तीर्थ स्थान बन गए tourist place
मुसलमानों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है मक्का मदीना, सिखों का स्वर्ण मंदिर और ईसाइयों का St.Thomas church।
ये सभी
तीर्थ स्थान सदियों से हैं या यूं कहें कि इन धर्मों के प्रारम्भ से हैं और अंत तक
रहेंगे या दूसरे शब्दों में सदियों तक रहेंगे।
अब बात करते हैं हम हिंदुओं
की। हमारे बहुत से तीर्थ स्थान हैं, मथुरा, अयोध्या, काशी आदि...
हमारे इतने सारे तीर्थ स्थान
हैं जो सदियों से तीर्थ स्थान थे पर क्या सदियों तक रहेंगे?
शायद यह कहा जाना मुश्किल है, क्योंकि हमें कब अपने सनातन धर्म से प्यार है? हमारे तीर्थ स्थान तो कब के tourist
place में convert हो चुके
हैं।
ना जाने कितने लोग तो आस्था
से नहीं बल्कि कहीं घूमने जाने की चाह से इन तीर्थ स्थानों पर जाते हैं।
और-तो-और जब ऐसे लोग इन तीर्थ स्थानों पर जाते हैं, तो वो यह देखते हैं कि मंदिरों के अलावा उन्हें और कौन-कौन से entertainment के avenues मिलेंगे?
यही कारण है कि हमारे तीर्थ
स्थानों वाली जगहों पर मंदिरों के renovation
से ज़्यादा entertainment के avenues को better बनाया गया।
इसलिए आजकल जब मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है तो लोगों के यह सवाल उठते हैं कि “मंदिरों के पुनर्निर्माण की क्या आवश्यकता है? ऐसा भी क्या बदल जाएगा?”
आपको पता है कि इस तरह के सवाल
कौन ज़्यादा करते हैं? वही, जिनके लिए हमारे तीर्थ स्थान किसी tourist place से कम नहीं
हैं।
जिन्हें भगवान में आस्था है, विश्वास है, उन्हें पता है कि मंदिरों के निर्माण से क्या होगा...
मंदिरों के जीर्णोद्धार से
हमारे तीर्थ स्थान पहले कि भांति पुन: तीर्थ स्थान में परिवर्तित हो जाएंगे, हम लोगों में ईश्वर के प्रति
आस्था बढ़ जाएगी, परिणामस्वरूप हमारे कार्य और अधिक सिद्ध होंगे।
कार्य और सिद्ध होंगे कह कर
हम अंधविश्वास नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि ईश्वर की शक्ति और भक्ति के तरफ ही केन्द्रित कर रहे हैं।
ध्यान केंद्र के अलावा तीर्थ
स्थान बने रहने में उस जगह की विशेषता बढ़ जाती है, मंदिर से जुड़े जितने भी तरह के व्यवसाय हैं, वो फलने-फूलने लगते हैं जो
कि उस जगह-विशेष के विकास में सहायक भी होते हैं। और ना केवल उस जगह विशेष के लिए बल्कि सम्पूर्ण देश के विकास के लिए सहायक होता है।
आप कहेंगे कि उसके लिए तो tourist place भी सहायक
होते हैं।
बिल्कुल होते हैं, लेकिन तीर्थ स्थान बने रहने
पर ईश्वर की आंतरिक शक्ति भी उसमें जुड़ जाती है।
अत: आप सबसे अनुरोध है कि जैसे और धर्म के लोग अपने तीर्थ स्थान को तीर्थ स्थान ही बने रहने दे रहे हैं।
ऐसे ही आप भी यह स्वर्णिम
कोशिश रखिए जिससे सनातन धर्म सुदृढ़ रूप से स्थापित रहे।
आप एक बार भाव बदल कर देखिएगा, अगर आप तीर्थस्थान के भाव से जाएंगे, आपके अन्दर जो आंतरिक शक्ति का संचार होगा, वो tourist places में जाने से नहीं होता है।
इसलिए tourist places को ही tourist place बने रहने दीजिए, और तीर्थस्थान को तीर्थस्थान...
फर्क क्या है? वो आपके भाव और उस स्थान पर पहुंचने पर,आप को अपने आप अनुभव हो जाएगा....
जय सनातन 🚩