एक कदम शिव की ओर...
भारत में हिन्दुत्व का बोलबाला, दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, जो कि भारत के विकास के लिए आवश्यक भी है...
आप कहेंगे कि, क्या आवश्यकता है हिन्दुत्व के बढ़ावे की?...
तो उसका पहला जवाब तो यही है कि भारत एक हिंदू देश है, और जैसे सभी देश अपने धर्म को बढ़ावा देते हैं, तो भारत में क्यों नहीं?
पर इसका अगर आप को logical and scientific reason जानना है तो आप वेद, पुराण, उपनिषद, गीता और रामायण पढ़ें...
उसके बाद आप बहुत अच्छी तरह से समझ जाएंगे, क्यों हिन्दुत्व सबसे प्राचीन और सबसे नवीन है।
अगर सब ना पढ़ पाएं तो, सिर्फ गीता भी अगर पढ़ लेंगे तो भी आपका उद्धार हो जाएगा।
यह अपने आप में बहुत बड़ा आश्चर्य है कि सदियों पहले, कही और लिखी गीता में आपको अपने हर क्षेत्र के सभी प्रश्न के उत्तर, तब भी मिलते थे और आज भी मिल जाएंगे, अगर विश्वास ना हो तो पढ़िएगा जरुर...
पर आज हम शिव जी के विषय में विचार कर रहे हैं, देवों के देव महादेव के, आदि से अनंत तक के सत्य के, इस सृष्टि के अस्तित्व के विषय में...
शिव, जो सम्पूर्ण हैं, अपनी शक्ति के साथ... महादेव, जिन्होंने अपनी शक्ति, अपनी अर्द्धांगिनी को अपने बराबर का स्थान दिया।
जिस तरह से वो विनाश के, तांडव के प्रतीक हैं, उसी तरह से प्रीत को पूर्ण समर्पित अर्द्धनारीश्वर के भी प्रतीक हैं।
पूरे विश्व में किसी भी धर्म के, किसी भी ईश्वर का यह रूप आप को देखने को नहीं मिलेगा।
उनका यह रूप, केवल दृष्टिगत नहीं होता है, बल्कि साक्षात प्रदर्शित भी होता है।
शिव रात्रि इसका ही साक्षात सत्य है। जहां शिव जी और माता पार्वती की एक साथ आराधना की जाती है...
भारत में हमेशा से ही शिवरात्रि का महत्व रहा है, पर इस बार, हिन्दूओं के हर पर्व का एक अलग ही रूप है।
इस बार जगह जगह, शिव जी से मिलने वाली ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए, बहुत से साधू-संत, आयोजन, आयोजित कर रहे हैं।
शिव जी से ही ऊर्जा संग्रहित.. क्यों?
ध्यान और योग से ही ऊर्जा संग्रहित होती है और जो ईश्वर स्वयं ही सदैव ध्यान में लीन हों, वो तो सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा का स्त्रोत हैं।
अगर आप ऐसे आयोजन में शामिल होते हैं तो आप को विशेष आनंद का अनुभव होगा। मानव जीवन सार्थक हो जाएगा...
पर अगर अपने व्यस्त कार्यक्रम या दूरी के कारण आप को यह सौभाग्य ना मिल पाए, तो अपने घर से ही शिवरात्रि में चंद घंटे या चंद मिनट शिव ध्यान अवश्य करें।
वैसे तो कहा जाता है कि शिवरात्रि में शिव आराधना रात्रि के सभी प्रहर में करना अधिक उत्तम है, तथापि आप अपनी शक्ति के अनुसार कल शिवरात्रि के किसी भी प्रहर में ध्यान करके ऊर्जा संग्रहित कर सकते हैं।
जब उत्तम, रात्रि के प्रहर में है तो सभी प्रहर में कैसे ऊर्जा संग्रहित हो सकती है तो इसका एकमात्र उत्तर यह है कि शिव, भोले हैं, सरल हैं उनके लिए भक्ति भाव, आस्था और विश्वास ही सर्वोपरि है।
तो चलिए, इस बार हम अपनी आत्मा के दीप को इस तरह से प्रज्वलित करते हैं कि हमारी भक्ति की लौ, शिव जी में लीन हो जाए, उनमें एककार हो जाए।
हम भी वह ऊर्जा संग्रहित करने में सक्षम हो पाएं कि मानव जन्म सार्थक हो जाए।
एक कदम शिव की ओर चलें और उन्हीं में समाहित हो जाएं।
कल ही है वो रात्रि, शिवरात्रि, दिन तो याद रहेगा ना...