लालच
अतिक्ष जैसे जैसे बड़ा हो रहा था, बहुत बड़ा आलसी होता जा रहा था, उसमें लालच भी बढ़ता जा रहा था। और साथ ही साथ उसमें सादे खाने के प्रति अरुचि भी बढ़ती जा रही थी। जिसके कारण जब उसे सादा खाना होता, तो उसकी डाइट कम होती, पर जब चटर-पटर खाना होता तो उसकी डाइट दोगुनी हो जाती। जिसका नतीजा ये होता कि उसका आए दिन पेट खराब ही रहा करता और उसका शरीर भी बेडौल होता जा रहा था।
अतिक्ष जब छोटा था, बहुत सुंदर था, तो सबका बहुत लाडला था, पर अभी तो वो ऐसा बेडौल हो गया था, कि किसी का लाडला तो क्या रहेगा, सब के बस हंसी का पात्र बन के रह गया था।
सब के इस तरह मज़ाक उड़ाने से वो बहुत दुखी रहता था, हमेशा मन बनाता कि अब से खूब मेहनत करेगा, और लालच भी नहीं करेगा। पर ये सब बस तब तक ही रहता था, जब तक कोई टेस्टी खाना नहीं दिखता था। और जहां कुछ टेस्टी दिखा, उसका सारा दुख छूमंतर हो जाता था।
उसकी लालच की आदत ने अब उसे बहुत परेशान करना शुरू कर दिया था। उसके पेट के दर्द की फ्रिक्वेन्सी बढ़ने लगी थी। और एक दिन वही हुआ जिसका डर था। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोल दिया।
और ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने उसे हमेशा के लिए सादा खाना खाने के लिए बोल दिया, जब माँ अतिक्ष के पास गईं तो वो बहुत रो रहा था। उसको रोता देख कर माँ भी बहुत दुखी हुई।
उन्होंने बताया, डॉक्टर से बात की है, क्या अतिक्ष को सारी ज़िंदगी ऐसे ही रहना पड़ेगा?
तो वो बोले, अगर 5 साल का स्ट्रिक्ट परहेज कर लेगा, तो आगे से थोड़ा थोड़ा खा सकता है।
अतिक्ष आँसू पोछ्ता हुआ बोला, माँ मैं आपसे वादा करता हूँ, अब कभी भी लालच नहीं करूंगा और परहेज भी करूंगा। आगे भी ध्यान रखूँगा।
अतिक्ष ने बहुत अच्छे से परहेज किया, जिसके कारण डॉक्टर ने उसे 3 साल में ही थोड़ा बहुत चटर-पटर खाने की परमिशन दे दी।
पर अब अतिक्ष ने कभी लालच नहीं किया, और अब वो चटर-पटर कम ही खाया करता।
फिर उसके पेट में कभी दर्द नहीं हुआ।