कैसे रत्ना व राजन की मुलाक़ात हुई, और दादा जी की सहमति से दोनों का विवाह
तय हो गया, शादी वाले दिन जब वो
राजन को बताने गयी थी कि PM. जी आ रहे हैं……अब आगे
रत्ना भाग -३
उसे कुछ अजीब सी आवाज़ सुनाई दी, वो धीमे धीमे उस ओर गयी, उसने जो देखा सुना, जानकर रत्ना का खून वहीं जम गया। वो वहाँ से
चली गयी। जब
बारात आई, तब पूरा माहौल खुशियों
से भरा हुआ था।
सभी दादा जी को बहुत सारी बधाइयाँ दे रहे थे। रत्ना भी वरमाला लिए आ गयी।
और जैसे ही वो राजन को वरमाला डालने वाली थी। उसी समय ही P.M.
जी भी आ गए। तभी एक चीख
की आवाज़ से सभी लोग सकते में आ गए। राजन खून से लथपथ नीचे गिरा हुआ अपना दम तोड़
रहा था। और रत्ना के हाथ में खून से भरा हुआ खंजर था।
सभी दादा जी को बहुत सारी बधाइयाँ दे रहे थे। रत्ना भी वरमाला लिए आ गयी।
ये तूने क्या किया रत्ना.... मेजर साहब चिल्लाये। रत्ना
चुपचाप बुत बनी खड़ी थी।
तभी P.M.जी के
पास एक आदमी दौड़ के आया, और बोला, सर जी जल्दी
निकलें यहाँ से। खबर मिली है यहाँ एक
आतंकवादी घुस आया है।
सुन कर रत्ना बोली, अब डरने की कोई जरूरत नहीं है, वो आतंकवादी मारा गया है। वो और कोई नहीं बल्कि राजन ही था।
दादा जी, मैं P.M. जी के आने से बहुत खुश थी, और यही बताने जब मैं राजन के पास गयी
थी, तब मैंने वहाँ देखा, राजन किसी को संदेश भेज रहा था कि, उसकी चाल पूरी तरह कामयाब
रही, उसने रत्ना और मेजर
का दिल जीत लिया है, आज उसकी शादी है, मेजर की पोती से, और उसमें P.M. भी आ रहे
हैं। और P.M. के आते ही वो उन्हें
मार देगा।
दादा जी, जिसे मैं अपना
हमसफर समझ रही थी, वो तो दुश्मनों का जासूस
निकला! कल तक मैं जिसके प्यार के सपने में
खोई हुई थी, वो तो मुझसे प्यार
ही नहीं करता था, वो, वो तो.... यहाँ P.M. जी को
मारने के इरादे से आया था।
जिसके नाम की मेहंदी कल उसके
हाथों में सजी थी, आज उसी के खून
से उसके हाथ रंगे थे।
आज उसने एक बहुत
कठिन निर्णय लिया था, उसने देश के आगे अपने प्यार को
कुर्बान
कर दिया था।
ये सब सुन कर मेजर साहब की आँखें छलछला उठी, वो बोल उठे, रत्ना तुमने अपना नाम
सार्थक कर दिया बेटा! तुम इस देश की रत्न ही हो।
P.M. जी भी बोल उठे, जिस देश में
ऐसी वीरांगनाएँ
हैं, उस देश का
दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
सब मिल कर रत्ना को salute
कर रहे थे।