हिजाब पर विवाद
कर्नाटक के Govt Pre University College for girls से शुरू हुए, इस विवाद का क्या और कब अंत होगा, पता नहीं?
पर यह विवाद क्यों? यह भी समझ से परे है।
किसी भी स्कूल में dress code होने का क्या पर्याय है?
Reason for the dress code in schools :
यह तो सभी जानते ही होंगे, जो नहीं जानते हैं उनको बता दें, equality के लिए।
उस dress code को यह सोच कर रखा जाता है कि स्कूल में सभी समभाव हैं। कोई अमीर-गरीब नहीं है, कोई धर्म और जाति छोटी-बड़ी नहीं है।
वो ऐसी जगह है, जहाँ सिर्फ प्रेम, सौहार्द्र और शान्ति रहती है।
तब ऐसी पवित्र और पाक जगह को बिना वजह विवाद का केंद्र बनाने का प्रयास क्यों?
Dress code को change ना करने का पहला कारण :
ऐसे किसी भी मजहब और सम्प्रदाय के लिए नियम में परिवर्तन करने से सभी इसकी मांग करेंगे और सभी की मांग को मान्यता देने पर वो क्या स्कूल लगेगा या मेला?
आज इन्हें स्कूल परिसर में हिजाब की अनुमति दी जाए। कल हिन्दू कहेंगे कि हमें भी भगवा पहनना है राम नामी चादर ओढ़नी है घूंघट करके आना है, फिर सिख बोलेंगे, हम तो कटार भी साथ रखेंगे। ठाकुर कहें कि हम बंदूक के बिना स्कूल नहीं आएंगे।
तो किस-किस की बातों को मान्यता देंगे?
ऐसे में school की क्या गरिमा रह जाएगी और क्या उसका अस्तित्व रह पाएगा?
वो बुद्धि और ज्ञान के विकास करने का स्थान ना रह कर, विवादों का अखाड़ा बन जाएगा।
Dress code change नहीं करने का दूसरा कारण सुरक्षा भी है :
शायद आपको मालूम हो, ऐसे ही एक बार विवाद केरल में भी हो चुका है, वो भी girls college था। ऐसे में एक लड़का बुर्का पहन कर विद्यालय के परिसर में आ गया था। लड़कियों की सुरक्षा के मद्देनजर यह फ़ैसला लिया गया था कि school campus के अंदर कोई भी बुर्का या हिजाब पहनकर नहीं आएगा।
इसकी उपस्थिति में चेहरा ठीक से नहीं दिखता है, अतः इससे identity पहचानने में दिक्कत होती है। अतः स्कूल व कालेज के परिसरों में यह नहीं पहन सकते हैं।
क्या ग़लत था? ऐसे ही किसी girls college में कोई लड़का, बुर्का पहन कर या लंबा घूंघट डालकर college campus में आ जाए और girls के साथ अभद्र व्यवहार करे तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, किस की जवाबदेही होगी?
जब यह मामला केरल में हुआ था और वहाँ मना किया गया तो बिना कोई विवाद किए, इस बात को मान लिया गया था।
पर वही घटना जब कर्नाटक में घटित हुई तो विवाद इतना बढ़ा दिया गया है कि वो विवाद कर्नाटक के एक school तक सीमित नहीं है बल्कि उस विवाद की तपिश से पूरा देश जलने लगा है। क्योंकि यह विवाद अब हर state और city तक पहुंच रहा है।
बल्कि कहना चाहिए कि इस विवाद को देश तक ही नहीं, उसके बाहर भी पहुंचा दिया गया है।
क्यों? आखिर क्यों? बिना बात का विवाद क्यों?
मत बढ़ाओ बेवजह बात को, जहाँ दशकों से हर धर्म के बच्चे प्रेम-सौहार्द्र से साथ पढ़े हैं, वहाँ व्यर्थ की राजनीति का विवाद करके शांति और अमन ना नष्ट करें।