Tuesday 22 November 2022

Story of Life : ज़िन्दगी का पड़ाव ( भाग - 2)

ज़िन्दगी का पड़ाव ( भाग - 2)


निशा, कैसा लगा तुम्हें? 

उस दमदार आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई...

आह! यह तो नीलेश हैं, cream colour की शेरवानी, उन पर बहुत फब रही थी, और उस पर उनकी लहराती जुल्फों ने तो कमाल ही कर दिया था।

दो मिनट बाद खुद को संभालते हुए, मैंने मन ही मन सोचा अरे निशा, क्या कर रही है, लड़कियों को यूं दीवाना नहीं होना होता है, उन्हें तो बल्कि दीवाना बनाना होता है...

यह ख्याल आते ही मैं सकुचाते, शरमाते हुए अपने में सिमटने लगी। 

नीलेश मुझे अपनी बाहों में थाम कर बिस्तर तक ले गए, और बैठते हुए बोले, शायद तुम्हें बिना फूलों का कमरा पसंद नहीं आया हो, पर मुझे पसन्द नहीं कि अपने सुख के लिए हम किसी और को रौंदे या कुचलें... पर फिर तुम्हारा ख्याल आया, वैसे मैं आपको, तुम तो बोल सकता हूं ना?

मैंने बिना कुछ बोले, हाँ में सिर हिला दिया...

तुम्हारा ख्याल आया तो सोचा कि तुम्हारे भी तो कुछ अरमान होंगे? इस सोच के साथ एक नये अंदाज में तुम्हारे स्वागत की तैयारियां करने लगा।

जैसे फूल ना सही पर कमरे के कोने कोने से तुम्हें गुलाब की सुगंध आए, तो पूरे कमरे में गुलाब का perfume छिड़क दिया। कमरा तुम्हें खूबसूरत लगे, इसके लिए चुन-चुन कर decorative pieces से कमरा सजाया और अगर कहीं तुम्हारी पसंद फिल्मी हों तो यह सोचकर, mild romantic number भी बजा दिया...

नीलेश की बातें सुनकर लगा अच्छा हुआ, हमारी arranged marriage हुई... इन्हें मेरे बारे में कुछ नहीं पता, इसलिए मुझे खुश करने के लिए, कितना कुछ किया है, गर सब पता होता तो इतना रोमांटिक नहीं होता। 

कोई फूलों के लिए भी ऐसे सोच सकता है, इनका हर एक के लिए caring nature ने मेरे दिल को छू लिया, साथ ही मेरी भावनाओं की इतनी परवाह..

मन बार बार मां-पापा को धन्यवाद दे रहा था... मां-पापा से बढ़कर, हमारे लिए कोई अच्छा नहीं सोच सकता है, हम खुद भी नहीं..

नीलेश की बातें,  रोमांटिक माहौल और मेरे दीवानेपन का असर कुछ ऐसा था कि कब हम दोनों एक-दूसरे में समा गये पता ही नहीं चला... 

सुबह जब उठी तो लगा, जैसे इतने सुन्दर ख्वाब की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मैं जो किसी को अपने को छूने को तो क्या, पास बैठने तक नहीं देती थी, आज किसी के आगोश में समा चुकी थी।

तभी बुआ जी की कड़क आवाज़ गूंजी, भाभी, तुम्हारी बहुरिया आज उठेगी भी या नीलेश के साथ ही रहेगी?

बुआ जी की एक कड़क आवाज़ से पूरा घर हरकत में आ गया। 

नीलेश, जो अभी तक गहरी नींद में थे, भड़भड़ाकर उठे, मुझे जगा देखकर बोले, कमरे से लगा बाथरूम है, जितना जल्दी नहा धोकर ready हो सकती हो जाओ..

नहा धोकर! इतनी सुबह? ..

बिल्कुल, वरना बुआजी को सातवें आसमान पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता...

आप भी नहीं, मैंने घबराते हुए पूछा...

बिल्कुल भी नही, सोचना भी नहीं...

बाकी परेशान ना हो, आज भर adjust कर लो, शाम को बुआ जी की train  है... माँ बहुत cool हैं, फिर हम दो दिन में Bombay के लिए भी निकल जाएंगे।

मैं नीचे के bathroom में ready हो जाऊंगा, तुम भी जल्दी आ जाना...

आगे पढ़े, ज़िन्दगी का पड़ाव ( भाग - 3) में...