हमारी ज़िंदगी में उम्र के तीन पड़ाव होते हैं, बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था।
यूँ तो हर पड़ाव का अपना महत्व होता है, हर पड़ाव की अपनी अपनी priorities होती हैं, अपने शौक और अपने ही मज़े होते हैं।
पर आज एक नई ही सोच जागृत हुई, जब hospital जाना हुआ।
Hospital में time लग रहा था और पतिदेव को office जाने में देरी हो रही थी। अतः, हमने मिलकर decide किया, कि वो अपने office जाएं और हम hospital में खुद को दिखवाकर घर लौट जाएं।
उम्र का पड़ाव
तो बस हमें hospital में बिठा कर, वो office के लिए रवाना हो गए।
हम doctor का इंतजार करते हुए, समय व्यतीत कर रहे थे। तभी एक aged couple आया, और उनके साथ ही उन लोगों की एक attendant.
Aunty जी थोड़ी स्वस्थ सी थीं, पर पूरी तरह से नहीं। जबकि uncle जी थोड़ा ज़्यादा बीमार थे।
Basically, उनको ही दिखाने आए थे वो लोग...
Aunty जी बड़ी cute और शांत सी थीं, जबकि uncle जी अक्खड़ और dominating थे।
हाँ, तो बात करते हैं जो आज observe किया था।
पूरे समय में aunty जी, हर थोड़ी देर में अंकल जी को कभी पानी पीने को, तो कभी कुछ खाने को लिए पूछतीं, फिर uncle जी की इच्छानुसार उन्हें खाने और पीने को देती जातीं।
Aunty जी जितनी सौम्यता से uncle जी के साथ व्यवहार कर रही थीं, uncle जी उतना ही रूखा व्यवहार दिखा रहे थे। वो ऐसा कर रहे थे, जैसे aunty जी को वैसा करना ही उनका पत्नी धर्म...
खैर आगे की बात करते हैं। उन दोनों को देखकर यह प्रतीक हो रहा था कि अगर आप के साथ आपका अपना partner है तो आप की जिंदगी set है ।
क्योंकि यही मायने में ज़िंदगी second innings में ही है। इस समय में इंसान के पास वो सब होता है, जिसकी वो ज़िंदगी भर कामना करता है।
पैसा, जिसे वो कमा चुका होता है, एक position, जो वो पा चुका होता है, ज़िम्मेदारी, जिन से वो मुक्त हो चुका होता है, ज़िंदगी की भाग-दौड़, जो अब जीवन संध्या पर पहुंच चुकी होती है और समय, वो तो बेइंतहां होता है।
ऐसे में दोनों सिर्फ एक दूसरे के लिए समर्पित होते हैं। जो कि बहुत ही खूबसूरत होता है...
और एक बात, यह ही वो पल भी होते हैं, जो बिन partner के व्यतीत करना अत्यधिक कठिन भी होता है।
इसलिए आप से सिर्फ इतना ही कहना है कि अपने partner और अपना बहुत ध्यान रखिए, जिससे ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत पल, आप भी जी सकें।
ईश्वर से सबके लिए शुभ की प्रार्थना...