होली का उत्सव आने वाला है और अपने साथ लाने वाला है, रंग, उत्साह, उमंग और पानी की ठंडी-ठंडी बौछार...
लेकिन होली के आते ही कुछ 'so-called समाज सुधारक' पानी के अपव्यय पर भाषण देना शुरू कर देंगे और होली के त्यौहार को नीरस करने का पूर्ण प्रयास करेंगे। ऐसे लोगों को पानी की बर्बादी केवल होली में ही दिखाई देती है... पर क्या यह उचित है कि हिन्दूओं के प्रत्येक त्यौहार को किसी ना किसी बात का मुद्दा उठाकर नीरस कर दिया जाए?
नहीं ना...
आज ऐसे ही लोगों के लिए, साथ ही उन लोगों के लिए भी जिन्हें होली का त्यौहार बहुत प्रिय होता है, हम बहुत अच्छा उपाय लेकर आए हैं...
जिससे पानी का अपव्यय भी कम होगा और त्यौहार का मज़ा भी दोगुना रहेगा।
A Sustainable Holi
तो चलिए, बात करते हैं उस उपाय की...
I. Saving water for Holi :
इसके लिए सबसे पहले आपको मितव्ययिता अपनानी होगी। मतलब पानी तो बचाना है, मगर सिर्फ होली के दिन ही नहीं, बल्कि कुछ दिन पहले से पानी को मितव्ययिता से use करें।
- Means अगर आप shower लेते हैं तो कुछ दिन पहले से shower लेना बंद कर दीजिए, क्योंकि shower लेने से बहुत ज्यादा पानी बर्बाद होता है।
- आप अपने घर के नलों के पानी का pressure कम कर दीजिए। नल में pressure जितना ज़्यादा होगा, पानी उतना ही ज्यादा बर्बाद होगा।
- आप दाल, चावल, सब्ज़ियां, कपड़े आदि धोने में ध्यान रखिए कि उसका धुला हुआ पानी बह ना जाए। बल्कि आप उसी पानी से अपने bathroom को धो सकते हैं या उस पानी को पेड़-पौधों पर डालकर उसका सदुपयोग कर सकते हैं।
अब उपाय करते हैं, होली के दिन का...
II. Preserving water on the day of Holi/Dhulendi :
- उस दिन के लिए आप organic colours को use कीजिए। यह रंग आपकी skin के लिए भी अच्छा होता है, साथ ही इन रंगों को छुड़ाने के लिए आप को कम पानी की आवश्यकता होगी।
- एक-दूसरे पर पानी फेंकने में ध्यान रखिए कि उसकी मात्रा बहुत अधिक ना हो। आप मस्ती के लिए पानी use कीजिए पर बर्बादी के लिए नहीं...
- जहां पर खेलने के लिए पानी भर रहे हों, वहां पानी भर जाने के बाद बहते हुए रहने मत दीजिए, बल्कि बार बार नल को बंद करने और खोलने का काम करते रहें।
- रंग का उत्सव सदैव ऐसी जगह खेलें, जहां कुछ दूरी पर पेड़-पौधे भी लगे हों, जिससे रंग खेलने के दौरान use होने वाला पानी बर्बाद ना हो, वो पेड़-पौधों में चला जाए।
मतलब इन उपायों से जब हम पानी बचाएंगे तो हम इसी पानी को होली में उपयोग में ला सकेंगे।
आप कहेंगे कि पानी का अपव्यय तो अभी भी हुआ?
बिल्कुल हुआ, पर, उतना नहीं जितना हम हमेशा करते हैं। और हमने उसके लिए पानी की बचत भी पहले से की थी।
इस तरह से पानी भी बचेगा और त्यौहार भी उत्साह से सजेगा।
अरे हाँ, अब यह उपाय उनके लिए है, जिनके घरों में पानी की बहुत ज्यादा crisis रहती है...
III. Playing Holi/Dhulendi in areas which face deficiency of water :
होली फागुन का त्यौहार है, इसमें फूलों की बहार रहती है। पलाश और टेसू के फूल तो विशेष रूप से होली में ही आते हैं और इनका उपयोग तो भगवान श्रीकृष्ण जी के समय से हो रहा है। तो बस, आप पानी के अभाव में पलाश और टेसू के पुष्पों के साथ ही अन्य फूलों को भी अपने रंगों से replace कर दीजिए।
नहीं, माननी है तो बस एक बात, चाहे जो भी हो, हम होली का त्यौहार ज़रूर मनाएंगे, वो भी पूरे उत्साह, उमंग और खुशियों के साथ... उसे किसी भी तरह से नीरस नहीं होने देंगे।
तो बोलो सा रा रा रा रा रा रा रा रा...
आप सभी को होली पर्व की advance में हार्दिक शुभकामनाएं 💐💦