प्यार (भाग- 4)
कार अपनी रफ़्तार से चल रही थी। घर बमुश्किल ½ घंटे की दूरी पर था कि तभी.....
शहर में दंगे भड़क उठे।
एक बड़ा जत्था हमारी तरफ तेजी से बढ़ने लगा।
मैं बुरी तरह से सहम गया।
पर मेरी छुईमुई सी नाज़ुक सी बेला के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।
उसने मेरा हाथ बहुत मजबूती से पकड़ा और कहा, डरने की क्या बात है? जब हम दोनो साथ हैं।
अगर अभी मौत भी आ जाए तो मुझे गम नहीं, आप की बाहों में दम टूट गया, तो मुझे स्वर्ग ही मिलेगा।
उसकी इन बातों से मेरी आंखें छलक आई।
नहीं जान, मैंने तुम्हें खोने के लिए अपना नहीं बनाया है।
अभी तो मेरे ख्वाबों में ही हो तुम!
तुम्हें हकीकत में पाना तो अभी रह ही गया है।
डर के साए में भी वो मुझे मोहब्बत की हसीन वादियों में ले गयी थी।
उस समय कार भी मुझे फूलों की सेज सी प्रतीत हो रही थी।
तभी मेरी तरफ किसी ने बहुत तेजी से लोहे की छड़ से वार किया।
मैं सम्भल पाता, उससे पहले ही बहुत फुर्ती से बेला ने वो वार अपने ऊपर ले लिया।
उसके सिर से खून की धारा बह निकली। मैं यह देखकर बुरी तरह विचलित हो उठा।
भाइया जी, मैं Car hospital की ओर ले चल रहा हूँ? Driver ने पूछा।
मैं मौन रहा, मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था।
Driver ने Car, घर की तरफ मोड़ने की बजाय, hospital की तरफ घूमा दी।
हम Hospital पहुंँच गए। वहांँ पहुँच कर driver ने ही doctor से बात की।
बेला के लिए stretcher भी वही लाया।
मैं तो बस बेला को एकटक देख रहा था, उसके चेहरे पर मुस्कराहट बनी हुई थी, वो मुझे ऐसे देख रही थी, मानों उसे कोई दर्द ही ना हो।
जैसे ही doctor ने उसे देखा, तो बोले इन्हें तुरंत ICU में admit कीजिए।
बेला ने कसकर मेरा हाथ थामा और धीरे से कहा, क्या आप मुझे वो देंगे, जिस पर मेरा हक़ है?
मैंने पूछा क्या?
वो बोली, आप मुझे बांहों में लेकर चूम लें।
मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर जैसे ही उसका माथा चूमा।
वो बोली, मैंने सब पा लिया। अब स्वर्ग में आप का इंतजार करूंगी।
यह कहकर उसने मेरी बाहों में अपनी आखिरी सांस ली।
उसका नैसर्गिक सौंदर्य, अभी भी कायम था। वो अभी भी बेला के ताज़े फूल सी प्रतीत हो रही थी।
उसने मुझे बचाकर, अपना पत्नी धर्म निभा दिया था, साथ ही मेरी बाहों में समा कर अपनी आखिरी इच्छा भी पूरी कर ली थी।
उसे शायद सब मिल गया हो, पर मैंने सब कुछ खो दिया था।
ना मैं अपना पति धर्म निभा सका, कि उसकी जान बचा पाता, ना उसे अपना बना सका, ना वहाँ जा सका, जहाँ उसको मेरा इंतजार था।
सब खो दिया था मैंने, बस साथ रह गया था मेरा पास, साथ बिताए गए पलों की हसीन यादें और उसका बेपनाह प्यार!