आज माता रानी के दरबार में एक ऐसा भजन प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे हमने नहीं लिखा है।और किस ने लिखा है, वो भी नहीं पता है, पर यह भजन बहुत पसंद आया।
इसे सौम्या खरे की आवाज में सुना था। तो उसकी आवाज़ में ही एक stanza है।
आप भी आनन्द लीजिए।
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
मैंने थोड़ा सा मांगा, बहुत दे दिया-2
मैंने मांगी थी माथे की बिंदिया ओ माँ -2
तूने सिंदुरा लगा कर सुहागन किया
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
मैंने थोड़ा सा मांगा, बहुत दे दिया
मैंने मांगी थी हाथों की चूड़ी ओ माँ -2
तूने मेंहदी लगा कर सुहागन किया
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
मैंने थोड़ा सा मांगा, बहुत दे दिया
मैंने मांगा था अंगों का लंहगा ओ माँ -2
तूने चुनरी उड़ा कर सुहागन किया
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
मैंने थोड़ा सा मांगा, बहुत दे दिया
मैंने मांगी थी पैरों की पायल ओ माँ -2
तूने बिछुआ पहना कर सुहागन किया
शुक्रिया शुक्रिया, माँ तेरा शुक्रिया
मैंने थोड़ा सा मांगा, बहुत दे दिया