Wednesday 27 May 2020

Letter : डियर ज़िंदगी

आज एक और विधा में लिखा है, शायद आपको यह style भी पसंद आए। यह विधा, पत्र लेखन की है, जो आज कल की भागती दौड़ती जिंदगी में कहीं विलुप्त होती जा रही है।

पत्र की बात चली, तो याद आ गए, वो बचपन के दिन, जब नानी-मौसी , दादी-चाची को पत्र लिखा करते थे। हमउम्र मौसी के साथ तो होड़ लगती, कि कौन बड़ा पत्र लिख सकता है। 

और सच जानिए, उन लिखे हुए पत्र के जवाब एक दूसरे की जिंदगी में घटने वाले एक एक लम्हे के रूबरू ले आता था, क्योंकि लम्बे लम्बे पत्रों में जीवन का हर पल जो समेट देते थे। पर आपको पता है, इससे यह भी गजब का एहसास होता था कि हम साथ ही रह रहें हैं।

साल गुज़रे, जवानी आयी।

Email और mobile का जमाना आ गया।

शादी तय हो गई, तो होने वाले पति से कहने की हिम्मत जुटाई, कि courtship period में हम पत्र भी लिखेंगे, एक दूसरे को।

वो बोले, आज कल कौन पत्र लिखता है, mail कर दूंगा।

पर सारी शर्म को ताक पर रख कर, सकुचाते हुए, इतना ही कहा, मुझे प्रेम पत्र चाहिए।

कितना हंसे थे वो उस दिन......... पर मान गए।

शुरू में छोटे-छोटे पत्र लिखे,  फिर हमारी देखा देखी बड़े पत्र भी लिखने लगे, क्योंकि हम तो बड़े पत्र लिखने में महारथी थे ही।

पर इस नश्वर संसार में, जहाँ उस समय की बातें, यादें, mail , sms सब धूमिल और धुंधले पड़ गये हैं, वहाँ हमारे वो प्रेम पत्र, आज भी संरक्षित है, हमारे अमर प्रेम की गवाही देते हुए।

आज की इस click or tick की दुनिया में पत्र की विशेषता कोई क्या समझेगा। जहाँ शब्द भी मुकम्मल होने को मोहताज हों, वहाँ पत्र की बारी तो आनी ही नहीं है।

पर मन भी बड़ा बांवरा है, ठान लिया कि पत्र लिखना है तो बिना लिखे शांत भी तो नहीं होगा।

सोचा इस भागदौड़ भरी जिंदगी में किसे लिखें? किसी ऐसे को, जिसको कभी किसी ने पत्र ना लिखा हो।

क्योंकि जिसको कभी किसी ने पत्र ना लिखा हो, पत्र की महत्ता भी उसे ही सर्वाधिक होगी।

इस गहन सोच में डूबी थी, तो ख्याल आया कि ज़िंदगी में कितनों को पत्र को लिखा... नहीं लिखा, तो बस उसे जो सबसे नजदीक थी, पर कभी एहसास ही नहीं हुआ कि उसे भी एक पत्र का इंतजार होगा।

तो आज का पत्र ऐ ज़िंदगी तुम्हारे ही नाम...

डियर ज़िंदगी



कितनी हसीन हो तुम, हरपल साथ थी, पर तुम्हें ही भूल कर कभी पैसे कमाने और कभी उन्हें बचाने की कवायद में ही लगे रहे। 

बिना इस एहसास के कि जैसे खर्चा करने की कोई इंतहा नहीं होती, वैसे ही कमाने और बचाने का भी कोई अंत नहीं है।

पर इस कमाने-बचाने की ऊहापोह में ज़िंदगी के कभी ना लौट कर आने वाले हसीं लम्हे जरुर आहिस्ता आहिस्ता हमारे हाथ से रेत की तरह फिसल जाएंगे।

तो आज से वादा है, तुझसे  ज़िंदगी इन ना लौटने वाले लम्हों के पास हम लौट आएंगे।

ज़िंदगी, अब एक एक पल भरपूर जिएंगे, कोई लम्हा हम से बिना मिले नहीं जाएगा, चाहे उसके लिए दमड़ी कुछ कम ही कमांए पर सुकुन भरपूर रहेगा।

ज़िंदगी, तूने आज आंख खोल दी कि हमने इन्सानी रूपी जन्म, सिर्फ भागने दौड़ने के लिए नहीं पाया है। यह तो कोई भी जीव कर लेता है।

मनुष्य जीवन मिला है, सृष्टि के सृजन के लिए, संतुष्टि के मिलन के लिए, ईश्वर से लगन के लिए।

अब से, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हें भरपूर पाने के लिए, तुम में समां जाने के लिए।

Love you ज़िंदगी 💞