आज जब मैं बच्चों की कहानी लिख रही थी, तो मेरा बेटा अद्वय बोला,
Mumma आज आप मेरी लिखी हुई कहानी ही blog में डालिएगा।
आज की kids' story उसी की लिखी हुई है।
अगर आपके बच्चे भी कोई कहानी लिखेँ, तो हमे भेजिएगा। हम उन्हें
भी डाल देंगे।
कहीं भी अच्छा मिल सकता है
अंकुर अपने माँ-पापा के साथ दिल्ली में रहता था। उसे दिल्ली बहुत पसंद था। वहाँ उसके
बहुत सारे दोस्त थे। स्कूल से आने के बाद, शाम को सारे
बच्चे मिल के बहुत मस्ती किया करते थे।
वो हर weekend अपने माँ-पापा के साथ दिल्ली में घूमने
भी जाया करता था। वो
लोग कभी किसी monument में जाते, कभी किसी mall में जाते, तो
कभी park में या dine-out को
जाया करते थे।
एक दिन पापा ने आकर बताया, कि उनका अगरतला में transfer हो गया
है। जब ये बात अंकुर को पता चली, तो वो रोने
लगा। वो कहने लगा, मैं
दिल्ली से नहीं जाऊंगा।
मुझे दिल्ली बहुत पसंद है। यहाँ Red Fort, Qutub Minar, India Gate, बहुत सारे
parks, कितने
सारे malls हैं। फिर
यहाँ खाने की भी कितनी अच्छी चीज़ें मिलती हैं।और....... और मेरे
इतने सारे दोस्त.... वो भी तो नहीं होंगे वहाँ। मैं नहीं जाऊंगा अगरतला।
माँ ने समझाया, बेटा
ऐसा नहीं कहते, पापा
जहाँ job करेंगे, हमें
वहीं रहना होगा, पापा
के बिना तो हम नहीं
रह पाएंगे। फिर पापा भी तो तुम्हारे बिना नहीं रह पाएंगे। क्या तुम पापा को अकेले
जाने दोगे?
माँ ने कहा- बेटा
कहीं भी अच्छा मिल
सकता है। अच्छा चलो, तुम्हें
वहाँ अच्छा नहीं लगेगा, तो हम लौट आएंगे।
माँ के ऐसा कहने से अंकुर अगरतला चलने को तैयार हो गया।
वहाँ बहुत greenery थी, अंकुर को ये देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। जब वो लोग अपने रहने
की जगह पहुंचे तो, अंकुर ने देखा, वो एक bamboo house
था।
उसे देख कर अंकुर खुशी से उछल पड़ा। वहीं पास में एक
park भी था। घर के इतने पास park हो सकता है, ये तो कभी
अंकुर सोच ही नहीं सकता था।
उसने माँ से कहा, माँ
अब से हम यहीं
रहेंगे। अंकुर बहुत ही खुश था, शाम
को वहाँ बहुत सारे छोटे छोटे
बच्चे आ गए थे। अंकुर सब के साथ खेलने लगा।
घर आकर अंकुर बोला, माँ
आप ठीक कहती थीं। कहीं
भी अच्छा मिल सकता है।माँ ने कहा-हाँ बेटा, हमे खुश
होकर भविष्य को अपनाना चाहिए।
Advay Sahai