इच्छा
आज मैं ज़िंदगी का अहम फैसला लेने, घर जा रहा था। माँ ने इस महीने की शुरुआत में ही मुझ से बोल दिया था, कि विनय 25 को reservation करा लेना। पड़ोस की शर्मा
आंटी ने तेरी पसंन्द की लड़की बताई है, आकर देख लो, तो मैं अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाऊँ।
मैं माँ का बड़ा सीधा बच्चा हूँ, पर शादी को लेकर मैंने उन्हें बहुत परेशान कर दिया था। तो इस बार सोच कर
चला था, कि माँ को जो पसंद होगी, उसे
हाँ कर दूंगा।
Train में मैं अपनी bedding set कर के बैठ गया। अभी train ने रेंगना शुरू किया ही था, कि एक बेहद खूबसूरत, मासूम सी लड़की train में चढ़ी, और ठीक मेरे सामने वाली seat पर बैठ गयी।
वो बेहद गोरी थी, उसने jeans and
jacket के साथ red scarf पहना हुआ था, जो उसके रूप में चार चाँद लगा रहा था। ठंड से उसके गाल और नाक दोनों ही
गुलाबी हो रहे थे।
बार बार मैं अपने आपको उसकी तरफ देखने से रोक रहा
था, पर बांवरा मन, इस कदर उस पर लट्टू हो गया था, कि नज़रे बरबस उस ओर खींच रही थी।
उसको भी bedding मिल गयी
थी। जितनी वो खूबसूरत थी, उतनी ही करीने से काम भी कर रही थी, उसने बड़े ही सलीके से paper से bedding निकाल कर paper fold कर के रख दिया।
उसका रंग, रूप और सलीका देखकर
मैं तो उससे प्यार ही कर बैठा। आज मैंने जाना था, क्या होता
है, “वो पहली नज़र वाला प्यार”।
अब मैं मन ही मन ईश्वर से
अपनी इच्छा बताने लगा, हे प्रभू! आप से क्या छिपा है, मैंने ऐसे ही जीवन-साथी की कल्पना की थी। काश मुझे यह ही मिल जाती।
अब तक तो उसे भी खबर हो
गयी थी, कि मैं
उसका दीवाना हो चुका हूँ। मैं उसे बरबस देखे जा रहा था, पर
उससे बात करने की हिम्मत मैं ना जुटा सका।
आगे पढ़ें, इच्छा(भाग-2) में