कोढ़
जब पत्रकारों की टीम आईएएस नीरज का इंटरव्यू लेने आए, तो कुछ बोले, अरे वो आरक्षण वाला है, उससे क्या पूछोगे?
तो एक पत्रकार बोला, हम आप सबके सामने उनका इंटरव्यू लेंगे।
नीरज सबके सामने था।
हाँ, तो सर, ये बताइये, जब आपके पास
कोटा मौजूद था, तो आपने उसका सहारा क्यों नहीं लिया? आप पाँच साल पहले ही इस पद पर आ जाते।
नीरज बोला, जब मुझमें काबिलियत है, तो में आरक्षरण की बैसाखी क्यों
लूँ, आरक्षण प्रतिभा पर कोढ़ है।
आज जब मैं अपनी काबिलियत और
परिश्रम के बल पर यहाँ हूँ, तो मुझे सुकून ज्यादा है। आज जब कोई
भी वर्ण का कर्मचारी मेरे सामने आता है। तो मैं उसे हक़ से परिश्रम और काबिलियत पर समझा
सकता हूँ।
अपने बच्चों और समाज से सम्मान
से नज़र मिला सकता हूँ।
लोगों को आज असलियत पता चली, तो सबके मन में नीरज के लिए अत्यंत सम्मान भर गया। पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
अगले दिन न्यूज़-पेपर पर बड़ी
हैड-लाइंस में था- नीरज जैसे ही गर सब बन जाएँ, तो देश से
आरक्षण का कोढ़ हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
सच है, सम्मान और सुकून काबिलियत और परिश्रम से ही मिलता है।