बापू , यह क्या कर डाला
ओ बापू तुम तो थे,
अहिंसा के पुजारी।
सोच समझकर, आज,
एक बात बताओ हमारी।।
भारत के क्यों टुकड़े करवाए,
ऐसी भी क्या थी लाचारी?
या केवल बस, एक चिंता थी,
नहेरू, बन जाएँ सत्ताधारी।।
बहुत रक्त बहा, रिश्ते टूटे,
कितनों के घर-द्वार छूटे।
लाज ना रही थी सलामत,
कितनों ने दी होगी लानत।।
ओ बापू तुम तो थे
अहिंसा के पुजारी
क्या सोचा नहीं तनिक भी?
भारत की कर दी हिस्सेदारी
क्या नहीं दिखा, कुछ भी वो?
या नेहरू प्रेम था, सब पे भारी।
जब तुम थे बापू कहलाते, तो,
थी पूर्ण देश की जिम्मेदारी।।
काश दी होती, सुदृढ़ हाथों में,
भारत के विकास की जिम्मेदारी।
जिनको निज देश से प्रेम था,
देशहित उनकी थी दुनिया सारी।।
ओ बापू तुम तो थे,
अहिंसा के पुजारी।
भारत पुनः विकास करे,
क्या नहीं सोच थी तुम्हारी?
कितने ही काज किए तुमने,
हम सबके प्यारे बापू बनकर।
फिर क्यों, भारत के टुकड़े करके,
खण्ड खण्ड कर दी एकता सारी?
बंटवारा जब कर दिया ही था,
तोड़कर, भारत की ताकत सारी।
जब बन ही गया था पाकिस्तान,
तो अब क्यों, उनकी भारत पे हिस्सेदारी?
ओ बापू तुम तो थे,
अहिंसा के पुजारी।
बंटवारे के बाद रहे शांति,
क्यों इस ओर ना, रखी जिम्मेदारी?
मेरे मन मस्तिष्क में एक सवाल बहुत दिनों से घूम रहा था, शायद आपको भी यही लगता होगा।
।।आप सभी को गांधी जयंती और शास्त्री जयंती की विशेष शुभकामनाएँ।।