Wednesday 18 April 2018

RECIPE : SOYA BADI MAKHANA-E-KHAS


SOYA BADI MAKHANA-E-KHAS

Ingredients
Nutrela – soya mini Chunks    100gm
Gorgon nut(makhana)              50gm
Onion(medium sized)              2
Tomato(medium sized)            1
Garlic                                       4-5cloves
Coriander Powder                    ½ tsp
Turmeric                                  ½ tsp
Salt                                          according to taste
Red Chilly Powder                  according to taste
Mustard Oil                            1 tbsp
Ghee                                       1 tbsp
For Garnishing
Fresh Cream                                 1½ tsp
Green coriander

Benefit
Gorgon Nut(Makhana) is a sweet fox nut, which contains proteins that helps to strengthen kidneys & maintain blood glucose levels thereby controlling cholestrol. Soya is well known for its protein richness. 

Method

  1. Take ghee in a wok (kadai) & shallow fry the gorgon nuts at low flame to keep it ready.
  2. Heat the oil in a cooker.
  3. Make a paste of tomato, onion & garlic.
  4. Pour the paste into the cooker. Keep stirring.
  5. Now, add coriander powder, turmeric, salt, red chilly powder & keep stirring.
  6. Afterwards, add soya mini chunks to it & keep stirring.
  7. When the masala is ready, add above ready gorgon nuts & fry it  together.
  8. Now add water for the gravy  & close the lid of the cooker.
  9. Allow 2 whistles at high & 1 at low flame.
  10. Now, you can garnish it with cream and chopped coriander.This can be served with chapatees or rice.



N.B. This is one of my innovative delicacies which you can prepare even when there is no fresh vegie in your basket.

STORY OF LIFE : पलायन

पलायन


आज नीना फिर अपनी बेटी के साथ दरवाजे पर दस्तक दे रही थी।
अरे नीना, तुम तो गाँव जाने वाली थीं ना ? फिर क्या हुआ ?
नहीं भाभी अभी नहीं जा रहे हैं , मेरा घर वाला बोल रहा है, कि अभी वही जाएगा, बीज बो देगा, फसल बढ़ाएगा, कटाई के समय सब जाएंगे।

अभी से सब जाएंगे तो खर्चा बढ़ जाएगा, मैं और बेटी यहीं से पैसा कमा कर गाँव भेजेंगे।

भाभी, किसी और  को तो काम के लिए नही बोली हो ना, मै ही करूंगी, और चार महीना, फिर रख लेना दूसरी  भाभी, इत्ता और बरदाश्त क लो मेरे खातिर, बिटिया को भी पूरे दिन के लिए काम पकड़ा दूँगी।

नीना, बहुत अच्छा काम करती थी, साथ ही बहुत अच्छे दिल की भी थी, जो भी काम बोलो शांति के साथ कर के चली जाती।

चार साल मे एक रिश्ता सा बन गया था, ना उसे कोई और जगह काम करना  पसंद था, न हमें कोई और समझ आती थी, पर दो दिन पहले  ही  नीना  ने बोला, कि उसका घर वाला अब गाँव  में वापिस चलने की कह रहा है, हिसाब कर दें, और कोई दूसरी खोज लें।

क्या कर सकते थे? किसी को उसके घर जाने से तो नहीं रोक सकते थे, उसका सारा हिसाब कर दिया, और दूसरी खोजनी भी शुरू कर दी थी।

अब जब नीना नहीं जा रही थी, तो दूसरी रखने का तो सवाल ही नहीं उठता, पर चार महीने कब गुजर गए, पता ही नहीं चला।
आज नीना और उसकी बेटी बहुत खुश थे, उनके खेत में फसल लहलहा रही थी ,नीना ने आते ही कहा-

भाभी, अब के गाँव गए तो फिर ना पलटेंगे, अबकी फसल बहुत ही अच्छी हुई है, मुनीम का सारा कर्जा छूट जाएगा बिटिया के भी हाथ पीले करने का मन बना रहे हैं।

हमको चार सौ रुपईया एडवांस दे देना, टिकट के लिए। हम तो नही आयेंगे, मेरा घरवाला फसल के पैसे मिल जाने पर, आपके पैसा चुका जाएगा।

सोचा, चार साल इससे जो कहा इसने सब किया, आज इसे चार सौ रुपये extra चाहिए, तो दान समझ के दे देते हैं, पर फिर मन में लगा, ये चार सौ चुकाने के बहाने अपने पति को भेजेगी, तो इसका हाल पता  चल जाएगा, वरना एक बार गाँव गयी तो कहाँ पलटने वाली है।

उसे इस हिदायत के साथ चार सौ रुपये extra  दे दिये, कि भूलना मत, भिजवा जरूर देना।

सोच रही थी, कि कितने खुश-किस्मत होते हैं, जिनका अपना गाँव होता है, और ये सरकारी नौकरी भी नही होती, शहर से मन भरा, बस उठाया बोरिया बिस्तर, और चल दिये गाँव की ओर।
कभी कभी तो ये भी लगता, कि अपने पास भी गाँव होता तो हाँ आते ही नही, वहीं रहते हमेशा, ना जाने क्यूँ, लोग अपनी जगह छोड़ आते हैं।

इन्हीं विचारों में डूबी थी, कि अचानक से काफी तेज़ आँधी आने लगी, दौड़ के कपड़े उठाने भागी, तभी तेज़ बारिश भी शुरू हो गयी, और कुछ देर मे ही बड़े बड़े ओले भी गिरने लगे।

रात बीत गयी, सुबह अखबार मे बड़ी सुर्खियों मे लिखा था, 

किसानों की मेहनत पानी,लों से हुई बर्बाद

पढ़ते ही सब से पहले नीना का ख्याल आया, कल दोनों माँ-बेटी, कितनी खुश थी, उनके गाँव जाने की बातें सुन कर मैं भी गाँव जाने के हसीन ख्वाब में खो गयी थी, इस फसल से उनकी, कितनी उम्मीदें जुड़ी थी, उसके सारे सपने इन ओलों के भेंट चड़ गए थे।

आज मैंने नीना के आने का इंतज़ार नही किया, उसके घर खुद ही भागी गयी, नीना अपनी बेटी के संग फूट फूट के रो रही थी, बोली भाभी अब हम कभी गाँव नही जा पाएंगे, हमारा सब बर्बाद हो गया, अब तो गाँव का घर भी बिक जाएगा, इसके बापू ईंटों की भट्टी मे काम करेंगे, मुझे और बेटी को भी चार घर काम करना पड़ेगा, अब तो तब ही कर्जा छूटेगा। उसे बड़ी मुश्किलों से समझा-बुझा के घर आई।

आज किसानों का दर्द और उनके गाँव छोड़ने की वजह समझ आ रही थी, कि ये लोग एक फसल में अपना सबकुछ झोंक देते हैं, और एक ही आपदा कैसे इन्हें तोड़ के रख देती है, और ना चाहते हुए भी इन्हें पलायन करना पड़ता है।

POEM : कशमकश

कशमकश


ज़िंदगी कितनी अज़ीब होती है

कोशिश कर लो कितना भी

कहाँ सब के करीब होती है

हर रंग के हर ढंग के हैं लोग यहाँ

एक को खुश कर सकोगे कहाँ

हर एक को छोड़ दो

किसी एक को भी खुश करने चलोगे

जब तक करते रहोगे, कुछ समझेंगे नहीं

जब छोड़ दोगे करना, तो कहेंगे करते नहीं

कशमकश है, क्या करना छोड़ दें

क्या लोगो की चिंता मे यूं मरना छोड़ दें

या खुद को ही बदल डालें

अपने अस्तित्व को जमाने के तरीके से ढालें

ज़िंदगी कितनी अज़ीब होती है

कोशिश कर लो कितना भी


कहाँ सब के करीब होती है

KIDS' STORY : काजू की बर्फी

समस्या: लालच।


कहानीकाजू की बर्फी।


राज के पापा उसे खूब अच्छी-अच्छी चीज़ें खिलाते थे, पर वो काजू की बर्फी का तो दीवाना सा था।

एक दिन उसके पापा का बर्थ-डे था। मेहमान उसके घर आए। 

राज की माँ ने ढेर सारी खाने की चीजों के साथ काजू की बर्फी भी रखी। 

वो जानती थी कि राज को ये बर्फी बहुत पसंद है इसलिए उसे पहले से ही 4 पीस खाने को दे दी थी। पर राज कहाँ मानने वाला था।

मेहमानों के सामने 1-1 कर के उसने सारी काजू की बर्फी उठा के खा ली, और सब उसे देखते ही रह गए।

कुछ दिन बाद उसका बर्थ-डे आया। आज राज बहुत खुश था, उसे बहुत से गिफ्ट मिलने वाले थे।बहुत अच्छे से उसकी बर्थ-डे मनी। बहुत लोग आए थे। 

सब के जाने के बाद राज ने गिफ्ट खोलने शुरू किए। पहला गिफ्ट खोला तो देखा की उसमे ढेर सारी काजू की बर्फी थी। राज इतनी सारी काजू की बर्फी देख खुश हो गया। 

दूसरा पैकेट खोलने पर उसकी खुशी उदासी मे बदल गयी क्योंकि उसमे भी काजू की बर्फी ही निकली। तीसरा पैकेट खोलने पर तो जैसे उसकी रुलाई ही छूट गयी क्योंकि फिर से वही बर्फी। बाकी पैकेट मे भी वही बर्फी देख कर तो राज ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा।

उसका रोना सुन पापा उसके पास आए और बोले क्या हुआ बेटा? 

राज रोते-रोते बोला की सबने मुझे काजू की बर्फी ही क्यों दी है?

वो बोले कि तुमने मेरे बर्थ-डे में बहुत सारी काजू की बर्फी खाई थी, तो सब समझ गए थे कि तुम्हें काजू की बर्फी बहुत पसंद है। इसलिए सब ने तुम्हें gift में काजू की बर्फी ही दी।


राज अब समझ गया था कि किसी चीज़ का लालच नहीं करना चाहिए।