यह कैसा प्यार ( भाग -4) के आगे.....
यह कैसा प्यार (भाग -5)
एक दिन रोहित ने, ऋषि से आकर कहा, मैं अब और तुम्हारे साथ काम नहीं कर पाऊंगा।
ऋषि बोला, ऐसी भी क्या बात हो गई है? हम दोनों के साथ से हमारा business कितना अच्छा चल रहा है।
हमारा business? रोहित ने चौंकते हुए पूछा।
हाँ, रोहित मैंने कल ही सोचा था कि, तुम्हें अपने business के 30% की partnership दें दूँ।
क्या कह रहे हो ? ऋषि तुम अभी मुझे जानते ही कितना हो? अभी कुछ दिन पहले ही तो मैं तुमसे मिला हूँ।
इतनी जल्दी किसी पर इतबार नहीं करते हैं दोस्त।
ऋषि बोला वाह, दोस्त भी कहते हो, और इतबार करने को भी मना करते हो।
तुम ने मुझ पर भरोसा करके मुझे रुकने को मजबूर कर दिया है, पर मैं अकेले घर में रहते रहते bore हो गया हूँ। मैं वापस अपनों के बीच में जाना चाहता हूँ। रोहित एक सांस में बोल गया।
अरे, मेरे रहते तुम कैसे अकेले हो गये?
तुम एक काम करो, मेरा बंगला बहुत बड़ा है, तुम हमारे साथ ही रहने लगो। दिन रात का साथ हमारे business development में चार चांद लगा देगा। और तुम्हें अकेलापन भी नहीं सताएगा।
तुम्हरा बंगला!.....
अरे कहाँ खो गये रोहित? ऋषि ने रोहित को झकझोरते हुए कहा, मैं अपने बंगले पर ही रहने की बात कर रहा हूँ।
रोहित चौंकते हुए बोला, नहीं कुछ नहीं, कुछ पुरानी यादों में खो गया था।
ओह पुरानी यादें! सच यह कभी साथ नहीं छोड़ती हैं, कहकर आज ऋषि को बहुत दिनों अपने घर वाले याद आने लगे।
रोहित तुम हमारे साथ रहो और एक हफ्ते के लिए तुम और एक हफ्ते के लिए मैं अपने घर वालों से मिलने चले जाएंगे।
घर में सब कितने खुश होंगे, मुझे देख कर। जब से तान्या से मिला हूँ, तब से एक बार ही गया था, दो दिन के लिए सबसे मिलने।
फिर तो तान्या ने वापस बुला लिया था और business की चिंता भी सता रही थी।
पर अब जब तुम हो तो मुझे किसी बात की फ़िक्र नहीं है।
एक बार, तान्या से पूछ लेते ऋषि।
तान्या से क्या पूछना, तुम तो उसके childhood friend हो, वो तो बल्कि खुश हो जाएगी जानकर कि हम सब साथ में रह रहे हैं।
Childhood friend.... ओ हाँ, वही तो हूँ मैं।
क्यों कुछ ग़लत कहा, मैंने? ऋषि ने पूछा।
अरे नहीं,..... सब ठीक है। चलो मैं चलता हूँ, आज शाम ही सामान के साथ पहुंचाता हूँ, तुम्हारे..... बंगले पर।
ऋषि को रोहित का आज behaviour कुछ अजीब सा लग रहा था।
उसने तान्या को phone कर दिया.....
आगे पढ़ें, यह कैसा प्यार (भाग- 6) में