माई एक मिनट रुक" 

उसने उस बूढ़ी औरत को दूध ब्रेड और कुछ थोड़े बहुत सामान दिए।

औरत ने सामान लेकर जाते हुए जो कहा और इसने जो बोला वो मुझे आश्चर्य में डाल गया।

"पैसे तो बेटे ने डाल दिया था ना इस महीने? ये पैसे भी वो तुम्हें भेज देगा"

"हाँ.. हाँ माई पैसे मिल जाते हैं हर महीने" वो औरत सामान लेकर कुछ बड़बड़ाती हुई चली जा रही थी।

और मेरे लिए बहुत सारे सवाल छोड़ गई इस राजू बनिये से पूछने के लिए

"इसका तो अपना कोई नहीं अब।सिर्फ एक ही बेटा था जो शहर में कमाता था?

इस दुकान के सामने ही तो चौक पर पिछले साल शहर से आकर बस से उतरा था, और एक गाड़ी चढ़ गई थी उसपर? फिर ये पैसे कौन देता है?' 

"पैसे कोई नहीं देता, ये बिचारी उस सदमे से बाहर ही नहीं आ पा रही है। सोचती है बेटा अब भी शहर में ही है" राजू बनिये को आज पहली बार उदास होते देखा था मैंने

"तो क्या हर महीने तुम पाँच सौ.. हज़ार का सामान इसे दे देते हो" इस बनिए का यह हिसाब मुझे समझ नहीं आ रहा था

"हाँ भाई.."   राजू अपने कैलकुलेटर पर मेरा हिसाब कर रहा था और मैं मन ही मन राजू के इस अनजाने व्यवहार का। बरबस मुँह से निकल पड़ा

"भाई, मगर कबतक ऐसे ही देते रहोगे?" 

उसकी आँखें इस सवाल पर भर आईं थीं
"जबतक इन्हें विश्वास है कि इनका बेटा ज़िंदा है! पता नहीं क्यूँ मैं उस माँ के इस भ्रम को टूटने नहीं देना चाहता"

मेरी आँखें भी भर आईं..राजू बनिए के इस जवाब को सुनकर..! 

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Monday 22 June 2020

Tip: Coriander leaves preservation in summer

हमने आप लोगों को winters में green leafy veggies and coriander leaves के preservation की tip बताई थी।

कुछ viewers बोल रहे हैं, कि Ma'am, हम उस तरह से veggies रख रहे हैं तो हम उसे preserve नहीं रख पा रहे हैं।

हम आपको बता दें, जैसा आप को उसमें बताया था, वो tip winter and rainy season में suitable है।

Summer के लिए and ख़ासतौर पर corona period में इसकी Tip change हो जाएगी।

Coriander leaves preservation in summer

Image Courtesy: Swadesh

  1. सबसे पहले आप धनिया पत्ती को जड़ों से पकड़ कर खूब सारे पानी में अन्दर बाहर डालते हुए अच्छे से धो लें, जैसे cloth धोते हैं।
  2. ध्यान रखिए,धोने से उसमें मौजूद सारी मिट्टी और गन्दगी निकल जाए।
  3. अब सारी धनिया की जड़ों को बांध कर bundle बना लीजिए।
  4. अब इसे उल्टा लटका दीजिए, जिससे सारा पानी झड़ जाए। जड़ वाला सिरा ऊपर रहेगा व पत्तियों वाला सिरा नीचे रहेगा।
  5. जब धनिया पूरी तरह से सूख जाए, तब इसे छांट लीजिए, जो भी, घास पतवार या बेकार की चीज़ें उसके साथ मिली हों, उन्हें व धनिया की जड़ों को हटा दें।
  6. अब इसे polythene bags में रखकर polythene bag ढीला-सा बांध दें, जिससे थोड़ी-थोड़ी हवा जाती रहे।
  7. दो से तीन दिन बाद, फिर से धनिया छांट लें।
Note
  • ध्यान रखिएगा, धनिया पत्ती को सिर्फ उतना सुखाना है कि उसका पानी झड़ जाए, वो कुम्हलानी या सूखनी नहीं चाहिए।
  • सुखाने के लिए धूप में नहीं रखना, बल्कि छांव वाली जगह होनी चाहिए।
  • इसी Tip को follow करके आप कोई भी leafy vegetable preserve कर सकते हैं।
  • Corona period में साबुन के घोल को भी use कर सकते हैं। उसके बाद धनिया पत्ती को खूब अच्छे से पानी से धो लें। उस समय यह ध्यान रखना होगा कि मिट्टी और साबुन दोनों ही पूरी तरह से निकल जाएँ।

Sunday 21 June 2020

Poem : पापा आप कहाँ हैं ?

ऐसा कोई दिन नहीं जब आपकी याद ना आई हो, आपकी बात ना की हो, आज की ये कविता भी वही याद है। 

Papa we Miss you a lot. 

पापा आप कहाँ हैं ?

image courtesy : pngtree.com

पापा आप कहाँ हैं ?

बिन आप मुझे कुछ नही भाता है
आपके बिना ये संसार नही सुहाता है
पापा आप कहाँ हैं ?

जब मेरी पहली किलकारी गूंजी थी
तो साथ में आपकी हंसी भी गूंजी थी
वो खुशी तलाशती हूँ
आपकी वो हंसी मैं
आज भी पहचानती हूँ
पापा आप कहाँ हैं ?

जब मैंने वो पहला शब्द बोला था
खुशी से आपका भी मन डोला था
वो मन ढूंढती हूँ
वो शब्द क्या था
मैं आज भी जानती हूँ
पापा आप कहाँ हैं ?

जब मैं डगमग चली थी  
कभी गिरी कभी संभली थी
हर बार मुझे आपने संभाला था
तब जो संभली थी
वो संभलना 
आज भी जानती हूँ 
पापा  आप कहाँ हैं ? 
                 
सब कुछ यहीं है
बस आप ही नहीं हैं
ईश्वर से हर बार बस आपको माँगती हूँ
फिर से आपकी हो जाना चाहती हूँ
पापा आप कहाँ हैं ?

उन सभी की दिल की बात है यह, जिनके पिता ईश्वर के पास हैं। सब हो आपके पास पर पिता ना हो साथ तो सब अधूरा लगता है। ईश्वर आप ने हमें यह दुःख क्यों दिया?


Poem : ध्यान


आप सभी को योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ, आप सभी सुखी रहें, स्वस्थ रहें।

आज की यह कविता हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान प्राप्त
इंदौर की उर्मिला मेहता जी की है।

इस कविता के माध्यम से उन्होंने ध्यान को ही सर्वोच्च माना है।

ध्यान

Image courtesy : Pinrest

जिसे  खोजती थी मैं सदा 
तन मन औ' धन के योग से
 क्या है लक्ष्य जीवन का 
औ' ईश्वर किस लिए मौजूद है ?
अच्छाई क्या औ'बुराई क्या है,
 हँसना रोना किसलिये 
जब तक न थी इसकी समझ,
संसार ये निस्सार था  
मानुष जनम पाकर भी
यह सार्थक नहीं हो पाया था ।
 गुरु की कृपा आशीष से 
आनंद की बरखा हुई  
अपने ही ओजस मन को जैसे
जानने की तृषा हुई  
देखकर मन में उजाला , 
तमस आप ही बह गया 
आनंद की परिभाषा को ज्यों 
नया रूप ही मिल गया 
 अब क्षुद्र तुच्छ सी बातों का
  जैसे वजूद ही ना रहा  
आनंद शांति और हँसी का 
एक खजाना मिल गया  
धन्यवाद तो क्या गुरु को, 
शब्दों का बस खेल है  
लक्ष्य-जीवन किया निश्चित 
श्रेष्ठ पथ बस ध्यान है।

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।


Friday 19 June 2020

Poem : वीरों का वतन- A salute


वीरों का वतन - A salute



वीरों के शहीद होने से,
दुखी है क्यों देश‌ इतना?
उनकी तो वीरता पर;
सोचो नाज़ करोगे कितना।।

पता ना था, उन्हें है घात,
हथियार भी नहीं था साथ,
यहाँ मात्र चंद सैनानी थे;
और वो थे बहुत अपार।।

पर एक एक रणबांकुरा,
उन सब पर था भारी,
जबकि वो थे तैयारी से;
और यह बिन तैयारी।।

उनके घात का उत्तर देने में,
बीस, शहीद हमारे हुए,
पर उन्होंने शहीद होने से पहले;
तैंतालीस उनके भी मार दिए।।

सोचो चीन तुम यह,
तब तुम्हारा क्या हश्र होगा?
जब होगी सेना तैयारी से;
तब कैसा संघर्ष होगा?

अस्तित्व चाहते हो गर अपना,
सदा के लिए पीछे हट जाओ।
वीरों का वतन है भारत;
इससे ना कभी टकराओ।।

Thursday 18 June 2020

Poem : बहिष्कार

बहिष्कार


भारत के रणबांकुरों ने
किया दुश्मन से दो दो हाथ
वीरता उनकी देखकर
दुश्मन के हो गए खट्टे दांत

वो गये थे निहत्थे
देखने सुरक्षा हालात
दुश्मन हथियार संग 
लगाए बैठा था घात

चीन का समझो इशारा
पहले दिखाता भाईचारा
फिर मौका देखकर
धोखे से सैनिकों को मारा

गर आंखें नहीं खुलीं
तुम्हारी इस घड़ी
देखकर, समझकर भी
चीन की धोखाधड़ी

गर अभी भी नहीं करेंगे
चीनी सामानों का बहिष्कार
केवल सेना भरोसे  बैठकर
नहीं हो सकता देश उद्धार 

चीन को गर हराना है तो
सेना का सब मिलकर दो साथ
चीनी सामान ना ख़रीदो- बेचो
चीन के बिगड़ जाएं हालात

चीन ने कोरोना फैलाकर
अर्थव्यवस्था कर दी कमजोर
हम भी उनका बहिष्कार कर के
उनकी दुर्भावना की कमर दें तोड़

ऐसे ही अर्थव्यवस्था बढ़ा
देश भीतर से सुदृढ़ बनाएं हम
और सरहद पर वीर सैनानी
लहराएं जीत का परचम

Wednesday 17 June 2020

Recipe : Paneer 65

कितने दिनों से हम लोग Restaurant नहीं गये, बहुत लोग इससे दुखी रहने लगे हैं, पर जो Shades of Life से जुड़े हैं, उनके तो घर में ही Restaurant खुल गये हैं तो वो और उनके घर वाले सभी बहुत खुश हैं। क्योंकि अब उन्हें tasty food मिल रहा है, वो भी healthy.

तो आप भी क्या सोच रहे हैं? हम से जुड़ जाइए, और अपने घर को स्वाद, सुगंध और सुख से भर लीजिए।

आज हम आपको Restaurants में hit "Paneer 65" की recipe बताने जा रहे हैं।

Paneer 65, को लोग Chinese dish समझते हैं, पर ऐसा नहीं है। यह Chennai cuisine है।

यह बहुत spicy dish है और इसमें garlic flavour बहुत inhance होकर आता है। Restaurant में जैसे बनाते हैं, हम वैसी ही Recipe बता रहे हैं, आप अपने taste के according spicy and garlic flavour adjust कर सकते हैं।

यही तो difference है, Restaurant में हमें वो खाना पड़ता है, जैसा वहाँ बना हो। पर हम घर में वैसा ही बनाते हैं, जैसा हमें खाना हो।

तो taste से compromise क्यों, आज ही वैसा बनाएं, जैसा आप को पसन्द है।

Paneer 65




Ingredients:

For Paneer coating:

Paneer - 300gm.
Salt - to taste 
Red chili Powder 1 tsp 
Garlic - 2 tsp 
Ginger Garlic Paste - 1 tsp 
Corn flour - 4 tbsp 
All purpose flour - 3 tbsp 
Lemon Juice - 1 tsp  
Olive Oil - to deep fry Oil

For Paneer 65  :

Whole Red Chilli -  according to taste
Curry Leaves - 4 to 6 
Green Chilli - 3-4 slit 
Garlic- 4 tsp 
Green and Red Capsicum - 1/2 diced 
Onion - 1/2 diced 
Red Chilli Sauce - 2 tbsp
Salt - to taste 
Black Pepper - 1/2 tsp 
Spring Onion - 2 tbsp 
Curd - 100g 
Corn Flour - 1/2 tsp 
Red Food Color - pinch, optional
Olive oil -1 tbsp. 

Method -  

For coating :

  1. पनीर के about 1 inch के block काट लीजिए।
  2. एक Bowl लीजिए, उसमें chopped garlic, Red chili Powder, Ginger Garlic Paste, Corn flour, Lemon Juice, salt, मैदा व कटे हुए पनीर के block डालकर toss कर लीजिए। पनीर की  proper coating के लिए थोड़ा पानी छिड़क लीजिए।
  3. इन coated पनीर को 10 to 15 minutes के लिए छोड़ दीजिए।
  4. अब इन्हें deep fry कर लीजिए।

For Paneer 65  : 
  1. Whole red chili को छोटा-छोटा काट लें।
  2. Wok में सारी process high flame में करनी है। 
  3. एक wok (कढ़ाही) लें, उसमें whole red chili के टुकड़े, Curry Leaves, slit Green Chilli, black pepper व salt डालकर भून लें।
  4. इसमें diced Onion and capsicum डालकर crispy sautè कर लीजिये।
  5. इसमें red chilli sauce डालकर mix कर लीजिये। 
  6. दही में cornflour डालकर अच्छे से mix कर लीजिये। 
  7. दही के इस mixture को wok में डालकर अच्छे से चला लीजिये। 
  8. अब पनीर के fried blocks डालकर अच्छे से mix कर लीजिये।
  9. Now your Paneer 65 is ready to serve. you can garnish it with fresh chopped spring onion or coriander.    
Note : 
  • Spicy and garlic flavour अपने according कर लीजिएगा। 
  • आप अगर garlic नहीं खाते हैं तो उसे avoid भी कर सकते हैं।
  • हमने colour use नहीं किया है, क्योंकि वो healthy option नहीं है, आप अपनी पसंद से colour use या avoid कर सकते हैं।
  • दही में cornflour मिलाने से जब उसे wok में डालकर पकाते हैं तो उसमें curdling नहीं होती है, और proper consistency बनी रहती है।
  • आप अगर पनीर crispy रखना चाहते हैं तो उसे wok में डालते ही Gas off कर दीजिए। अगर soft अच्छा लगता है तो, Paneer में flavour अच्छे से mix कर के Gas off करें।
  • आप अपने according इसे dry या gravy वाला बना सकते हैं।
  • हमने dry version बनाया है।

Tuesday 16 June 2020

Satire: करोना वारिस

आज आप सब के साथ मुझे इंदौर से श्रीमती उर्मिला मेहता जी की हास्य-व्यंग्य रचना को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

एक कठिन परिस्थिति को बहुत ही खूबसूरती से हास्य-व्यंग्य में ढाला है, यह हास्य व्यंग बुन्देलखण्ड भाषा में पिरोया गया है, आप इसका आनन्द अवश्य लें। 


करोना वारिस
 
Image Courtesy: Freepik

हाय दैया जे 

मोदी भैया ने जो कछु कओ हतो, टी. वी. में तुम्हरी सौं, हमरे तो पिराण हलक में आ गए। नागासाकी ओर हिरोसिमा को झगड़ो याद आ गओ। हमने अपने मोड़ा से जा बात कई तो बाने कई कि "मतारी बो झगड़ो तो जापान देस के दो गाँवन के बीच में हुओ हतो। जे तो पूरी दुनिया में पसरो है।"

   एक बात तो हमें बहुतई बुरी लगी कि सठियाये लोग जादा धियान रखें। अब भैया, भौजी और बिन्नो, गुंइयां तुम से का लुकावें (अपने जान के हम उमर बता रए हेंगे, हम तो ७० के भी ऊपर हो गए हेंगे !) हमरो तो बाहर जानो मुस्किल हो गओ। भाटसेप और जो बुद्धू बक्सो कब तक देखें, गुइयां तुमई बताओ।

      जाड़ो चलो गओ सो हमने सोची कि दुलाई बिस्तर धरिबे को बक्सा में धर के डामर की गोरी डार दें।तो का भओ कि हमरे नाती ने बा गोली देख लई और पूछन लगो कि जे गोरी काय लाने बिस्तरे में डार रई हो अम्मा तो हमने बाय समझाओ कि जे गोरी डालवे से कीड़े-मीड़े नई परतहैं।जा बात सुनके बाने ऐसी बात कई कि सब घरवारे खूब हँसन लागे।हमरो छोटो सो नाती  कहन लगो कि जे गोरी करोना वारिस के सामने काय नई डार देती हो अम्मा  ,सब कीटाणु मर जे हैं😆😆

     आज तो  हमरी दुलेन के रई हती की जो करोना वारिस वर्ड टूर पे निकर गओ है ,सो  अम्मा तुम तो घर पे रे के माला ही जपियो सो सबके लाने अच्छो रेगो।मोय तो चूल्हो चक्की ओर मोड़ा, मोड़ी को देखिबो  परेगो ।

    मोय तो बड़ो डर लग रओ है,भगवान जा  बीमारी से सबई लोगन की रच्छा करे।

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

Monday 15 June 2020

Invitation : आप और हम - रंग बिखेरें संग संग


आप और हम - रंग बिखेरें संग संग


आज मुझे आप सब के साथ share करने में बहुत खुशी हो रही है कि आप के प्यार व साथ ने केवल 2 सालों, में shades of life को एक पहचान दे दी है।

आज shades of life ना केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है, अपना नाम बना चुका है। और यह सब आपके कारण संभव हो सका है।

इनमें India, के साथ विदेशों में पढ़े जाने वाले पाठकों की संख्या भी कई हजारों में है, इन देशों में United States of America, Portugal, Peru, United Kingdom, United Arab Emirates, Germany, Phillipines, Sweden, Australia, Canada, Russia, Ukraine, South Africa, Japan, Pakistan, Turkey, Sri Lanka, आदि शामिल हैं। 

Blog के views की संख्या 60,000 के करीब पहुंच चुकी है।

मुझे बचपन से लिखने और dishes बनाने का शौक था। पर मुझे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का मौका नहीं मिल रहा था।

कभी time shortage, कभी distance, कभी nuclear family, कभी partiality, कभी difficult competition, कारण बहुत थे, पर result सिर्फ एक, मंच का अभाव।

ऐसे में मेरी बेटी ने मुझे मेरे जन्मदिन में gift के रूप में यह blog "Shades of Life" बना कर दिया। मुझे एक मंच प्रदान कर दिया। पर इस मंच को पहचान आप सब ने मिलकर दी है।

Mostly, blog में किसी एक topic पर ही सारी posts होती हैं, means वो उसी में expert होते हैं, बाकी से उन्हें कोई सरोकार नहीं होता है। जैसे Recipe वाले सिर्फ Recipe,  Short Stories वाले सिर्फ Short Stories डालेंगे, etc.

ऐसे में हमने blog को नया रूप देने की कोशिश की है। एक magazine बनाने की कोशिश की है, जिसमें आप सबकी सराहनाओं ने अद्भुत प्रेरणा प्रदान की है।

आपको हमारे blog में Stories of Life, Poems, Articles, Recipes, Kids' Stories, Tips, Short Stories, आदि मिलेंगे।

हमारे blog को यह नया रूप देने के कुछ कारण भी थे।
पहला, हमारे बचपन में magazines आती थी, जो हमारी personality improve करने में एक
important role play करती थी, जिसका आजकल अभाव है।

पर बड़ा कारण यह था कि मुझे आप सब से जुड़ना था।

सब की पसंद तो, अलग-अलग होती हैं, और जुड़ना सबसे है।

तो दायरा बढ़ा लिया और कोशिश की, कि कोई भी field ना छूटे। इसलिए हमने blog में बहुत सारे topics में post डाली। इसमें बहुत सारे topics cover किये हैं, means life के बहुत सारे shades, इसलिए ही इसका नाम भी Shades of Life है।

ईश्वर की कृपा और आप सबके आशीर्वाद, प्यार, सहयोग व शुभकामनाओं ने मुझे आगे और आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया।

आप सबका अनेकानेक धन्यवाद 🙏❤️

पर आज आपको सिर्फ धन्यवाद नहीं बोलना है, बल्कि यह दिल मांगे more...

आज आप के साथ मंच share करने का time आ गया है।

आज से हम, आप सभी को shades of life के मंच पर अपने भाव प्रकट करने का invitation दे रहे हैं। जिन्हें भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए मंच की तलाश है, उन सबके लिए यह उनका भी मंच है।

जिससे जुड़ने के लिए आपको करना है तो बस एक काम कि अपनी प्रतिभा को शब्दों में उतारिए और हमें भेज दीजिये। ना तो registration fees देनी है, ना कोई difficult competition face करना है, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि किसी को भी अपना talent express करने में कोई भी problem हो।

 तो बस आप, जिस भी field में expert हों अपनी post mail या whatsapp कर दीजिए, उसे आपके नाम से ही blog में post कर दिया जाएगा।

बस कुछ नियम हैं। आप सोचने लगे, हमने भी नियम की बात कर ही दी। पर एक बार सारे नियम पढ़ लीजिए।

1. आपको अपनी post हमें mail या whatsapp करनी होगी, अपने name, address, phone number, mail address के साथ भेजना होगा। आपकी post सिर्फ आपके नाम के साथ ही प्रकाशित होगी। आपसे जुड़ी आपकी अन्य जानकारियाँ, सिर्फ record के लिए ली जा रही हैं।  
2. Post आपकी original होनी चाहिए, copy- paste या किसी की चुराई हुई नहीं होनी चाहिए। अपनी post के अंत में 'स्वरचित व मौलिक' (self written and original) अवश्य लिखें। 
3. अगर आप Recipe या किसी भी field की उपयोगी Tips भेज रहे हैं, तो वो आपके द्वारा tested हो, और उसमें एक-एक steps clear हों और कोई भी ऐसा point ना छूटे, जो important हो।
4 . अगर आप article, poem, stories, etc send कर रहे हैं, तो उसमें सौम्यता और सरलता हो, कठिनता और क्लिष्टता ना हो। किसी तरह की अशिष्ट भाषा या राजनैतिक विसंगति का प्रयोग ना हो।
5. Recipe के साथ उसकी कम से कम 1 फोटो भेजना अनिवार्य है।  
6. बाकी post के साथ भी photo भेजने से आपकी post और अधिक खिल उठेगी, जी उठेगी। हर कोई चाहता है कि उसकी post सबको बहुत अच्छी लगे, आप भी यही चाहते हैं ना? तो बस photo के साथ अपनी post भेजिये।
7. Content , editable version में भेजें, जैसे MS word.

जिसकी रचना  है, उसके ही नाम के साथ post  की जाएगी व उस रचना की पूर्ण ज़िम्मेदारी भी रचनाकार की  मानी जाएगी।

किसी भी post की editing and publishing का अंतिम निर्णय हमारा रहेगा।

आप की post select होने पर आप को सूचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

आप को अपनी post या blog की कोई भी post का link share करने की पूरी स्वतंत्रता रहेगी।

यह आपका भी मंच होगा, अतः आप को भी यह ध्यान रखना होगा कि, इसका मान-सम्मान बढ़े, विकास हो। साथ ही यह देश- विदेश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करें।

अगर आप को अपनी post भेजते समय किसी भी तरह का doubt हो, तो अपनी query हमें भेजें।  

Mail address : shadesoflife18@gmail.com

Blog address:
https://shadesoflife18.blogspot.com/?m=1 (in mobile version)

https://shadesoflife18.blogspot.com (in web version)
contact number : 9319124314

Life is full of colours. So keep exploring and creating those different Shades of Life, here.



Friday 12 June 2020

Stories of Life : भय (भाग - 3)

भय (भाग -1) और.....

भय ( भाग - 2) के आगे.......


भय (भाग - 3)


जब वे सब घायल थे, रंजना ने वहाँ पड़ी रोड से उन चारों की बेतहासा धुनाई की। उस समय उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था, कि यह वही रंजना है, जो बेहद सौम्य है, वो पूर्णत: चंडी का स्वरूप धारण कर चुकी थी।

वो डॉक्टर थी, इसलिए उसे पता था, कहाँ मरने से ये फिर कभी किसी मासूम को सता नहीं पाएंगे, साथ ही ज़िन्दगी भर अपने कुकर्म को भुगतेंगे भी, पर ठीक नहीं हो पाएंगे। आखिर में उसने उन दोनों के पैर से गोली भी निकाल दी।

जब वो उन दरिंदों को सज़ा देकर हटी, तो उसकी वही दोस्त भी आ गयी। अरे रंजना मेरे इंतज़ार तो कर लेती, मैं भी तो आ ही रही थी ना।


रंजना ने उसे gun वापस करते हुए कहा, तुम्हारी service gun और training मेरे साथ थी। बस और मुझे कुछ नहीं चाहिए था।

रंजना आज तुम्हें भय नहीं लगा?

नहीं! आज मुझे एक ही जुनून था, इनसे बदला लेने का।

रंजना तुम्हारी जैसी सारी लड़कियाँ हो जाएँ, तो हम पुलिस वालों की जरूरत ही ना हो।

काश मुझे, उस दिन भी भय ना लगता, तो इन दरिंदों को उस दिन ही सबक सीखा देती।

रंजना, अपनी दोस्त के साथ वापस आ गयी। अगले दिन news थी, एक लड़की ने अपनी अस्मत लूटने वालों को सज़ा दी। अब सज़ा देने के लिए कानून नहीं खुद लड़कियाँ हो रही हैं बुलंद।

उन दरिंदों की हालत देखकर बहुत दिन तक उस इलाके में कोई वारदात नहीं हुई। क्योकि वो जीवित तो थे, पर बस एक जीवित लाश से। आज उन्हें समझ आ रहा था, कि जिन लड़कियों के साथ वो ऐसा करते थे, उन्हें कैसा दर्द होता था, और उन्हें कैसी अपनी ज़िदगी लगती थी।

साथ ही वहाँ की लड़कियों के अंदर भी जोश भर चुका था, कि अगर भय नहीं करेंगी, तो वो चंडी का स्वरूप बन सकती हैं। और अगर लड़की को चंडी का रूप धरना आता है, तो भय दरिंदों को लगेगा।

Thursday 11 June 2020

Story of Life: भय (भाग-2)


भय ( भाग -1) के आगे......


भय (भाग-2)


पर रंजना की माँ का भय सही निकला, एक दिन रात के समय लौटते समय रंजना को चार वहशी दरिंदों ने घेर लिया, और उसकी अस्मत तार- तार कर दी।

रंजना घर तो आ गयी, पर उस दिन से वो इतनी भय ग्रस्त रहने लगी, कि वो कमरे से भी बाहर नहीं निकलती थी।

ऐसे ही 1 महिना निकल गया, एक दिन वो TV. देख रही थी, तो उसमें news आ रही थी, उन्हीं चार दरिंदों ने एक और मासूम को बर्बाद कर दिया। इस बात से रंजना डरी नहीं, उसमें एक अलग ही हौसला जाग गया।

उसने उस रात अपने को मजबूत करने और अपने भय को हराने की बहुत सारी योजना बनाई।

अगले दिन वो अपनी एक दोस्त से मिली, और उसके साथ 1 हफ्ता गुजर दिया।

एक हफ्ते बाद वो उस जगह  बहुत style से ready होकर एक bag लेकर अकेले पहुँच गयी।


उसको अकेला देखकर वो दरिन्दे अपनी क्रूर हँसी के साथ उसको घेर कर खड़े हो गए। पर आज वो डर नहीं रही थी, क्योंकि उसे कुछ खोने का भय भी नहीं था।

उनमें से एक जैसे ही उस पर झपटा, उसने उस पर pepper spray, कर दिया। pepper spray से उसकी आंखे कसकर जलने लगी, वो अपनी आँख मलते हुए पीछे खिसक गया।

जैसे ही दूसरा आगे बढ़ा, उसने उस पर acid फेंक दिया, दूसरा भी दर्द से करहा गया।

अब बाकी दोनों एक साथ उस पर टूट पड़े। पर उसने बढ़ी फुर्ती के साथ अपनी gun निकली और दोनों के पैरों पर गोली चला दी। अब चारों बुरी तरह करहा रहे थे, वो सपने में भी नहीं सोच पाये थे, कि कोई लड़की इस तरह से उन पर वार कर सकती है।

जब वे सब घायल थे, रंजना ने.....

आगे जानने के लिए पढ़ें, भय के अंतिम भाग, 

भय ( भाग - 3) में ....