दोष
इस बात से शीतल भी इतराती फिरती। एक दिन शीतल की माँ उसे कपड़े बदला रही थी कि उनका ध्यान गया कि शीतल की पीठ में सफ़ेद दाग था।
उसको देखकर माँ बहुत घबरा गईं, उन्होंने शीतल के पिता को बताया कि शीतल में ना जाने क्या दोष है कि उसके पीठ पर सफ़ेद धब्बा है, तो वह भी घबरा गये।
वो लोग उसे लेकर वैध के पास गये। वैध बोले चिंता ना करो, यह कोई दोष नहीं है, मैं इसे ठीक कर दूंगा।
शीतल के पिता ने जाते समय वैध जी से कहा कि, आप ही हैं जो समझते हैं कि यह एक विकार है, कोई दोष नहीं।
पर इस बारे में अन्य यही जानते हैं कि यह दोष है, अतः इस बारे में किसी को नहीं बताएं, अन्यथा गांव में बेटी का तमाशा बन जाएगा।
वैध ने स्वीकृति दे दी।
वैध की लड़की त्रिशाला, शीतल के बराबर की थी, वो शीतल के इतराने से बहुत चिढ़ती थी।
जब उसने देखा कि शीतल के माता-पिता दवाई बनवाने के लिए आए हैं तो, उनके जाने के बाद त्रिशाला ने पिता जी से पूछा, पिता जी यह लोग क्यों आए थे?
वैध जी बोले कि यह लोग शीतल को और सुन्दर बनवाने की दवा बनवाने आए थे।
त्रिशाला यह सुनकर अंदर ही अंदर जल-भुन गई, वह मन में चाल बनाने लगी कि कैसे शीतल को सबक सिखाया जाए।
वैध जी की जब पूरी दवा तैयार हो गई तो त्रिशाला ने पिता को भोजन करने के लिए बुला लिया।
जब वह भोजन कर रहे थे तो उसने शीतल की दवा में चंद जड़ी-बूटी और मिला दी।
वैध जी ने वही दवा शीतल के पिता को दे दी।
फिर वही हुआ, जैसा त्रिशाला ने सोचा था, दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। शीतल के शरीर में सफ़ेद धब्बे और बढ़ने लगे। अब धब्बे हाथ और पैरों में भी हो गये थे।
शीतल ने पूरे वस्त्र पहनने आरंभ कर दिया, जिससे किसी को उसके हाथ-पैर ना दिखे और किसी को उसके दोष का पता नहीं चल सके...
दवाई तुरंत रोक दी। वैध जी से इसका कारण पूछा गया, पर वो कुछ पुख्ता कारण नहीं बता पाए।
वो खुद हैरान थे कि आखिर दोष कहाँ हो गया? जो उनकी दवा ग़लत असर दिखा रही है, आखिर माजरा क्या है?
और उन्होंने इसी सदमे में पहले वैध का कार्य छोड़ दिया, फिर दुनिया भी।
त्रिशाला को अपने दोष पर बहुत ग्लानि हुई, पर उसने कभी किसी को सत्य नहीं बताया।
त्रिशाला दुनिया में अकेली रह गई, माँ तो पहले ही नहीं थीं, पिता भी उसका विवाह किए बिना ही इस दुनिया से चले गए।
उधर शीतल का विवाह बहुत धनाढ्य परिवार के एकलौते पुत्र वरुण से हुआ। ससुराल में किसी को भी नहीं पता था कि शीतल के सफ़ेद धब्बे हैं।
वरुण को एक दिन में ही शीतल की हकीकत पता चल गई, पर उसने घर में किसी को नहीं बताया, पर शीतल से दूरी बना ली।
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर चांद सी शीतल में दोष क्या है? जो पहली रात से ही वरुण उससे दूर हो गया।
शीतल दुःखी थी, जिस रूप पर वो इतराती फिरती थी, आज वो रुप भी उसका दोष ना छिपा पाया! या शायद इतराना ही उसका...