Vote on sale
चुनाव का समय चल रहा था। बहुत से प्रतिद्वंद्वी चुनाव के समर में शामिल थे।
राधवेन सत्ता का मंझा हुआ खिलाड़ी था, उसे पता था गांव के भोले-भाले लोगों को कैसे ठगा जा सकता था। उसने पूरे गांव के हर घर में 200 rs., 4 kg. चावल और 1 दारू की बोतल बांट दी, और सबको हिदायत दे दी गई कि वोट उसे ही दें।
चुनाव के नतीजे निकले और वही हुआ, जो होना था। राघवेन चुनाव जीत गया।
चुनाव जीतने के साथ ही राघवेन ने अपना गुंडाराज मचाना शुरू कर दिया। हर जगह आतंक, लूटपाट, दुराचार आरंभ हो गया।
राघवेन के भाई धीरेन की किराने की दुकान थी। सरकारी खर्च पर मिले राशन से धीरेन के गोदाम भरने लगे, जिससे गांव वालों को ऊंचे दामों में राशन मिलता।
गांव में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगने लगा, सड़कों की हालत खस्ता होने लगी।
किसानों के खाते में आने वाले रुपयों का मात्र 10% ही उन्हें मिलता। बाकी से राघवेन की तिजोरी भरती।
ऐसे ही चार साल बीत गए।
पूरा गांव त्रस्त था। सभी राधवेन के घर जाकर गुहार लगाने लगे कि हमें न्याय चाहिए। हमें अपने अधिकार चाहिए।
राघवेन ने बाहर आकर कहा, किस बात का अधिकार?
हमने आपको नेता बनाया है। सभी एक साथ बोले।
कहे बात का बनाया है, तुमने अपने वोट, अपना अधिकार मुझे रुपए, चावल और दारु में बेच दिया था। और बेची हुई वस्तु पर अधिकार उसका होता है, जिसने खरीदी थी।
जब मैं तुम लोगों को वह सब दे रहा था, तब तो किसी ने नहीं कहा था, हमें सुरक्षा-सुकून और विकास चाहिए। किसी एक ने भी नहीं कहा था कि हम चाहते हैं कि हमारा गांव सबसे उन्नत हो।
अब जाओ, सब यहाँ से। सब अपना सा मुंह लेकर लौट गये।
राघवेन के मित्र ने उससे कहा, तुम इनके वोट से ही जीते हो, ऐसा करोगे तो, अगला चुनाव नहीं जीत पाओगे।
राघवेन बोला, यह गांव वाले बहुत स्वार्थी हैं। अगले चुनाव में इन्हें फिर कुछ लालच दे दूंगा और फिर यह अपने वोट बेच देंगे।
जब तक इनके मन में स्वार्थ है, तब तक छोटे-मोटे लालच देकर राज किया जा सकता है।
जब तक यह किसी भी लालच में फंसते रहेंगे, बिकते रहेंगे, तब इनका कम और हमारा ज्यादा लाभ है।
मुश्किल तब होगी, जब यह अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर गांव के विकास के लिए सोचेंगे, गांव को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए सोचेंगे।
ऐसा क्यों?
क्योंकि तब यह किसी लालच में बिकेंगे नहीं, तब हम गुंडाराज नहीं कर पाएंगे, हम अपने गोदाम नहीं भर पाएंगे, हमें गांव का विकास करना होगा, उसे सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा।
उन दोनों के वार्तालाप को मनकू ने मोबाइल फोन में record कर लिया, फिर गांव वालों को सुनाकर बोला, अभी फिर से चुनाव आ रहे हैं।
अपना वोट सोच-समझकर देना, लालच में पड़कर, स्वार्थी होकर अपना वोट, अपना अधिकार बेचना मत।
सम्पूर्ण गांव का विकास ही अपना विकास है। जब यह सोच कर वोट देंगे, तभी अपने अधिकारों की मांग कर सकेंगे।
यह बात सभी गांव वालों को समझ आ गई।
यह तो रही उस गांव की बात, हमारे उत्तरप्रदेश में भी वोट डाले जा रहे हैं, आप भी किसी लालच में मत पड़ना और अपना वोट सोच-समझकर देना।
देश की सुरक्षा और विकास ही सर्वोपरि है। उसी में हमारा हित है।
याद रखिएगा, U.P. का vote, जनता के पास है remote.
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳