जलन
रचना के पापा का Bombay में नया नया transfer हुआ था। उसका school में admission होने में कोई दिक्कत नहीं हुई। एक तो उसके पापा IAS Officer थे। दूसरा वो पढ़ने में होशियार भी बहुत थी। जल्दी ही उसकी दो दोस्त भी बन गयीं। उनका भी new admission था। उनके school में सुनन्दा का बहुत नाम था। वो सभी field में expert थी। रचना अभी तक जितनी भी cities में गयी थी, सभी जगह उसके पापा के कारण उसे special treatment मिलता था। जिससे वो थोड़ी घमंडी भी हो गयी थी।
पर इस school में सुनन्दा के आगे
उसकी कोई value नहीं
थी। जिसके कारण वो सुनन्दा से चिढ़ने
लगी। एक दिन स्कूल में रंगोली competition था। रचना और सुनन्दा दोनों ही रंगोली में expert थे। जब दोनों की पूरी
रंगोली बन गयी,
तो ये समझ पाना मुश्किल हो रहा था, कि first कौन आएगा। निर्णायक लोगों को ½ घंटे में आ कर निर्णय लेना था।
तभी रचना को एक
युक्ति सूझी। उसने वहाँ लगे fan
को सुनन्दा की रंगोली की तरफ मोड़ दिया, जिसका नतीजा ये हुआ कि सुनन्दा की रंगोली के सारे रंग mix हो गए। ये देख कर
सुनन्दा मायूस हो गयी। उसे ठीक करने का समय भी उसके पास नहीं था। सुनन्दा का मायूस
चेहरा देख कर रचना बहुत खुश हुई। और अपनी रंगोली के पास आकर खड़ी हो गयी।
निर्णायक गण आ गए। सब
की रंगोली के पास आ कर वो देखते जा रहे थे। पर एक रंगोली ऐसी थी, जिसको देखने के बाद वो आगे बढ़े ही
नहीं।
अब result की बारी थी। 3rd, 2nd
का नाम घोषित हो चुका था। पर अब तक रचना
और सुनन्दा दोनों में से किसी का भी नाम नहीं पुकारा गया था। सब सोच रहे थे, कि अब किसका नाम पुकारा जाएगा। पर रचना
अच्छे से जानती थी,
कि अब वो ही 1st आएगी। और फिर 1st का नाम भी बुलाया गया, रचना का सोचना एकदम सही निकला, रचना 1st आई। सुनन्दा आज पहली बार हारी थी। उसके
आँसू थम नहीं रहे थे। सब वापस अपनी class की ओर जाने लगे। तभी एक आवाज़ आई। आप सब
जानना नहीं चाहेंगे,
इस बार से एक extra ordinary award भी शुरू किया गया है, वो किसे मिला है? extra ordinary means
first से भी आगे!
सब वहीं रुक गए। वो
है सुनन्दा!
सुनन्दा! पर उसकी रंगोली तो खराब हो गयी थी ना? रचना बुदबुदाई।
जी हाँ, यही वो बच्ची है, जिसने ये prize जीता है। आइये, आप सब मेरे
साथ। सबने जा के देखा, मिले हुए रंगों से
बहुत सुंदर back
ground में सफेद रंग से राधा- कृष्ण की नृत्य की रंगोली बनी थी। निर्णयक ने सबसे
बोला। आप सब इस रंगोली को ध्यान से देखें तो लगेगा, जैसे यहाँ सच में
राधा-कृष्ण रासलीला हुई हो, इस बच्ची ने कितना
सुंदर रंग बिखेरा है।
सब अद्भुत अद्भुत कह उठे। सच, सारे टीचर भी बोल उठे, आज तक तो सुनन्दा ने भी इतनी अच्छी
रंगोली कभी नहीं बनाई थी।
रचना किसी को नहीं बता पा रही थी, रंगों की छटा सुनन्दा ने
नहीं उसने बिखेरी है। आज तो सुनन्दा
को और भी ज्यादा वाह-वाही मिल
रही थी। जैसे आग में तप के
सोना निखर गया हो।
रचना तो सुनन्दा को down करना
चाह रही थी, पर आज उसकी जलन ने सुनन्दा को और ज्यादा famous कर दिया