Saturday 9 September 2023

Article : नई पीढ़ी का नया जोश

नई पीढ़ी का नया जोश 


अभी जन्माष्टमी पर्व को व्यतीत हुए दो दिन बीत चुके हैं। कल हमने अपने भतीजे से बात की, जो कि hostel में है।

हमने पूछा कि बेटा, एक बात बताओ, क्या जन्माष्टमी का व्रत रखा था?

उस का जवाब हाँ था...

हमने पूछा, तुमने व्रत कैसे रखा? Actually इस प्रश्न को पूछने की वजह यह थी कि बहुत से hostels में नवरात्र में तो व्रत के लिए खाने पीने की व्यवस्था होती है, लेकिन शिवरात्रि और जन्माष्टमी आदि के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती है। 

ऐसे में बच्चों को व्रत रखना और कठिन हो जाता है। और कठिनाई एक और कारण से भी होती है कि engeneering colleges and hostels mostly outer क्षेत्र में होते हैं। जो कि बाजार से दूर होते हैं, उससे चीजों के मिलने की availablity कम हो जाती है।

ऐसे में भी अगर कोई भी लड़के या लड़कियां अपने धर्म, अपनी आस्था, श्रृद्धा और संस्कार को प्राथमिकता देते हुए व्रत रख रहे हैं तो वो सभी सराहनीय हैं। 

ऐसे में एक ऐसे बच्चे के बारे में जो पता चला, उसने दिल को छू लिया, सोचा उसे ही साझा किया जाए।

उस लड़के ने निर्जल व्रत रखा... वो बड़ी बात है.. 

लेकिन व्रत आप निर्जल रख रहें हैं, निराहार रख रहें हैं या फलाहार, यह पूर्णतः आपके शारीरिक सामर्थ्य पर निर्भर करता है। अतः उसे अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही रखें...

अभी हम जो बताने जा रहे हैं, वो ज्यादा बड़ी और सराहनीय बात है। और वो बात यह है कि उसने अपने उन सभी दोस्तों को रात में अपने कमरे में बुलाया, जिन्होंने व्रत रखा था।

जब सब वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा, उसने study table को clean कर के वहां, एक लाल कपड़ा बिछाकर उसमें भगवान श्रीकृष्ण जी की एक फोटो रखी थी। कलश व घी का दीपक भी रखा था।

कुछ फलों को काटकर उससे प्रसाद बनाया था सबसे बड़ी बात कि पंचामृत भी तैयार किया हुआ था। 

पंचामृत!... आप सोच रहे होंगे कि क्या उसे पता भी था कि पंचामृत को पांच अमृत रुपी चीजें, घी, दूध, दही, गंगा जल और शहद व पांच मेवा डालकर बनाया जाता है।

वो सब उसने मिलाया या कुछ छोड़ दिया? महत्वपूर्ण वो नहीं है, बड़ी बात यह है कि कान्हा जी को पंचामृत का भोग लगाया जाता है, यह उसकी भक्ति में शामिल था।

इतनी सारी तैयारियां देखकर सारे दोस्त बहुत खुश हो गये। घर से दूर रहकर, इस मनोरम दृश्य को वो बहुत ज्यादा miss कर रहे थे। यह सब देखकर, सभी लोग के चेहरे पर सुख की मुस्कान थी, क्योंकि यह था उनकी जिंदगी का अविस्मरणीय पल...

सभी ने मिलकर रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म, भजन-पूजन इत्यादि किया। प्रसाद ग्रहण किया, पंचामृत लिया।

जब यह बात सारे दोस्तों ने अपने घर में बताई तो सबके मां-पापा ने उस लड़के को दिल से आशीर्वाद दिया, जिसने उनके लाडले बेटों को घर से दूर रहकर भी ईश्वरीय कृपा प्रदान कराई।

हमें भी बहुत खुशी हुई जानकर, और उसके कई कारण थे।

उन सभी बच्चों के लिए जिन्होंने व्रत रखा, पूजा आराधना की और भगवान का जन्म किया। बड़ा अच्छा लगा कि जिस पूजा पाठ आराधना को लोग outdated समझकर दूर हो रहे थे।

उसके महत्व को नई पीढ़ी समझ रही है और ना केवल समझ रही है बल्कि पूरे जोश, श्रद्धा, भक्ति और विश्वास से कर भी रही है।

धन्य हैं ऐसे बच्चे, उनके माता-पिता और उनके संस्कार...

जो अपनी धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देते हुए आगे बढ़ते हैं उन्हें ही जीवन का आनंद पूर्ण रूप से मिलता है।

फिर भारतीय संस्कृति तो वैसे भी सर्वोच्च है, जिसे विदेशी भी सदियों से अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।

फिर वो outdated कैसे हो गयी ? और उसे अपनाने और निर्वाह करने में कैसी शर्म?  कैसी झिझक? 

एक बार सोचिएगा ज़रूर....

शायद इस विवरण ने आपके दिल को भी छूआ हो...

जय श्री कृष्णा 🙏🏻

हे ईश्वर आपकी राह जो चले उन सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻