कोकिला (भाग - 1),....
कोकिला (भाग - 2)......
और कोकिला (भाग - 3) के आगे....
कोकिला - (भाग - 4)
अंधा! भास्कर अंधा है? कभी तो ऐसा नहीं लगा, सब काम perfectly करता है। नहीं शायद अंधा ही है, मुझे देख नहीं सकता, शायद इसलिए मुझे beautiful
girl कहता है।
ना जाने कितने सवाल एक साथ कोकिला के मस्तिष्क में घूम गए।
भास्कर, कोकिला की तरफ मुड़ा, तुम राहुल की बात का बुरा मत
मानना। वो जलता है मुझसे, तभी तुमको भी उल्टा-सीधा बोल गया।
मैंने बुरा नहीं माना, मुझे तो दोस्त भी भूतनी बुलाते थे, मैं हूँ ही इतनी काली और कुरूप। एक आप ही हैं, जो मुझे beautiful girl बुलाते थे, आज पता चला क्यों?
क्यों? भास्कर ने पूछा।
आप देख नहीं सकते ना, इसलिए।
किसने कहा, मैं देख नहीं सकता? मैं देखता हूँ मन की आँखों से, तुम सच में बहुत सुंदर हो। जिसने भी तुम्हारा नाम कोकिला रखा है, बिल्कुल सही रखा है, तुम कोयल से भी मीठा गाती हो।
मैं तुम्हें ऊंचाइयों पर ले जाऊँगा, इतनी ऊंचाइयों पर जहाँ से तुम सबको सुंदर लगोगी। क्या तुम मेरा साथ दोगी?
भास्कर की बातों ने कोकिला में गजब का आत्मविश्वास भर दिया था।
दोनों का concert start हुआ तो उसकी देश विदेश में धूम मच गयी। stage में जाने से पहले कोकिला का भरपूर make-up होता।
अब कोई उसे भूतनी ना कहता, सब उसकी आवाज़ के दीवाने थे।
दोनों में प्यार हो गया।
एक दिन भास्कर के पास एक doctor आए, वे बोले, मैं आपकी आँखों का operation कर सकता हूँ...
आगे पढ़ें कोकिला (भाग - 5) में...