संस्कृति बनाम आधुनिकता
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी का बयान, फटी जीन्स, और ऐसे वस्त्र जो अंग प्रदर्शन करते हैं, वो हमारी संस्कृति नहीं है। उनका यह बयान आज कल बहुत ट्रोल हो रहा हैै।
रावत जी का यह कथन पूर्णतया सत्य है कि यह हमारी संस्कृति नहीं है।
भारतीय संस्कृति में पुरुषों के लिए धोती कुर्ता व स्त्रियों के लंहगा, चोली व ओढ़नी या साड़ी ब्लाउज है।
पर आजकल कितने लोग हैं जो केवल भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही वस्त्र धारण करते हैं।
कहीं भी, कोई भी नहीं। ना पुरुष ना स्त्री।
पर हमेशा से ही वस्त्रों पर टिप्पणी स्त्रियों पर ही की जाती है। पुरुषों के किसी भी तरह के पहनावे पर कोई टीका टिप्पणी नहीं की जाती है।
उनको barmooda पहनने पर कोई रोक नहीं है, वो फटी जीन्स पहने, तो भी बर्दाश्त किया जाता है।
अगर विरोध किया जाना है तो दोनों को एक बराबर से करना चाहिए।
पर सर्वप्रथम जो सबसे ज्यादा आवश्यक है, वह यह है कि सभी लोग एक दूसरे को सम्मान दें। विशेषतः पुरुषों में उन संस्कारों की सीख अवश्य दी जानी चाहिए कि स्त्री का सम्मान करें, उन पर कुदृष्टि ना डालें।
दूसरी बात यह भी सत्य है कि सभी को अपने जीवन को जीने की आजादी मिलनी चाहिए।
पर आजादी के नाम पर कुछ भी करना आप के लिए सही हो सकता है, पर वो सही हो भी, यह आवश्यक नहीं है।
आधुनिकता के नाम पर फटी जीन्स पहनना या ऐसे वस्त्रों को धारण करना, जो अंग को ढके कम और दिखाएं ज्यादा। तो ऐसे वस्त्रों को धारण किसलिए किया जा रहा है?
इसलिए ही ना कि लोग, आप की ओर आकर्षित हों?
जब आप इस तरह से लोगों को आकर्षित करेंगे तो आप को छेड़े जाने वाले लोग ही आकर्षित होंगे, फिर आप के साथ दुर्व्यवहार भी होने की संभावना होगी ही।
अतः वस्त्र जो भी पहने, आधुनिक या भारतीय। बस इतना ध्यान रखिए कि वस्त्र, शरीर को ढकने के लिए होते हैं, दूसरों को 'अनावश्यक रूप से' आकर्षित करने के लिए नहीं। हम पर्दा प्रथा के समर्थन में नहीं है और ना ही ऐसे वस्त्रों के जिसमें आप के उन अंगों का प्रदर्शन हो, जो शालीनता की सीमा से परे हो।
आप उपेक्षित रहें, यह भी पूर्णतया अनुचित है।
आप को लोगों को आकर्षित करना है, तो अपने काम से और ज्ञान से कीजिए, क्योंकि जो आप के ज्ञान और कौशल से आकर्षित होंगे वे आपका सदैव आदर करेंगे और सराहना करेंगे।
अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप को कैसे लोग अपने इर्द गिर्द चाहिए।