पिता - जिनके बिना सब अधूरा!
आज father's day के उपलक्ष्य में, मेरी यह कविता "पिता" को समर्पित है।
आज father's day के उपलक्ष्य में, मेरी यह कविता "पिता" को समर्पित है।
पिता
जिनके बिना सब अधूरा
जिनके होने के एहसास से ही
मेरा व्यक्तित्व हो पूरा
ये हमारी ज़िंदगी में
एक अहम
भूमिका निभाते हैं
हर रिश्ते की पहचान इनसे
यही हमको दुनिया में
जीने के काबिल बनाते हैं
यही हैं वो जिसने
मेरे सपनों की खातिर
अपना सपना तोड़ दिया
सोते थे कभी चैन से
मेरे होने के बाद
गहरी नींद में सोना
छोड़ दिया
इनके बिना मेरा
अस्तित्व भी अधूरा
माँ
गर हैं धरती
तो
पिता आसमां पूरा।