सुकून
रवि का मन, आज कुछ खिन्न सा था, राधा ने मिलने का वादा किया था, पर ना जाने क्यों नहीं आई थी, फिर फोन भी तो नहीं उठा रही थी कि ना आने की वजह पता चलती...
सड़क पर अपनी ही धुन में सुस्त सा चला जा रहा था, कि सामने से एक कार बड़ी तेजी से उसके पास आकर रुकी।
उसमें से बहुत शोर मचाते हुए, तीन लड़के और एक लड़की बाहर निकली।
ऐ राधा...
राधा!.. नाम सुनते ही जैसे रवि अपनी तंद्रा से जागा..
पर यह उसकी राधा नहीं थी..
Actually, उनमें से एक लड़के का Birthday था, इसलिए ही बाकी दोस्तों जोश में जश्न मनाते हुए खुश हो रहे थे।
सड़क किनारे कुछ गरीब बच्चे सो रहे थे, उस शोर से वो उठ गए।
वहीं सड़क पर ही मस्ती में उन लोगों ने cake, cut किया और लगे सब Birthday boy के मुंह में केक मलने, फिर उसके कपड़े में केक मल रहे थे।
केक मलना, ख़त्म हुआ तो सब एक दूसरे पर केक फेंकने लगे, इस तरह से पूरे एक किलो केक को उन लोगों ने बर्बाद कर दिया।
फिर जिस तरह से वो शोर-शराबा करते हुए आए थे, वैसे ही चले भी गए।
सड़क पर ना जाने कितना केक बिखरा पड़ा था और पसरी हुई थी बच्चों के चेहरे पर मायूसी, साथ ही केक को देखकर उनके मुंह में आया पानी, जिसे वो गरीबी और बेबसी का कड़वा घूंट समझकर पी गए थे।
रवि वहीं खड़ा सब देख रहा था, यह दुखदाई दृश्य देखकर उसके अंदर कुछ टूट गया और कुछ टूटन...
कुछ देर बाद, वो उन बच्चों के पास खड़ा था, अपने हाथ में कुछ लिया हुआ। उसको अपने नजदीक खड़ा देखकर बच्चे फिर से जाग गये।
उसने बोला, आज मेरा Birthday है, क्या तुम लोग मेरी केक पार्टी में शामिल होंगे?
बच्चे एक दूसरे का मुंह देख रहे थे, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वो केक पार्टी में शामिल हो सकते हैं। साथ ही अभी थोड़ी देर पहले हुई केक बर्बादी पार्टी का वो हिस्सा भी नहीं बनना चाह रहे थे।
बच्चों की भूख, मायूसी, डर और दुःख को रवि ने भांप लिया, उनका दिल रखते हुए उसने बात बनाई और बच्चों से कहा, अरे यह वो वाला केक नहीं है, जो तुम लोगों ने अभी देखा था, वो तो ख़राब था, इसलिए ही तो वो लोग फेंक गए।
इसके साथ ही वो बच्चों के पास बैठ गया, उसने केक का डिब्बा खोल दिया।
केक और उसकी खुशबू से बच्चे और ललचाने लगे, पर कदम आगे बढ़ाने के असमंजस में वो अभी भी वहीं खड़े थे।
रवि ने हंसते हुए, बड़े प्यार से कहा, बच्चों मेरे पेट में चूहे धमा-चौकड़ी कर रहे हैं, तुम लोग जल्दी से मेरे पास नहीं आए तो मैं सारा केक खा जाऊंगा।
रवि का इतना कहना था कि बच्चों ने उसे घेर लिया। रवि ने केक काटा और सारे बच्चों में केक बांट दिया।
वो बच्चे, ऐसे केक खा रहे थे, मानो उन्हें ऐसा कुछ मिल गया हो, जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी।
उनके चेहरे की खुशी, देखते ही बनती थी। उनकी उस खुशी को देखकर रवि को आत्मिक शांति मिली।
उसके इस झूठ-मूठ की Birthday ने उसे असीम सुख प्रदान किया। उसके मन की खिन्नता जाती रही, और जो टूटन थी...वो जैसे कहीं जुड़ सी गई थी...
उसने अपने आप से वादा किया कि अब से अपनी सारी Birthday, ऐसे ही लोगों के साथ celebrate किया करेगा, जिन्हें ऐसी अच्छी चीजें खाने को नहीं मिलती।
साथ ही जब भी दुःखी होगा, इन बच्चों की हसरतें पूरी करने आ जाएगा, जो उसे बहुत सुकून देगी।
वो, बच्चों से फिर मिलने का वादा करके, वहां से चला गया। बच्चे बहुत प्यार और कृतज्ञता से रवि को जाते हुए ऐसे देख रहे थे, जैसे कोई फरिश्ता उनसे मिलकर जा रहा हो।
बच्चों को तृप्ति और रवि को सुकून मिल था, जो दोनों के लिए अनमोल था...
बहुमूल्य अन्न बर्बाद करने से नहीं, भूखे लोगों को खिलाने से सुकून मिलता है...