किसी के जाने के बाद
उठ खड़ा हो, तू पुनः
कर जिंदगी का आगाज़।
कब रुकी है जिन्दगी,
किसी के जाने के बाद।।
स्वप्न को फिर, तू सजा,
आसमां तक पहुंचने का।
हौसलों की उड़ान को,
पुनः अपने अंदर जगा।।
था मुख़्तलिफ़ अंदाज तेरा,
आ, फिर उसी स्वर में तू गा।
तुझ सा नहीं कोई जहां में,
आकर यह सबको बता।।
जाने वाला गया है,
ना जाने किस जहां?
बैठकर, आंसू बहाकर,
हासिल ना होगा कुछ यहाँ।
ग़म के अंधेरे गर्त में,
रहकर, ना वक्त बर्बाद कर।
तू ही सवेरा है जिंदगी का,
ना तिमिर को स्वीकार कर।।
उठ खड़ा हो तू पुनः ,
कर जिंदगी का आगाज़।
कब रुकी है जिन्दगी,
किसी के जाने के बाद।।