यह कैसा प्यार (भाग -2) के आगे.....
यह कैसा प्यार (भाग -3)
ऋषि, तान्या के साथ वहाँ आया तो उसने देखा, बंगला वाकई बहुत खूबसूरत था पर, बंगले के अन्दर आते ही उसे अजीब सी feeling हो रही थी।
उस बंगले को देखकर लग रहा था कि ना जाने यह बंगला अपने अंदर कितना कुछ छिपाए हुए है।
शहर से दूर एकांत में हमें बंगला लेने की क्या जरूरत है? हमारा अपना बंगला कितना सुन्दर है।
यही ना, ऋषि तुम तो कभी चाहते ही नहीं हो कि हम दोनों के बीच कोई नहीं आए। सिर्फ हम दोनों एक दूसरे में खोए रहें।
क्या कह रही हो तान्या ? तुम आधे घंटे से ज्यादा देर रुकती कहाँ हो?
अपनी चोरी पकड़ी देखकर तान्या, ऋषि के गले लग गई, जानू मैं तुम्हारे साथ बहुत सारा time spend करना चाहती हूँ, इसलिए तो बोल रही हूँ।
अच्छा अगर ऐसा है तो चलो, ले लेता हूँ।
ओ मेरे सोना, love you, love you....
ऋषि ने बंगला ख़रीद लिया, और तान्या के साथ वहाँ shift हो गया।
ऋषि और तान्या की जिन्दगी खुशियों से भर गई, ऋषि, तान्या का हरपल का साथ पाकर खिल गया।
उसने business पर भी अच्छे से ध्यान देना शुरू कर दिया।
Business फिर से अच्छे से उठने लगा।
तभी एक दिन तान्या ने अपने एक दोस्त रोहित से ऋषि को मिलवाया।
ऋषि यह मेरा childhood friend है, क्या तुम इसे अपने business में शामिल कर सकते हो? तुम ऐसा करोगे तो, मेरे दिल में तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा प्यार बढ़ जाएगा।
ऋषि को समझ आ रहा था कि तान्या पूछ नहीं रही है, बल्कि रोहित को business में शामिल करने पर ज़ोर दे रही है।
ना चाहते हुए भी ऋषि को रोहित को अपने business में शामिल कर लिया।
पर जैसा ऋषि ने सोचा था.......
आगे पढ़ें, यह कैसा प्यार (भाग -4) में.......