गांधी जी ही बापू क्यों
पूछा आज पुत्र ने मुझसे,
आप मुझे यह बताएं,
कितने हुए महापुरुष,
गांधी जी ही बापू क्यों कहलाएं?
पुत्र के इस प्रश्न ने
मस्तक सारा झकझोर दिया,
सोचा था ना मैंने ऐसे
इस ने आकर क्या बोल दिया?
बहुत सोचा, विचार किया,
यही बात एक समझ आई,
बापू क्यों बापू कहलाएं,
मुझको दिल ने बतलाई।
राष्ट्रपिता वो ही बन सकते हैं,
जो हो गुणों की खान,
पीर पराई समझ सकें जो,
दें जिनको सब सम्मान।
सत्य, अहिंसा थे उनके
जीवन जीने के आधार,
भारत को आज़ादी दिलवाई,
बिना उठाए एक हथियार।
गांधी जी थे, जिन्होंने
देश एकसूत्र में जोड़ दिया,
एकता में ही शक्ति है,
मंत्र दिलों में छोड़ दिया।
अडिग रहे, जो अपने पथ पर,
सफलता केवल वो ही पाए,
डरे नहीं जो मुश्किलों से,
जीत उसे फिर मिल जाए।
उनका सारा जीवन ही,
जीवन का है मूल मंत्र,
सत्य, अहिंसा, एकता, अडिगता,
मजबूत राष्ट्र का एक तंत्र।
कारण यह सारे मैंने,
पुत्र को थे बताए,
कितने साल बीत गए,
अब भी गांधी जी ही बापू कहलाएं।
आओ उनकी वर्षगांठ,
मिल जुलकर हम सब मनाएं,
जितना हो सकता हो, उनके
आदर्शों को जीवन में अपनाएं।
महात्मा गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ पर मेरा उन्हें शत शत नमन
महात्मा गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ पर मेरा उन्हें शत शत नमन