Housewife का कठिन जीवन
अभी हाल ही में सिलक्यारा tunnel में 41 मजदूर मलबा गिरने से उसमें फंस गए थे। जो कि लगभग 2 km. के दायरे में थी।
क्योंकि वह एक tunnel थी, अतः वहां बिजली की अच्छी व्यवस्था थी, अर्थात अंधेरे में जीवन नहीं काटना पड़ रहा था। हां पंखा AC इत्यादि नहीं था।
क्योंकि वो tunnel में बंद थे, इसलिए बाहर की दुनिया में निकलने को नहीं मिल रहा था, तो वो केवल 2 किलोमीटर के दायरे तक ही सीमित थे।
उन श्रमिकों के लिए, हर ओर कहा जा रहा था कि वो बेहद कठिन जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्होंने अपने जीवन के बहुत कठिन 17 दिन व्यतीत किए हैं।
बेशक बहुत कठिन होता है ऐसा जीवन, जब आपको अपनी जिंदगी एक दायरे में गुजारनी होती है।
पर क्योंकि यह मजदूर जहां फंसे हुए थे, वो राज्य BJP सरकार के अंतर्गत आता है तो यह देख लेते हैं कि उनके इस कठिन जीवन को जितना भी सरल किया जा सकता था, उसके लिए BJP सरकार ने क्या-क्या किया।
श्रमिकों को दी गई सुविधा
Proper Illumination :
Tunnel में घुप अंधेरा ना हो, इसके लिए 24 hours के लिए बिजली की व्यवस्था की गई थी। Means उनके लिए सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचा सकते थे पर रोशनी पूरे समय बरकरार थी।
Food arrangements :
श्रमिकों को सुबह चाय, अंडा और दलिया दी जाती थी। दोपहर व रात के खाने में दाल, चावल, रोटी, सब्जी दिया जाता था।
उसके अलावा, बिस्कुट, मेवा, energy drink आदि भी दिया जाता था।
Medical facilities :
सभी तरह की दवाएं उपलब्ध कराई जा रही थी। Oxygen का proper arrangement रहे, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा था।
Mental health :
मजदूरों से दिन में 2 बार doctors बात करते थे, उनके moral को boost करते थे। उनको सफलता मिलेगी बाहर निकलने में, वो एक बार फिर normal life lead करेंगे, ऐसा उनमें विश्वास जगाया जाता था। वो भीतर रहकर, कितना हिम्मत का परिचय दे रहे हैं, यह कहकर उनके हौसलों को बुलंद किया जाता था।
Conversation with family :
दिन में दो बार उन्हें परिवार वालों से बात कराई जाती थी जिससे उन श्रमिकों से परिवार वाले और परिवार वालों से श्रमिक आपस में जुड़े रहे। इससे उन्हें दूर रहने का तो एहसास था, लेकिन अकेलेपन व परिवार से कट जाने का एहसास नहीं होता था। वैसे mostly mining के लिए जाने वाले मजदूर हों या officer, सबको अपनी family से तो दूर रहना ही होता है।
Entertainment :
मजदूरों को mobile दिए गए थे, जिसमें video games and movies download थी, जिससे उनको भरपूर entertainment मिल रहा था, जो उन्हें सुख तो दे ही रहा था, साथ ही कहीं ना कहीं वो उनको depression में जाने से भी रोक रहा था।
41 companion :
अंदर फंसे मजदूरों की संख्या 41 थी, मतलब एक अच्छा बड़ा समूह, जो एक दूसरे को support करने के लिए काफी हद तक सहायक था। एक-दूसरे के support के लिए, एक-दूसरे को entertain करने के लिए, एक-दूसरे को हौसला व हिम्मत दिलाने के लिए। दूसरे शब्दों में एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ देने के लिए।
No work :
वो समय जब वो बंद हो गये थे, तब उनके पास कोई काम नहीं था। वो relaxing position में थे, हां पर यह बात भी पूरी तरह से सही है कि इतनी सुविधाएं होने के बाद भी, क्योंकि जान मुश्किल में थी, तो बस एक ही ख्याल, सबके मन में था कि जल्द से जल्द tunnel से बाहर आएं और सामान्य जीवन व्यतीत करें ...
यह एक छोटी सी cutting है, जो कि आपको बताएगी कि क्या-क्या कर रही थी BJP सरकार उन मजदूरों के लिए 👇🏻
यह सब पढ़कर आपको समझ आ रहा होगा कि मजदूरों का जीवन उन 17 दिन कितना कठिन था और BJP सरकार किस तरह से काम करती है और क्यों उनके काम के देश-विदेश में डंके बजते हैं।
खैर यह तो रही उन श्रमिकों और BJP सरकार की बात..
पर हमारा आज का मुद्दा ना तो वो श्रमिक है, उनके विषय में हम इस article हौसले हों साथ, तो सब है हाथ.. में पहले ही लिख चुके हैं।
ना ही BJP सरकार के काम गिनाने थे। क्योंकि, उनके बेहतरीन प्रदर्शन के विषय में भी हम, समय-समय पर जिक्र करते ही रहते हैं।
आज का मुद्दा तो हमारी housewife हैं और उनका कठिन जीवन...अब आप कहेंगे कि फिर श्रमिकों की बात क्यों उठाई?
वो इसलिए कि आप comparison कर सकें कि house wife की life कितनी कठिन होती है।
- मजदूरों को सूर्य की रोशनी 17 days नहीं मिली, वो केवल 2 km. के दायरे में रहे तो उनका जीवन सबको कठिन दिखा। Housewife भी कितने दिनों तक अपने घर की चारदीवारी में रहती हैं। ना जाने कितने दिन तक कहीं बाहर नहीं निकलती हैं, तब क्या आपको, उनका जीवन कभी कठिन लगा?
- वे भी दिन में नाश्ता, दोपहर व रात में खाना खाती हैं, लेकिन यह सब उन्हें बिना काम के नहीं मिलता है, बल्कि मिलता है, दिन भर की हाड़-तोड़ मेहनत के बाद, जिसमें घर परिवार व्यवस्थित रखना, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई देखना, उनका सर्वांगीण विकास देखना, नाते-रिश्तेदारी निभाना, घर का रख-रखाव और बजट में सब रखना, उसमें भी बहुत सारे घरों में housewife वही खाती हैं जो घर के बाकी लोगों के खाना खाने के बाद बचता है। क्या कभी आपने उनकी इस मेहनत और sacrifice को सम्मान दिया?
- घर में जो job कर रहे हों, जो बच्चे पढ़ने जाते हैं, उनकी तो physical health and mental health का ध्यान हर housewife रख लेती है, पर कितने घरों में यह सोचा जाता है कि health की परवाह तो उनकी भी करनी चाहिए?
- उन श्रमिकों को tunnel में फंसे होने पर इतनी limelight मिल रही थी कि राजनीति से लेकर media तक और लोगों के बातचीत के मुद्दों में शामिल थी। पर house wife, जिसने अपने अस्तित्व, अपने भविष्य, अपने सपने सबको नकार कर केवल परिवार को महत्व दिया..., क्या उन सब को यह कहकर तुच्छ नही कर दिया जाता कि तुम दिन भर करती ही क्या हो? तुम्हारे तो मज़े है, दिन भर ऐश करती हो घर पर, महारानी हो पूरे घर की, आदि आदि ...
- पर आपने कभी सोचा है कि वो घर पर हैं, इसलिए ही बाकियों के सपने पूरे हो रहे हैं, उसने अपने आप को गुमनामी में खो दिया, इसलिए ही आपका नाम है। चाहती तो वह भी working woman बनकर सब हासिल कर सकती थी, पर उसने Housewife बनना चुना, सिर्फ आप और बच्चों के लिए...
- जीवन जब दायरे में जीना पड़े तभी कठिन है, वरना खुले आसमान में तो छोटा सा परिंदा भी क्षितिज के उस पार चला जाता है।
- समझिए House wife के कठिन जीवन को, क्योंकि दायरे में रहकर भी वो उफ्फ तक नहीं करतीं हैं, हंसती मुस्कुराती हुई अपने फ़र्ज़ को निभाती हैं। बिना यह सोचे कि वो कितना कठिन जीवन जी रही हैं, बिना किसी शिकायत के...
- पर वो सम्मान, प्रेम और अपनी पहचान की अधिकारिणी तो है ही...
- उनका सम्मान कीजिए, उनके अस्तित्व को स्वीकार कीजिए, उनके द्वारा की गई मेहनत, त्याग और तपस्या को सिर-माथे रखिए, क्योंकि उन्हीं के कारण ही आपका और आपके बच्चों का अस्तित्व है। मान-सम्मान है।