मैं ना रहूँ अनाथ
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महेश कहूँ या शिव में कहूँ,
या कहूँ तुम्हें, मैं भोले नाथ।
सबमें बस तू ही तू है,
तेरे द्वार खड़ा मैं जोड़े हाथ।।
हीरे मोती मैं ना चाहूँ,
ना चाहूँ, सुख संसार।
मोह माया, मैं तजकर,
बस, भजन भजूं दिन रात।।
नैना मेरे दर्शन को तरसे,
ना जाने कब वो सावन बरसे।
इन चातक नैनों की,
बुझ जाए, जब प्यास।।
तुम तो हो नाथों के नाथ,
धर दो प्रभू अपना हाथ।।
पा जाऊं, जो शरण तुम्हारी,
तो मैं ना रहूँ अनाथ।।
आप सभी को सावन के पहले सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻🔱🕉️🙏🏻