भला मानुष
खुशीपुर, एक छोटा सा गाँव
था, अपने नाम के अनुरूप ही वहाँ बहुत खुशहाली थी। वहाँ के
लोग बहुत ही सीधे-सादे, भोले-भाले,
मासूम, सच्चे और अच्छे थे। सभी एक दूसरे से बहुत प्रेम करते
थे, एक दूसरे के काम आते थे।
एक दिन वहाँ एक बहुत ही शक्तिशाली, धनवान और हैवान किस्म का व्यक्ति राका आ गया। उसने गाँव के एक छोर पर एक
घर में कब्जा कर लिया। फिर उसने एक ऐसे आदमी की तलाश करनी शुरू की, जो कि स्वार्थी और लालची हो।
उसकी तलाश बहुत जल्दी खत्म हो गयी, उसी गाँव में उसे मगन मिल गया, जो अपनी बीवी चुनिया
और एकलौते बेटे छगन के साथ रहता था।
उसने मगन से कहा, अगर वो
गाँव की मासूम लड़कियों को उसके पास लाएगा, तो वह उसके बदले
में मगन को बहुत सा रुपया, गहना और शराब देगा।
मगन ने जब ये बात अपनी बीवी को बताई, तो वो बोली, ये तो बहुत ही अच्छी बात है, दूसरों की बेटियों को भेजने से अगर हम धनवान हो जाते हैं, तो उसमें बुरा क्या है। वो बेहद ज्यादा स्वार्थी और लालची किस्म की औरत
थी।
मगन बोला, पर उन मासूम का
क्या......
तुम दूसरों के लिए ही मरते रहना, मेरी और छगन की कभी मत सोचना, चुनिया गुस्से से चिल्लाने
लगी।
मगन की गाँव में अच्छी साख थी, सभी उस पर बहुत विश्वास करते थे। अब वो गाँव की मासूम लड़कियों को राका के
पास छोड़ आता था, वो दुष्ट इंसान उन मासूमों के साथ कुकर्म करता, फिर उन्हें जान से मार देता।
और उसके बदले में मगन को कभी रुपया, कभी गहना दे देता। मगन ने शराब के लिए मना कर दिया था। चुनिया इससे बहुत
खुश थी, पर मगन की आत्मा उसे कचोटा करती।
क्या मगन अपने दिल की सुन कर गलत काम करना बंद कर देगा ? या चुनिया के कहे पर ही चलेगा? जानते हैं, भला मानुष भाग -2 में