Tuesday 12 September 2023

Article: भारत नाम ही क्यों

 भारत नाम ही क्यों?



आज कल इस बात की हर जगह चर्चा चल रही है कि हमारे देश का नाम अब से भारत कर दिया जाए। और इस विषय को लेकर अलग अलग लोगों की अलग-अलग धारणाएं और विवाद हैं।

तो इस मुद्दे पर बहुत सारा अध्ययन कर के,  साथ ही बहुत लोगों से पूछने के बाद कुछ तर्क रख रहे हैं, जिससे आप का नजरिया पूर्णतः स्पष्ट हो जाएगा कि हमारे देश का नाम भारत ही क्यों रखा जाए? 

तो सबसे पहले तो यही कहेंगे कि रखा जाए, तो सही बात ही नहीं है, क्योंकि नाम रखने की प्रकिया तो तब होती है जब कुछ नया रखा जाता है। जब कुछ पहले से ही निर्धारित रहता है तो उसका सिर्फ प्रचलन पुनः आरंभ किया जाता है।

तो बात यहीं से ही आरंभ होती है कि हमारे देश का नाम भारत पहले से ही है और अब से पुनः सिर्फ इसी नाम से पुकारा जाना है।

जिन्हें नहीं पता, उन सबको बता दें कि क्यों है हमारे देश का नाम भारत? और कब से उसका नाम भारत है?... और कब तक रहा इसका नाम भारत... कब इसे बदल दिया? और अब पुनः इसका भारत नाम ही क्यों होना चाहिए... 

भारतवर्ष या भारत नाम हस्तिनापुर के महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है। आगे चल कर भरत एक चक्रवर्ती सम्राट भी हुए, जिन्हें चारों दिशाओं की भूमि का स्वामी कहा जाता था। सम्राट भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ा।

अब कुछ लोगों का कहना होगा कि हम इसे भारत माता कहते हैं तो, अगर भारत नाम को राजा भरत के नाम से जोड़ा है तो इसे भारत माता कैसे कहा जा सकता है?

सनातन धर्म में प्रकृति को नारी रुप में, सृजनी रुप में, मां स्वरूप में माना जाता है। और सम्पूर्ण देश को राजा भरत की मां के रूप में ही स्वीकारा है अतः राजा भरत की माता, भारत माता...

इस तरह से देश का नाम भारत और सम्मान में भारत माता... कहा जाने लगा।

हमारा भारत आरंभ काल से समृद्ध और उन्नत था। जिस कारण भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था।

इसकी इतनी समृद्धि और उन्नति देखकर, बहुत से आक्रांताओं ने हमारे देश में आक्रमण किया। बहुत लूट-पाट की और अपने देश के खजाने को भरा। 

लेकिन इनमें से अधिकांश ने आक्रमण किया और लूट-पाट कर के चले गए।

उन सबके बाद मुगल आए और ना केवल आए बल्कि यहीं बस गए और अपना अधिपत्य स्थापित कर दिया। 

जब मुग़ल साम्राज्य भी अपने पतन की ओर बढ़ने लगा, उन्हीं दिनों में अंग्रेजों ने पदार्पण किया।

बस यहीं से हमारे देश को सबसे अधिक रौंदा गया और शुरू हुआ हमारे भारत का पतन...

आप कहेंगे कि पतन तो सभी ने किया था, फिर भारत के पतन के सबसे बड़े दोषी अंग्रेज ही क्यों?

बिल्कुल सही बात है, कुछ आक्रांताओं ने देश लूटा, धन धान्य लूटा, मुगलों ने अत्याचार कर हिन्दूओं को मजबूर करके इस्लाम को स्वीकार करने के लिए कहा।

लेकिन जब अंग्रेज आए तो उन्होंने एक ऐसी नीति से काम किया कि लोगों को समझ में भी नहीं आया और वो तन मन धन से गुलाम बन गये...

नहीं समझ आया कि क्या मतलब है? तो चलिए समझने की कोशिश करते हैं फिर यह भी समझ आ जाएगा कि भारत नाम क्यों? 

कहा जाता है कि तन और धन से गुलाम बनाना बहुत आसान है मगर इस तरह की गुलामी ज्यादा लंबी नहीं चलती है। पर अगर किसी को मन से गुलाम बना दिया जाए तो सदियां गुज़र जाएगी पर पीढ़ी दर पीढ़ी गुलामी बनी ही रहेगी। और ऐसी गुलामी के लिए, जिसे गुलाम बनाना है, उसकी पहचान, उसकी सभ्यता, उसकी संस्कृति, उसका इतिहास और उसकी शिक्षा पद्धति को छीन लो, बदल दो, वो सदैव गुलाम बना रहेगा।

अंग्रेजों ने यही किया, उन्होंने हमारे देश का नाम बदलकर India कर दिया, शिक्षा पद्धति को बदल दिया, हमारी भाषा हिन्दी के महत्व को कम करने के लिए उसकी जगह English को दे दी। हर महत्वपूर्ण कार्य और दस्तावेज़ के लिए अंग्रेजी आवश्यक कर दी। हमारे इतिहास को तोड़ मरोड़ के उसमें मित्थया भर दी, और कुछ को mythology बना दिया। और पौराणिक कथाओं को अध्ययन से अलग कर दिया। 

प्रभु श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, ऋषि वसिष्ठ, ऋषि वाल्मीकि,  महाराज दशरथ, वासुदेव,  आदि.. सिर्फ हिन्दू पौराणिक पात्र नहीं है, बल्कि यह भारत का यशस्वी व सम्माननीय इतिहास भी हैं। 

India और Indian इसे अंग्रेजों ने एक गाली की तरह इस्तेमाल किया, वो अक्सर भारतीयों को hey you bloody Indian कहकर संबोधित करते थे, मानो Indian कहकर उन्हें गाली दे रहे हों। 

भारत की आज़ादी के समय सभी क्रान्तिकारियों के नारे 'भारत माता की जय' के होते थे। इंडिया नाम से नहीं...

हमारे राष्ट्रगान में भी भारत भाग्य विधाता हैं, उसमें भी कहीं इंडिया शब्द का कोई जिक्र नहीं है। 

आज़ादी के तुरंत बाद भी इस मुद्दे पर बहुत विचार किया गया था कि जब आज़ादी मिल गई है तो अंग्रेजों द्वारा हमें गुलामी के पहचान के रूप में दिया India नाम बदल दिया जाए और पुनः देश का नाम भारत कर दिया जाए। 

पर चंद बड़े राजनेताओं ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं और अंग्रेजों की चाटुकारिता में इस मुद्दे को पूर्ण रूप से कुचल दिया और कहा "India that is Bharat", इसमें कोई अंतर नहीं है... 

बस उसके बाद आनन-फानन में हमारे देश का गुलामी वाला नाम India ही रहने दिया गया।

यह कहावत है कि अंग्रेज तो चले गए पर अंग्रेजी छोड़ गए, साथ ही उनका दिया हुआ नाम India भी...

क्या आप को नहीं लगता कि जो काम सदियों पहले हो जाना था और नहीं हो पाया, वो अब हो जाना चाहिए... 

आप कहेंगे कि क्या बदल जाएगा नाम से?

तो वही बदल जाएगा, जो अंग्रेज कर गए थे, हमारी पहचान हमें वापस मिल जाएगी, हमारा आत्मसम्मान, आत्मविश्वास मिल जाएगा, हमारा अस्तित्व हमें मिल जाएगा।

और जैसे उस समय, किसी को बिना पता चले, सब मन‌ से गुलाम हो गए थे। वैसे ही बिना कुछ बदले हम उस मानसिक गुलामी से आजाद हो जाएंगे। 

अंतर, अपने होने का आएगा! जैसे आप जब किराए के घर और गाड़ी को इस्तेमाल करते हैं और अपने घर और गाड़ी में रहते हैं तो जो अंतर होता है ना, वही अंतर है... 

जब आप किराया देते हैं, तब भी आपका उस पर अधिकार होता है, पर वैसा नहीं, जैसा आपके अपने घर पर होता है। चाहे आप कितना भी पैसा दे दो।

दूसरे शब्दों में, आप कहीं कितनी भी मेहनत से नौकरी कर लो, वो कम्पनी कभी आपकी अपनी नहीं होगी, आप उसके नौकर, उसके गुलाम ही कहलाएंगे। पर छोटा या बड़ा, आपका व्यापार सदैव आपका अपना रहेगा। 

नाम बदलने से सोच बदल जाएगी, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान बदल जाएगा और हमारा देश फिर से अखंड भारत बन जाएगा, समृद्ध और उन्नत हो जाएगा, पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगा।

नाम बदलने से एक बात तो पक्की है कि भले कुछ अच्छा हो या ना हो, पर बुरा तो कुछ भी नहीं होगा... तो क्यों ना जिससे हमारी पहचान है, उस देश को उसकी अपनी पहचान, उसका अपना नाम वापस दिलवा दें? सदियों बाद जो मौका आया है, हमारे देश के लिए, उसे सत्य कर दें?

भारत माता की जय का नारा तो लगाते हैं। तो अब अपने देश को सदा के लिए भारत ही बना दें...

 जय भारत 🇮🇳