अब तक आपने पढ़ा, सुधा अपने बेटे आर्यन का विवाह श्रेया से कर देती है। उसके अपनी बहु को लेकर बहुत अरमान थे, पर दोनों सास बहु में बिलकुल नहीं पटती है। प्रेमा मौसी के आने से क्या हुआ?
अब आगे
बस एक कदम (भाग-२)
एक दिन आर्यन की प्रेमा मौसी आई। उनके
ख़यालात बड़े सुलझे
हुए थे। चंद ही दिनों में
उन्हें घर का माहौल समझ आ गया। उनसे अपनी जिज्जी की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही थी।
उन्होने श्रेया के शौक पता किए, फिर वैसे ही वो भी करने लगीं। श्रेया और उनकी कुछ ही दिनों में
पटने लगी। वो बड़ी
समझदारी से दोनों को समझाने लगी। दोनों ही उनकी बात मानते थे।
उन्होंने श्रेया से पूछा, बेटा
तुम अपनी माँ से भी
बात नहीं करती हो?
वो बोली नहीं, माँ
और मेरी तो बहुत बनती है। मेरी बहुत सी आदत भी माँ से ही मिलती है।
अच्छा! जैसे? अरे जैसे देर से उठना, फिर दिन भर chat करना, facebook पर रहना आदि , अरे हाँ मैं और माँ,video
game भी खेलते थे, उसमे तो माँ एकदम champion
हैं।
सही है life enjoy ही करना चाहिए, कह कर प्रेमा चली गई।
अब वो सोचने लगी, ऐसा क्या किया जाए? जिससे जिज्जी और बहू के बीच नज़दीकी आ जाए।
उन्होने आर्यन से बात की, कि वो
क्या चाहता है, आर्यन बोला मैं तो हमेशा से यही चाहता
हूँ कि माँ और श्रेया में अच्छे संबन्ध हों। मैंने तो कोशिश
भी की थी मौसी, पर
दोनों यह कह कर
मुझसे ही लड़ने लगते हैं, कि
मैं तो उसका ही पक्ष लूँगा। क्या करूँ मैं? किसका साथ ना दूँ। इसलिए मैंने बोलना ही बन्द
कर दिया, आर्यन
बहुत ही उदास होकर बोला।
पर बेटा हार मानने से तो कुछ नहीं होगा। जिज्जी बहुत अकेले होती जा रहीं है। मेरा साथ
देगा, दोनों
को एक करने में? क्यूँ
नहीं मौसी, आर्यन चहक कर बोला।
प्रेमा ने आर्यन से नए नए video
game सीखे। फिर सुधा को
अपनी कसम दिलाकर अपने साथ खेलने को मजबूर कर दिया। जब सुधा expert हो गयी, तो
एक दिन तेज़ आवाज़ में
video game खेलने लगी।
तेज़ शोर से श्रेया की नींद खुल गयी, उसने
जब मौसी और माँ को game खेलते हुए देखा, तो
वो हैरान हो गयी। पर
अपने आपको खेलने से रोक भी नहीं पा रही थी। बोली मैं भी एक game खेलूँ ?
प्रेमा तो इसी फिराक में ही थी, वो
तुरंत उठ गयी। बोली हाँ बैठो, मैं कुछ खाने को
लाती हूँ, कहकर
चली गयी। उसके जाने के बाद थोड़ी
देर तो शांति रही, पर कुछ
देर में ही हंसी की
आवाज़ें आने लगी। प्रेमा ½ घण्टे बाद
ही अपने हाथ में cold
drink, पकौड़े
और baked नाश्ते ले आई। खेलते खेलते दोनों
सास बहू ने सब तरह की चीज़ खा ली। खेल खत्म होने पर श्रेया बोल उठी, मौसी
मज़ा आ गया। माँ तो
बहुत ही अच्छा खेलती हैं? मुझे तो पता ही नहीं था, और
उस पर ये पकौड़े, इनका तो जवाब ही नहीं है। प्रेमा बोली ये पकौड़े
तो दीदी की specialty
है, उन्हीं से सीखे हैं। सच माँ! आप मुझे ऐसे
पकौड़े कब बना के खिलाएँगी? श्रेया को चहकता
देखकर सुधा भी बहुत खुश थी। वो बोली मुझे तो ये baked नाश्ता ज्यादा अच्छा लगा। अरे माँ वो, तो मौसी
कल ही मुझसे लेके गईं थी। ठीक है जब तुम मुझे ये baked
नाश्ता खिलाओगी, तब
मैं भी तुम्हें
पकौड़ी खिला दूँगी, सुधा ने मुस्कुरा
के बोला। माँ पक्का, आप जब कहेंगी।
इसके साथ ही सब खिलखिला के हँसने लगे।
अगले दिन प्रेमा ने दोनों को बोला, आज
हम लोग अदला-बदली
वाला game खेलेंगे। दोनों बोल पड़ी, इसमे क्या होगा?
प्रेमा मौसी ने और कौन सी युक्ति लगाई, दोनों को पास लाने में
जानते हैं बस एक कदम (भाग-३) में