Nepotism vs Talent
आज कल nepotism का बहुत
शोर मचा हुआ है, पर ये बला क्या है, nepotism?
हम में से ना जाने कितनों को इसका मतलब भी नहीं पता
होगा, पर भेड़चाल में झंडे हम ने भी उठा रखें हैं और आवाज भी बुलंद कर रखी हैं। भाया, हम किसी से कम हैं के? मतलब पता हो या ना हो, result जानते हों कि ना हों,
पर आवाज़ हमारी भी कम नहीं होगी किसी से। पत्थर हमारा भी दूर तलक जाएगा, चोट वो भी ज़ोर की पहुँचायेगा।
चलिये तो सबसे पहले, मतलब समझ लें, nepotism का - इसका मतलब होता है, वंशावली, सामान्य भाषा में बोलें तो, अपने वंश को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ाना, बेटे को, बेटी को, भाई को, भतीजे को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ाना, भाई-भतीजा वाद करना।
तो अब बात करते हैं कि nepotism
कहाँ नहीं है?
एक सफल Businessman अपना business
आगे किसे देगा? अपने बेटे, भाई, भतीजे को ही ना?
कोई सफल Doctor, अपना clinic
भी अपनों को ही देगा ना?
एक सफल coaching वाला भी
अपने लोगों को ही ना?
ये तो सारी ही बात business field की हुई।
अब ये बताइये, आप जो नाम, शोहरत, रुपए-पैसे कमा रहें हैं, किसके लिए? अपनों के लिए ही ना? उन्हीं को देंगे ना?
तो अगर नेता, अभिनेता भी यही
करते हैं, तो क्या गलत है? वो जिस field
की समझ रखते हैं, जिस मुकाम पर मेहनत से पहुँचे
हैं, तो वो भी तो अपने लोगों को उसमें आगे बढ़ाएँगे।
Nepotism से लाभ क्या है? जिनके
पास, उनके बड़े ने किसी क्षेत्र में मुक़ाम हासिल किया हुआ है, उन्हें सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ने में संघर्ष नहीं करना है।
माना की सफलता की पहली सीढ़ी तक पहुँचने में कई दिन
और सदियाँ लग जाती हैं।
पर आपको पता है, जीत हमेशा talent
की होती है।
इसका साक्षात उदाहरण हमारे सामने सभी युग में रहा।
जो मान सम्मान, प्रभु श्री राम का था, वो
लव और कुश का नहीं, जो प्रभु श्री कृष्ण का था, उनके पुत्रों का नहीं। गुरुनानक, मोहम्मद साहब का
था, क्या वही सम्मान उनके पुत्रों का था?.....नहीं।
रावण, कंस, कौरव,...... जैसे लोगों के पुत्रों का भी नहीं।
विक्रमादित्य, अशोक, अकबर....... जैसे राजाओं के पुत्रों का भी नहीं।
सदियों से चली आ रही, काँग्रेस में
भी नहीं, सदी के नायक अमिताभ बच्चन के बेटे का नहीं.....
लालू यादव, मुलायम सिंह यादव
के बेटों का नहीं.....
कहने का मतलब है, जब ईश्वर के
पुत्रों को उन जैसा सम्मान नहीं मिला, तो मामूली इंसान की
औकात क्या है।
सदियों से चली आ रही काँग्रेस, राहुल गांधी के नकारेपन के कारण ताश के पत्तों सी ढेर हो गयी। वहीं मोदी जी को उनके talent ने tagline दिला दी है, मोदी हैं तो मुमकिन है।
अमिताभ बच्चन कितने ही सफल नायक हों, पर अभिषेक बच्चन को film industry में अपना जैसा establish
नहीं कर पाये।
वहीं अजय देवगन, सलमान खान, ऋतिक रोशन इन्हें भी nepotism का लाभ मिला है, पर ये अपनी जगह, film industry में अपने talent से बना पाये हैं।
कहने का औचित्य ये है, कि nepotism आपको पहली सीढ़ी पर तो पहुँचा देगा, पर आगे सफलता मिलेगी, या औंधे मुँह गिर पड़ेंगे। ये
आपका talent ही decide करता है।
अगर आप talented हो, आप में लगन है, ईश्वर की कृपा है, बड़ों का आशीर्वाद है, तो सफलता तो झक मार कर आएगी।
चाहे वो मोदी जी, योगी जी, कपिल देव, धोनी, सचिन, सानिया, साइना, टाटा, बिरला, अंबानी और भी जितने सफल नाम...... हों, सब ने अपने talent, मेहनत
व लगन से वो मुकाम हासिल किया है।
अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, शाहरुख
ख़ान, अक्षय कुमार, यहाँ तक की nepotism के नाम पर इतना हल्ला मचाने वाली
कंगना रनौत, सब ने अपने talent के दम
पर film industry पर अपना मुकाम बनाया है। मतलब टिकता talent
ही है।
इसलिए nepotism का बहाना
ना बनाएँ, ये competition तो सब जगह है,
अगर आप में है दम, तो साबित
करेंगे हम।
Means यहाँ टिकता वही है, जो
दिखता है। और दिखता केवल talent है, और
टिकता भी केवल talent ही। और यह बात सभी क्षेत्रों के लिए लागू
होती है।
बस हमें यह करना है, हमें साथ talent का ही देना है, अंधभक्त बनकर, वंशवाद का नहीं देना है। पर अगर talent वंशज में है, तो नाहक उसका विरोध भी नहीं करना है, क्योंकि किसी का वंशज होना कोई अपराध तो नहीं।