राधाष्टमी
दिखा नहीं लोगों को,
फिर भी, साथ मैंने पाया है।
तभी तो कान्हा, नाम से पहले,
राधा रानी का नाम आया है॥
हो तुम सब भोले बांवरे,
जो तन का सुख, रास आया है।
मैं तो मुरलीधर की प्रेम दीवानी,
मैंने तो कान्हा का दिल पाया है॥
जिसको तुम समझे विरह,
वो रंग ना जीवन में आया है।
जाने से पहले ही कान्हा,
मुझमें गया समाया है॥
यह प्रेम नहीं था देह का,
तभी विवाह नहीं रचाया है।
दिल से दिल बंधे थे संग में,
तभी प्रेम हमारा अग्रणी आया है॥
लौकिक प्रेम नहीं था उनका,
उन्होंने अलौकिक प्रेम निभाया है।
तभी तो जग ने आज भी उनका,
प्रेम मिलन गीत गाया है॥
जन्माष्टमी तो बहुत मनायी,
अब राधाष्टमी भी मनाते हैं।
क्योंकि राधे-राधे, जपो तो,
बिहारी जी चले आते हैं॥
🕉️आप सभी को राधाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 🕉️