कौन करे
पंकज,
आज office से आते वक़्त मिठाई भी साथ लाया था। घर के अंदर आते
ही उसने प्रिया के हाथ में मिठाई का डिब्बा देते हुए कहा,
आज तुम्हारा appointment letter ले कर आया हूँ। आखिरकार तुम्हारी मेहनत रंग ले ही
आई।
अपना appointment letterदेखकर प्रिया भी खुशी से उछल पड़ी। लेकिन अगले ही पल उसकी खुशी जाने
कहाँ काफूर हो गयी।
अभी तक जिस appointment का उसे इतना इंतज़ार था, आज उसके मिलते ही उसे अपनी गृहस्थी की एक एक
ज़िम्मेदारी का ख्याल सताने लगा। अगर मैं office
join कर लूँगी,
तो छुटकू संयम का क्या होगा। अभी दो साल का ही तो है,
हर समय उसे Mumma चाहिए।
मेरे बिना एक पल भी तो नहीं रहता है, वो! फिर उसके बिना मैं भी कहाँ रह पाऊँगी?
कैसे अपने नन्हें-मुन्नों को छोड़ के लोग काम कर लेते हैं?
फिर घर का इतना सारा काम,
बाप रे! कैसे सब खत्म करके office
जाऊँगी। पर इतना अच्छा offer उससे छोड़ा भी नहीं जा रहा था। प्रिया को खोया हुआ देखकर,
पंकज ने उसे झकझोरा, क्या हुआ प्रिया, कहाँ खो गयी?
कितने दिनों से तुम्हें appointment
का इंतज़ार था,
आज जब मैं लेकर आया हूँ, तो तुम्हें कोई खुशी ही नहीं हो रही है।
मैं कैसे खुश हो जाऊँ?
मुझे ये समझ ही नहीं आ रहा है? प्रिया अपने में ही खोई-खोई सी बोली। क्यों क्या
हुआ? कौन सी बात तुम्हें इतना परेशान कर रही है,
प्रिया की बिखरी ज़ुल्फों को संवारते हुए पंकज ने पूछा।
पंकज आपने कभी सोचा है?
जब हम दोनों office जाएंगे, तब संयम का क्या होगा?
वो अभी दो ही साल का है। और बताओ, और क्या क्या चल रहा है,
तुम्हारे मन में? पंकज ने बड़े ही सधे शब्दों में पूछा।
और क्या क्या बताऊँ,
घर के ढेरों काम हैं, पानी के आने का समय है,
दूध वाला, काम वाली, राशन, सब्जी लाना, खाना बनाना और भी बहुत सारे काम रहते हैं घर पर,
तुम क्या जानो। तुम तो office चले जाते हो, पर तुम्हारे पीछे यह सब काम निपटाते-निपटाते कब
शाम हो जाती है, मुझे पता ही नहीं चलता है। और तुम्हारा काम तो office से आने के बाद खत्म हो जाता है। पर तुम्हारे आने के बाद भी मैं
तो चकरघिन्नी बनी रहती हूँ और बिस्तर पर सोने से पहले तक मेरा काम चलता ही रहता
है। और उठने के साथ ही फिर शुरू हो जाती हूँ।
अच्छा जी सब सुन लिया
मैंने, अब मेरी भी सुन लो, मैंने सब सोच लिय है,
पंकज ने कुछ तेज़ स्वर में बोला। संयम को creche में डाल देंगे। creche! कितने
आराम से तुमने बोल दिया, रह भी पाएगा मेरा लाडला?
क्यों? क्यों नहीं रह पाएगा?पहला बच्चा है क्या? बहुत सारे रहते हैं। संयम
भी रह लेगा। घर का काम हम मिलके करेंगे। आखिर दोनों का घर है,
तो ज़िम्मेदारी भी दोनों की ही होनी चाहिए। फिर जब दोनों ही कमाएंगे,
तो अधिक पैसा आएगा, तो helping
source भी बढ़ जाएंगे।
आपने सब कितना आसान कर
दिया है, पर सब इतना आसान है नहीं। प्रिया ने पंकज की सारी बातों को
सुनते हुए कहा। मुझ पर विश्वास तो करो, जान! सब हो जाएगा। पंकज ने प्यार से उसका गाल सहलाते
हुए बोला।
प्रिया के office join करने में एक हफ़्ते का समय था, उससे पहले ही पंकज ने संयम
का creche में admission
करा दिया। एक maid से खाना बनाने की बात कर ली।
आज से प्रिया को office जाना शुरू करना था........क्या प्रिया ऑफिस जा पायी? या उसने नौकरी का विचार छोड़ दिया... जानते हैं कौन करे (भाग-२) में