Tuesday 10 July 2018

Story Of Life : दो मीठे बोल

दो मीठे बोल

अल्हड़ चुलबुली नीरजा अब यौवन के 21 साल की दहलीज़ पर पहुँच चुकी थी, रिश्तेदारी में उसके विवाह की बात चल रही थी। गृहकार्य में दक्ष, सुंदर सुशील कार्यरत कन्या थी, या यूं कहें, जैसी सब चाहते हैं, सर्वगुण सम्पन्न। चारों तरफ से उसके लिए रिश्ते आ रहे थे।
नीरजा की माँ के पास उनके जानने वाले गुप्ता जी एक रिश्ता ले कर आए। बोले- भाभी जी, मेरा जाना पहचाना घर है, आप नीरजा का रिश्ता निखिल के साथ ही कर देंदोनों की शिक्षा भी एक सी है, दोनों एक जगह ही job कर लेंगे, अनजानों में करेंगी तो न जाने अपनी नीरजा के साथ क्या व्यवहार करें?
गुप्ता जी की ऐसी बात सुन कर सबने नीरजा का विवाह निखिल से कर दिया।
नीरजा ने विवाह से पहले ही नौकरी छोड़ दी थी, विवाह के उपरांत वो निखिल के साथ कानपुर चली गयी।
नीरजा अपने सास-ससुर की जी-जान से सेवा करने में जुट गयी। घर-बाहर के सारे काम वो बखूबी निभाने लगी।   पर उसकी सास को हमेशा यही लगता, हमने तो कमाऊ बहू सोच के शादी करी थी, और एक ये है कि घर में बैठ के आराम ही करती रहती है।
2 साल बाद उनके घर एक सुंदर सा बेटा हुआ। अब निखिल की salary  में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। एक साल बाद नीरजा ने सोचा, अब उसे भी फिर से job join कर लेनी चाहिए। उसने निखिल और अपनी सास दोनों से पूछा, कि वो क्या करे? दोनों चाह तो रहे थे, की नीरजा job join करे, पर साथ ही वह ये भी चाहते थे की नीरजा घर-बाहर के सारे काम यथावत करती रहे। उन्हें ये भी पता था, नीरजा बेहद समझदार है, वो घर के बढ़ते खर्चे को पूरा करने के लिए job भी जरूर करेगी। अत: उन्होने निर्णय उसके ऊपर ही रहने दिया, जिससे वो अपनी सभी ज़िम्मेदारी निभाते हुए job join करे।
घर के बढ़ते हुए खर्चे को देखते हुए नीरजा ने job join कर ली। वो घर के सारे काम करके जाती, और घर आते ही फिर से काम में जुट जाती

पर नीरजा के job join करने की वजह से नन्हें रिशु की ज़िम्मेदारी उसकी सास पर आ गयी। ये बात उन्हें बिलकुल नागवार गुजर रही थी। हमेशा यही कहती नीरजा ने अच्छा मौका निकाला, बच्चे से फुर्सत पाने का। अपना तो सुबह निकल जाती हैं, और दिन भर के लिए हमें आया बना जाती हैं। पहले अपने पाले, अब इनके पालें। 
रोज़ रोज़ की सास की नाराजगी और अत्यधिक काम के बोझ तले नीरजा ने अपने पति से दिन भर के लिए नौकरानी रखने की बात कही जो कि घर का भी काम करे।
जब ये बात सासु माँ के कानों तक पंहुची तो, वो तो भड़क उठी, अब महारानी जी से घर का काम भी नहीं हो रहा है, जो काम वाली चाहिए? हम ने तो पाँच पाँच बच्चों को पाल लिया, इनसे एक नहीं संभल रहा।
माँ की बात सुन कर निखिल भी माँ का साथ देने लगा। तुम्हें दिन भर करना क्या होता है? सुबह सुबह तो निकल जाती हो job के लिए, वहाँ दिन भर तुम्हारी ऐश, कभी office में party हो रही है, कभी seminar  के बहाने तुम लोग hotel में चले जाओगे। काम तो माँ का बढ़ गया है, रिशु के पीछे दिन भर भागती रहती हैं।
अभी बच्चे को देखना चाहिए, तो तुमने अपने सैर-सपाटे के लिए और घर-गृहस्थी की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए job join कर ली। जबकि निखिल अच्छे से जानता था कि जब से नीरजा ने job join की है, घर के खर्चे के बारे में सोचना नहीं पड़ रहा था, सब बहुत आसानी से manage हो जा रहा था।
अब नीरजा को समझ नहीं आ रहा था, कि घर का सारा काम वो खत्म करके जाती है। घर आते ही फिर काम में जुट जाती है। उसके job करने से घर का खर्च भी आसानी से चल रहा है। तो क्या उसे अपने पति और सास से इतना भी support  नहीं मिल सकता, कि at least वो रिशु को संभाल लें, और उसके लिए दो बोल तारीफ के भले ही ना बोलें, पर कम से कम ताने तो ना दें। 
रिशु को play school  में डाल दिया गया। पर रोज़ झिकझिक से दिन शुरू होता, और ऐसे ही अंत हो जाता।
आखिर एक दिन नीरजा नें job छोड़ देने का मन बना लिया, जब ये बात उसने  निखिल को बताई, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी। वो जानता था, अगर नीरजा ने job छोड़ी, तो घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा।
वो बोला, तुम कुछ करने से पहले सोचती भी हो? जब जो मन करता है, वही करने लगती हो। क्यूँ, मन भर गया घूमने-फिरने से?
अब जब रिशु को manage करना easy  हो गया है, और तुम्हारी salary भी बढ़ गयी है तो तुम्हें job छोडनी है? बस हमेशा अपने ही आराम की सोचा करो। कभी तो घर-बार की भी सोच लिया करो।
निखिल की ऐसी कटाक्ष बातें सुन कर नीरजा का कलेजा छलनी हो गया। उसने हमेशा घर का सोच कर ही निर्णय लिया था, पर कभी, उसे दो मीठे बोल सुनने को नहीं मिले।
जब वो घर में थी, आरामतलब, आलसी कह कर पुकारा गया। जब उसने job join की, तो हमेशा यही कहा जाता, अपने सैर-सपाटे और ज़िम्मेदारी से भागने के लिए job join  की।
क्या कभी स्त्री को सही भी आँका जाएगा? उसके किए काम को सरहा जाएगा? वो जो भी करे उसकी सही कीमत समझी जाएगी? और दो मीठे बोल बोले जाएंगे?