स्वाभिमान
रीना, बहुत ही हंसमुख, ज़िंदादिल व्यक्तित्व की स्वामिनी थी।
साथ ही बहुत ज्यादा helpful भी थी। जिसके कारण office में जब भी किसी को कोई भी परेशानी होती, सबको उसका नाम ही सबसे पहले याद आता।
एक दिन निशा के सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसने रीना से
बोला, मेरे सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है, शायद computer में बहुत ज्यादा work का असर हो। मेरा आज Dr. से appointment है, तुम चलोगी साथ में?
आज रीना को office में बहुत सारा computer
job था, वो सोचने लगी क्या
कहूँ, इसके पहले वो कुछ बोलती, निशा बोल दी, हाँ मुझे पता है, तुम्हारा computer
job है, तुम ये काम Dr. के clinic में
रहते हुए, मेरे laptop में भी
कर सकती
हो। तभी रीना को याद आया कि दो घंटे
पहले जब कुछ data उसे चाहिए था, तब निशा ने ये कह कर उसे देने से साफ इंकार
कर दिया था कि, उसका laptop out of order है। अभी अपना काम है, तो laptop एकदम ठीक हो गया था।
रीना बोली ठीक है, boss को बोल के आती हूँ।
जब रीना boss के पास गयी, तो वो उसके पहुँचते ही बोले, बताओ आज किसके दुख-दर्द को कम
करवाने जा रही हो?
सर, वो निशा के
साथ जाना था। अच्छा और तुम्हारे काम के
लिए अब उसका laptop भी ठीक हो गया होगा, है ना? जी।
तुम कब तक ये जानते हुए भी कि, दुनिया बहुत मतलबी है, सबका साथ देती रहोगी?
सर, मैं क्या करूँ? सब मेरे ही पास आते हैं।
सब जानते हैं, तुम्हें अपने से ज्यादा
दूसरों की फिक्र रहती है। और कोई तुम्हारी मदद नहीं भी करेगा, तब भी तुम सब के लिए खड़ी रहोगी। जाओ, तुम जाए बिना मानोगी भी तो नहीं, उसके boss उसे
समझते हुए बोले।
जब रीना और निशा Dr. के clinic पर पहुँचे, वहाँ पर निशा
का पति नीरज भी पहुंचा हुआ था।
उसको देखकर निशा बोली, आपको मिल गयी छुट्टी? हाँ लेनी ही पड़ी, ना आता तो तुम नाराज़ जो हो जातीं, dear । रीना उन दोनों का वार्तालाप दूर खड़ी सुन रही थी।
अरे यार, तुम रीना को क्यों
ले आई, मैंने तो पूरे दिन की छुट्टी ले ली है।
सोचा था इसके बाद तुम्हें jeweler के पास ले जा कर, तुम्हें diamond की ring दिलवा दूंगा। तुम कब से जिद्द कर रही थी।
नीरज को आया देखकर, निशा का रीना के प्रति क्या व्यवहार रहेगा जानते हैं- स्वाभिमान(भाग -२) में