कैसा गजब संयोग है कि गुरु दिवस, गुरुवार को...
वैसे तो हर दिन का अपना विशेष स्थान है और अपना अलग महत्व, पर कोई विशेष हो तो उसे गुरु (जिसका एक अर्थ बड़ा या महान भी होता है) कह दिया जाता है।
गुरुवार को गुरुवार कहने का एक तात्पर्य यह भी है कि, यह दिन जगत को संचालित करने वाले ईश्वर विष्णु जी को समर्पित है।
उसी तरह जीवन में हर रिश्ते का अपना विशेष स्थान और महत्व होता है, पर उन सबमें गुरु (शिक्षक) को ईश्वर के समान स्थान प्रदान किया गया है।
आज उसी भाव को हमारे प्यारे से बेटे अद्वय ने अपनी कविता के माध्यम से शब्दों में पिरोया है। तो सोचा कि आज उसे ही साझा किया जाए।
उसके साथ ही उसके सभी शिक्षकों को, अपने सभी शिक्षकों को या यूं कहें कि, जो भी शिक्षण का कार्य कर रहे हैं, उन सभी शिक्षकों को कोटि कोटि धन्यवाद 🙏🏻
क्योंकि दुनिया में जो भी शिक्षा देने का कार्य कर रहा है, पूरा समाज उन सभी का आभारी हैं।
क्योंकि शिक्षक हैं तो, सम्पन्नता है, प्रसन्नता, है, सौभाग्य है, अनुराग है, वो हैं, इसलिए ही सबका अस्तित्व है।
एक बार फिर से कोटि कोटि आभार 🙏🏻
आप सभी अद्वय की कविता का आनन्द लें और उसे अपना आशीर्वाद प्रदान करें 🙏🏻😊
गुरु ईश्वर समान
जब बच्चे होते हैं छोटे,
पर उनकी जिज्ञासा हो बड़ी।
तब शिक्षिकाएँ ही तो होती हैं,
उनके उत्तरों के लिए खड़ी।
जब बच्चों को पुस्तकों का,
कुछ भी समझ न आया।
तब अध्यापक ही तो थे,
जिन्होंने सब कुछ सिखाया।
जब बच्चे का दिल टूटे,
और बिखर जाएं आशाएँ।
तब शिक्षक प्रोत्साहित कर,
उनको मंजिल तक पहुंचाएंँ।
यदि होते न गुरु द्रोण,
तो क्या होता अर्जुन तीरंदाज?
यदि होते न गुरु ब्रह्मा,
तो क्या होता यह समाज?
हो कोई महाज्ञानी,
या एक साधारण इंसान।
सबका मानना एक ही,
गुरु है ईश्वर समान।
अद्वय सहाय
🙏🏻 गुरु दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻
📚 Happy Teacher's Day 🎓