पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से, क्या मिलता है मोक्ष?
आज कल पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जिसमें हम श्राद्ध कर्म करते हैं, जिससे हमारे पितरों को शांति प्राप्त हो और वह हम से प्रसन्न होकर हमे अनेकों आशीर्वाद प्रदान करें।
अगर पंडितों की मानें तो, पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से हमारे पितर तृप्त होते हैं, उससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। और हमें सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्त होता है।
ऐसा माना जाता है कि मनुष्य योनि की प्राप्ति, बहुत से सद् कर्मों के पश्चात् होती है।
यह एक ऐसी योनि है, जिसमें हमें मोक्ष मिलना और ईश्वर प्राप्ति करना, सबसे सरल होता है।
अतः यदि इस योनि में हमने पर्याप्त पुन्य अर्जित कर लिए तो हमें सद्गति प्राप्त होगी, हम इस नश्वर संसार के आवागमन से मुक्त हो जाएंगे और हमें मोक्ष मिल जाएगा।
कहा जाता है कि, सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्ति, पितरों को प्रसन्न करने से, उन्हें तृप्त करने से मिलती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से सचमुच पितरों को प्रसन्नता और शांति प्राप्त होती है?
क्या सचमुच ऐसा करने से मोक्ष मिलता है?
कर्मकांड से क्या होता है? यह तो हम नहीं कह सकते हैं, पर अगर हम किसी की भी सेवा- सुश्रुषा, पूरे मनोयोग से करते हैं, जिससे वो प्रसन्न हों तो अवश्य ही हमें पुन्य प्राप्त होगा। फिर सेवा अगर अपने पितरों की, पूर्वजों की करेंगे तो सर्वश्रेष्ठ पुन्य प्राप्ति अवश्यंभावी है।
पर यह सेवा, कर्मकांड नहीं है। वह सेवा है, अपने पितरों की इच्छा पूर्ति करना, उनके सम्मान की रक्षा करना, उनके वंश के नाम को प्रसिद्धि दिलाना, उनको याद करना, उनके बताए मार्ग पर चलना, उनके नाम से दान पुण्य करना होता है। अगर आप यह सब करेंगे तो पुन्य प्राप्ति निश्चित है।
पर आपको पता है, इससे भी ज्यादा आसानी से और निश्चित रूप से मिलने वाले पुन्य का क्या मार्ग है?
वो है, जब आप अपने जीवित, माँ-पापा, सास-ससुर की सेवा सुश्रुषा करते हैं, उनका मान-सम्मान करते हैं, उनकी छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करते हैं, उनको बहुत सारा प्यार दें, अपना समय दें और उनकी कही बात को समझें।
सच मानिए, जब माँ-पापा, सास-ससुर प्रसन्न होते हैं तो पितर तृप्त भी होते हैं और प्रसन्न भी होते। और आपको सर्वश्रेष्ठ पुन्य भी अवश्य ही प्राप्त होता है।
और अगर आप, अपने साथ रहने वालों को तृप्त नहीं करते हैं, उनकी परवाह नहीं करते हैं, तब आप कितना ही पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर लीजिए, कितना ही दान, पिंडदान कर लीजिए। गया, बनारस, केदारनाथ आदि कहीं चले जाइए, कुछ नहीं होगा।
पर अगर आप अपने माता-पिता और सास-ससुर को प्रसन्न रखते हैं। तब ही आप अपने पितरों को प्रसन्न रखने के अधिकारी हैं।
तो चलिए अब आपको बता देते हैं कि श्राद्ध पूजा में किस पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है तथा इस साल, श्राद्ध पक्ष में कौन सी तिथि, किस तारीख में आएगी...
श्राद्ध पूजा की सामग्री
जिस दिन श्राद्ध किया जाना हो उसके पहले श्राद्ध पूजन के लिए इन चीजों को एकत्रित कर लेना चाहिए।
रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, कपूर, हल्दी, देसी घी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ।
तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, माचिस, शहद, काला तिल, जौ, हवन सामग्री।
रुई बत्ती, अगरबत्ती, गुड़, मिट्टी का दीया, दही, जौ का आटा।
गाय का दूध, घी, खीर, गंगाजल, खजूर, केला।
सफेद फूल, उड़द, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।
श्राद्ध तिथि और श्राद्ध करने की तारीख
10 सितंबर पूर्णिमा का श्राद्ध
11 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध
12 सितंबर द्वितीया का श्राद्ध
12 सितंबर तृतीया का श्राद्ध
13 सितंबर चतुर्थी का श्राद्ध
14 सितंबर पंचमी का श्राद्ध
15 सितंबर षष्ठी का श्राद्ध
16 सितंबर सप्तमी का श्राद्ध
18 सितंबर अष्टमी का श्राद्ध
19 सितंबर नवमी श्राद्ध
20 सितंबर दशमी का श्राद्ध
21 सितंबर एकादशी का श्राद्ध
22 सितंबर द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध
23 सितंबर त्रयोदशी का श्राद्ध
24 सितंबर चतुर्दशी का श्राद्ध
25 सितंबर अमावस्या का श्राद्ध
अगर आप अपने परिजनो की मृत्यु तिथि को भूल गए हैं, तो ऐसी दशा में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। धर्म शास्त्र में अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
श्राद्ध पक्ष; साल में, केवल 16 दिन के ही होते हैं, अतः इन्हें प्रेम, श्रृद्धा और सम्मान पूर्वक अवश्य करें, कर्मकाण्ड संस्कार आप को करना है तो वो भी कर सकते हैं, नहीं तो अपने पितरों को याद करते हुए, जिसका जो दिन हैं, उनकी उस दिन, पूजा-उपासना, कर के, उनके नाम से दान पुण्य अवश्य करें।
पर साथ ही अपने माता-पिता व सास-ससुर को प्रसन्न अवश्य रखें।
हम सभी पर अपने बुजुर्गो, पूर्वजों व पितरों का आशीर्वाद सदैव बना रहे 🙏🏻🙏🏻